राखी बांधें 26 अगस्त , रविवार को । बहनों को शगुन में भाई दे हेलमेट
राखी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ही आती है। 25 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो
जाएगी जो 26 अगस्त की शाम 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इस बार रक्षाबंधन
पर कुंभ राशि एवं धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा और पंचक प्रारम्भ हो
जाएगा लेकिन इसका असर राखी बांधने में कोई नहीं रहेगा । यह पर्व 26 अगस्त 2018 दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस
दिन भद्रा सूर्याेदय पूर्व ही समाप्त हो जाएगी अतः 26 अगस्त रविवार को
भद्रा विचार
रक्षा बंधन के दिन भद्रा सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी ।, सावन पूर्णिमा का आरंभ 25 अगस्त, शनिवार 15:16 बजे, सावन पूर्णिमा समाप्त - 26 अगस्त, रविवार 17:25 बजे
सुबह 7:43 से दोपहर 12:28 बजे तक एवम दोपहर -2:03 से 3:38 बजे तक.
इस अशुभ समय में न बांधें राखी,
काल चौघड़िया, दोपहर 12:28 से 2:03,
यम घंटा .दोपहर 3:38 से 5:13 बजे
राहुकाल. शाम 4:30 से 6 बजे तक
रक्षा बंधन , मुहूर्त, पर क्यों है आवश्यक ?
रक्षा बंधन के समय भद्रा अर्थात अशुभ समय नहीं होना चाहिए। संयोगवश
इस वर्ष राखी, रविवार , अवकाश के दिन पड़ रही है और शाम तक भद्रा रहित शुभ मुहूर्त रहेगा।
वैज्ञानिक युग में अधिकांश लोग मुहूर्त जैसे विशेष समय को महत्व नहीं देते , उल्टा इसे मजाक में ब्राहम्णवाद,रुढ़िवाद, ढकोसला आदि कहते है। उनका कहना है कि रब्ब ने सारे दिन एक जैसे बनाए हैं
और हर समय ठीक है तथा जब ठीक लगे तभी वह काम कर लेना चाहिए। परंतु शुभ मुहूर्त के
महत्व को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।ज्योतिषीय मान्यता है कि शुभ समय में आरंभ किये
गए कार्य में सफलता अधिक रहती है तथा उस कार्य में शुभता की वृद्धि की संभावना
अधिक रहती हैं l
क्यों बांधें राखी ? बहन को हैल्मेट क्यों दे
भाई शगुन में ?
आधुनिक युग में भाई - बहन एक दूसरे की पूर्ण सुरक्षा का भी
ख्याल रखें । नारी सम्मान हो। समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में
कमी आएगी। हैल्मेट लड़कियों को सड़क पर सुरक्षा प्रदान करेगी । भाई-बहन को स्नेह, प्रेम ,कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा
करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी
रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है। फिर
इन संबंधों को ताजा करने का अवसर आता है भईया दूज पर । राखी पर बहन ,भाई के घर राखी बांधने जाती है और भैया दूज पर भाई ,बहन के घर तिलक करवाने जाता है। ये दोनों त्योहार ,भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं जो आधुनिक युग में और भी महत्वपूर्ण
एवं आवश्यक हो गए हैं जब भाई और बहन, पैतृक
संपत्ति जैसे विवादों या अन्य कारणों से अदालत के चककर काटते नजर आते हैं । राखी
का पर्व टूटे संबंधों को बांधने का भी एक महत्वपूर्ण पर्व है। पुत्रियों के
मायके आने का जहां सावन एक अवसर है, रक्षा बंधन सबको
बांधने का एक बहाना है। बाबुल का आंगन गुलजार करने का एक मौका है। भाई - बहनों के
मध्य चल रहे गिले शिकवों को भुलाने का एक सुअवसर है। इसी लिए धागा बांधने के
बाद मिठाई खिलाने से दिल का गुबार मिठास में घुल जाता है। भारतीय उत्सवों का मजा
परिवार संग ही आता है। अतः रक्षा बंधन एक पारिवारिक मिलन है। सावन और सावन के
सोमवारों से चलता हुआ यह सिलसिला तीज से होता हुआ कृष्णोत्सव तक निर्बाध चलता रहता
है । रक्षाबंधन सुरक्षा का मात्र सूत्र ही नहीं रह जाता अपितु एक वचनबद्धता और
