पंजाब लोक भवन ने उत्तराखंड, झारखंड, असम और नागालैंड का स्थापना दिवस मनाया
पंजाब के राज्यपाल ने स्थापना दिवस समारोह
के दौरान “राज भवन” से “लोक भवन” में परिवर्तन को रेखांकित किया
चंडीगढ़,
विनय कुमार : पंजाब
लोक भवन, चंडीगढ़ में आज शाम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” पहल के तहत उत्तराखंड, झारखंड, असम और नागालैंड
का स्थापना दिवस मनाया गया । अपने संबोधन में माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया
ने “राज भवन” से “लोक भवन” में देशभर में हो रहे परिवर्तन का स्वागत
किया। उन्होंने कहा कि ऐसा नामकरण भारत की लोकतांत्रिक भावना और जनता की भागीदारी की
आत्मा को दर्शाता है। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की 562 रियासतों के एकीकरण और भारत
को विभाजित करने की औपनिवेशिक साजिशों को विफल करने में उनकी ऐतिहासिक भूमिका को याद
किया। राज्यपाल ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर
2015 को “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की शुरुआत कर पटेल
के विज़न को और सुदृढ़ किया। उन्होंने रेखांकित किया कि उत्तराखंड, झारखंड, असम—विशेषकर पावन कामाख्या मंदिर—और नागालैंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक
और ऐतिहासिक विशेषताएँ भारत की पहचान और विकसित भारत 2047 के निर्माण में महत्वपूर्ण
योगदान देती हैं। हम पूरे राष्ट्र को प्रेरित करना चाहते हैं कि वे श्री गुरु गोबिंद
सिंह जी के छोटे साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को याद रखें, जिनका साहस और समर्पण
इतिहास में अनूठा है। उनकी शहादत विश्वास, दृढ़ता और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का
शाश्वत प्रतीक है, जो मानवता को नैतिक शक्ति की ओर मार्गदर्शन करता है। उनके शौर्य
को व्यापक रूप से साझा करने से हम उनके बलिदान के प्रति सम्मान को गहरा करते हैं और
न्याय, स्वतंत्रता तथा अटूट साहस के मूल्यों को सुदृढ़ बनाते हैं। चारों राज्यों—उत्तराखंड, झारखंड, असम और नागालैंड—के राज्यपालों के वीडियो संदेश भी कार्यक्रम
के दौरान साझा किए गए। संबंधित राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों के सामाजिक
विकास, आर्थिक प्रगति, भौगोलिक विशिष्टता, सांस्कृतिक समृद्धि, विरासत विविधता और कृषि
क्षमता के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी, जिससे भारत की विशाल क्षेत्रीय विविधता की
गहरी समझ प्राप्त हुई। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जाते “एक
भारत, श्रेष्ठ भारत” समारोह के अंतर्गत
कार्यक्रम में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गईं। उत्तराखंड ने प्रसिद्ध नंदा देवी
पालकी नृत्य और लोकगीत “बेड़ू पाको बारामासा” प्रस्तुत किए,
जो पर्वतीय जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाते हैं। झारखंड ने जनजातीय और कृषक परंपराओं
पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए। असम की ओर से जीवंत बिहू और पारंपरिक बंगुरुंबा नृत्य
की प्रस्तुति हुई। नागालैंड की ओर से बाँस नृत्य, रंग-बिरंगी जनजातीय प्रस्तुतियाँ
और विभिन्न नागा जनजातियों की वीरता दर्शाने वाले वारियर डांस प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम
में असम और नागा नृत्य शैलियों का एक विशेष फ्यूजन भी शामिल था, जो सांस्कृतिक सौहार्द
का प्रतीक रहा। समारोह ने सुंदर तरीके से “विविधता में एकता” की भावना को सुदृढ़ किया और उस साझा सांस्कृतिक
धरोहर को उजागर किया जो पूरे राष्ट्र को जोड़ती है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित
व्यक्तियों में श्री सत्य पाल जैन, भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल; श्री एच. राजेश
प्रसाद, मुख्य सचिव, यू.टी. चंडीगढ़; श्री विवेक प्रताप सिंह, राज्यपाल के प्रमुख सचिव;
श्री मनीप सिंह बराड़, गृह सचिव यू.टी. चंडीगढ़; श्री दिप्रवा लाकड़ा, वित्त सचिव यू.टी.
चंडीगढ़; डॉ. सागर प्रीत हुड्डा, डीजीपी चंडीगढ़; चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी; विशिष्ट
नागरिक; और चंडीगढ़ में निवासरत संबंधित राज्यों के समुदायों के प्रतिनिधि शामिल थे।

No comments:
Post a Comment