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 दिनांक
  - 01 जुलाई 2018*,  * दिन – रविवार * ,  *विक्रम संवत - 2075*,
   *शक संवत -1940*,  *अयन -
  क्षिणायन*, *ऋतु - वर्षा*,  *मास - आषाढ़*,  *पक्ष - कृष्ण*,
   *तिथि - शाम 05:54 तक
  तृतीया*,  *नक्षत्र - रात्रि 09:37तक श्रवण*, *योग - 02/7 प्रातः 05:47 तक विष्कम्भ*,
   *राहुकाल - शाम 05:41 से 07:20* ,
   *सूर्योदय - 06:01*,  *सूर्यास्त
  - 19:23*,  *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*,
   *व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी  (चन्द्रोदय रात्रि 09-52)*,  *विशेष -
  तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*,  *रविवार के
  दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त
  पुराण, ब्रह्म खंडः  27.29-38)*,  *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग
  का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण
  खंडः 75.90)*,  *रविवार के दिन काँसे के पात्र
  में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण
  खंडः 75)*,  *स्कंद पुराण के अनुसार , रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि
  महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*, 
* विघ्नों और मुसीबते दूर
  करने के लिए * 
*01 जुलाई 2018 रविवार को शाम 05:55 से 02 जुलाई, सोमवार को रात्रि 08:20 तक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है ।*,  *शिव
  पुराण में आता हैं कि  हर महीने के कृष्ण पक्ष
  की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को
  चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :*, 
*ॐ गं गणपते नमः ।*,
   *ॐ सोमाय नमः ।*,  
 *चतुर्थी तिथि विशेष* ,
  *चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।*,  *हिन्दू
  कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।* , *पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते
  हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते
  हैं।*, *शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः
  पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥*, *
  “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की
  हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम
  भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।*, 
* कोई कष्ट हो तो * 
*हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में
  बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की
  चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर
  में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |* 
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –* 
*ॐ
  सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची
  भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।* 
*ॐ
  दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।* 
*ॐ मोदाय
  नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले ।
  उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।* 
*ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों
  को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता    है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली
  जाती है । और  जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।* 
                          * ॐ अविघ्नाय नम : *, * ॐ विघ्नकरत्र्येय नम :
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Sunday, 1 July 2018
पंचांग : दिनांक - 01 जुलाई 2018*, * दिन – रविवार * ,
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