जिम्मेवारियों का बंधन बन जाता है। एक सम्मान सूचक तंत्र की जगह ले लेता है जिसमें
अपनेपन का एहसास समा कर स्नेह का बंधन बन जाता है । इस धागे का संबंध अटूट
होता है। जब तक जीवन की डोर और श्वांसों का आवागमन रहता है एक भाई अपनी बहन के लिए
और उसकी सुरक्षा तथा खुशी के लिए दृढ़ संकल्पित रहता है ।
इस विधि से बांधे राखी
बहनें भाई को लाल रोली या केसर या कुमकुम से तिलक करें , ज्योति से आरती
उतारते हुए उसकी दीर्घायु की कामना करे और मिठाई खिलाए। और राखी बांधते हुए ईश्वर
से उसकी लंबी आयु की और रक्षा की कामना करें, भाई
उपहार स्वरुप बहन को शगुन या उपहार अवश्य दे। पुलिस, सैनिक
बल तथा सैनिकों को भी रक्षार्थ राखी बांधी जाती है । पुरोहित अपने जजमानों के
रक्षा सूत्र बांधते हैं और उनके पालन पोषण का वचन लेते हैं। पुरोहित वर्ग को कलाई
पर रक्षासूत्र की मौली के तीन लपेटे देते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना
चाहिए-
! येन वद्धो बली राजा
दानवेन्द्रो महाबलः!, तेन त्वामबुध्नामि रक्षे मा चल मा चल !!
गृह सुरक्षा हेतु करें उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि मौली को गंगा जल से पवित्र करके
गायत्री मंत्र की एक माला करके अपने प्रवेश द्वार पर तीन गांठों सहित
बांधें तो घर की सुरक्षा पुख़्ता हो जाती है और चोरी, दरिद्रता तथा अन्य अनिष्ट से बचाव रहता है ।
रुठे भाई को मनाने के लिए
यदि आपका भाई किसी कारणवष रुष्ट है तो शुभ मुहूर्त पर एक पीढ़ी पर
साफ लाल कपड़ा बिछाएं। भ्राता श्री की फोटो रखें। एक लाल वस्त्र में सवा किलो जौ, 125 ग्राम चने की दाल,
21 बताशे, 21 हरी इलायची,
21 हरी किशमिश,125 ग्राम मिश्री,
5 कपूर की टिक्कियां ,11 रुपये
के सिक्के रखें और पोटली बांध लें । मन ही मन भाई की दीर्घायु की प्रार्थना करते
तथा मन मुटाव समाप्त हो जाने कामना करते हुए पोटली को 11बार फोटो पर उल्टा घुमाते हुए, पोटली को शिव
मंदिर में रख आएं। भाई दूज पर आपका भाई स्वयं टीका लगाने आ जाएगा ।
कौन से रंग का तिलक और राखी हो अपने भ्राता श्री
के लिए ?
मानवीय जीवन में रंगों का विशेष महत्व होता है। आज ही रंगों का
चुनाव कर लें बांधने और बंधवाने वाले भाई- बहन ।
भाई की चंद्र राशि के अनुसार cgu रक्षा क्वच
बांधें ।
मेष राशिः मंगल कामना करते हुए कुमकुम का तिलक लगाएं और लाल रंग की
डोरी बांधें।संपूर्ण वर्ष स्वस्थ रहेंगे ।, बृषभः सिर पर सफेद रुमाल रखें और
चांदी की या सिलवर रंग की राखी बांधें।रोली में अक्षत मिला लें । मन शांत और
प्रसन्न रहेगा ।, मिथुनःहरे वस्त्र से भाई का सिर ढांकें, हरे घागे या हरे रंग की
राखी आत्मविश्वास उत्पन्न करेगी ।, कर्कःचंद्रमा जैसे रंग अर्थात सफेद, क्रीम धागों से बनी मोतियों वाली राखी भइया का मन सदा शांत रखेंगी ।, सिंहः
गोल्डन रंग या पीली, नारंगी राखी और माथे पर सिंदूर या
केसर का तिलक आपके भाई का भाग्यवर्द्धन करेगा ।, कन्याः हरा या चांदी जैसा धागा या
रक्षासूत्र करेगा भाई की जीवन रक्षा ।, तुलाः शुक्र का रंग फिरोज़ी, सफेद, क्रीम का प्रयोग रुमाल, राखी और तिलक में प्रयोग करें, जीवन में सुख
समृद्धि बढ़ेगी ।, बृश्चिकः यदि भाई इस राशि के हैं तो चुनिये लाल गुलाबी और चमकीली
राखी या धागा और खिलाएं लाल मिठाई ।, धनुः गुरु का पीताम्बरी रंग भाई की
पढ़ाई में लगाएगा चार चांद। बांधिए उन्हें पीली रेशमी डोरी ।, मकरः ग्रे या
नेवी ब्लू रुमाल से सिर ढकें , नीले रंग के
मोतियों वाली राखी बचाएगी बुरी नजर से ।, कुंभः आस्मानी या नीले रंग की डोरी से
बनी राखी या डोरी भाग्यशाली रहेगी ।, मीनः हल्दी का तिलक , लाल ,पीली या संतरी रंग की राखी या धागा शुभता
लाएगा ।
भाई क्या उपहार दें बहन को ?
आप भी अपनी बहन को राखी के अवसर पर कुछ उपहार देना चाह रहे हैं तो
आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उपहार आपकी बहनों के लिए शुभ और लाभप्रद
रहे ना कि अशुभ फलदायी ।आज के संदर्भ में जहां रक्षा बंधन में बहन की रक्षा और उसकी सुरक्षा एक
मुख्य बिंदु है , वहां यदि
बहन दोपहिया वाहन का प्रयोग करती है तो उसे उसकी राशि के रंग अनुसार एक अच्छी
हेलमेट गीफट करना अधिक उपयोगी, सार्थक एवं सुरक्षात्मक रहेगा
। ऐसे गिफ्ट होते हैं
अशुभ
वास्तु के अनुसार, बहनों को किसी
भी परिस्थिति में नुकीली या काटने की वस्तुएं जैसे मिक्सी, चाकू का सेट, आइना, फोटो
फ्रेम्स आदि । इसके साथ ही रुमाल और तौलिया भी बहनों को बतौर गिफ्ट नहीं देना
चाहिए । इन्हें भी अशुभ माना जाता है ।
गिफ्ट होगा बहनों के लिए शुभ और लाभदायी
रक्षाबंधन पर बहन को रक्षा के संकल्प के साथ भाई को बहन के भविष्य
की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उपहार का चयन करना चाहिए। वैसे तीन तरह के उपहार जो
बहनों के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं वह हैं वस्त्र, गहने, पुस्तकें, मिठाइयां, मीठी वाणी, सोने-चांदी के सिक्के, ज्योतिषशास्त्र में बहनों का कारक बुध ग्रह को माना गया है इसलिए बुध से
संबंधित चीजें जैसे हरे वस्त्र, शिक्षा सामग्री, नकदी, चेक, बॉड दे
सकते हैं । मां
लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न एक ओर जहां रुमाल और तौलिया उपहार देना बहनों के लिए अशुभ होता है
वहीं उसे पहनने के लिए वस्त्र देना शुभ माना गया है । इसकी वजह यह है कि स्त्रियों
में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है । विवाहित कन्याओं को गृहलक्ष्मी भी कहा गया
है। इसलिए शास्त्रों का मत है कि भाई यदि बहनों को वस्त्र उपहार देते हैं तो
उन्हें देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
पुराणों तथा आधुनिक युग में रक्षा सूत्र
इंद्र की पत्नी ने इंद्र को ही राखी बांधी थी। यम को उनकी बहन
यमुना ने । लक्ष्मी जी ने राजा बली को। द्रौपदी ने कृष्ण के हाथ में चोट लगने पर ं
साड़ी का पल्लू बांधा था और इस पर्व पर वचन लिया।चीरहरण के समय भगवान कृष्ण ने
द्रौपदी की रक्षा की । चित्तौड़ की महारानी करमावती ने हुमायूं को चांदी की राखी
भेजी थी। सिकंदर को राजा पुरु की पत्नी ने राखी बांधी थी।सामाजिक संस्थाओं से
संबद्ध महिलाएं ,पुलिस
कर्मियों, सैनिकों ,जवानों
और राजनेताओं को आधुनिक युग में बांध रही हैं । राखी इलैक्ट्र्ानिक हो या डिजाइनर ,या ई मेल हो या डाक द्वारा भेजे गए चार धागे..... मुख्य बात है उसके पीछे
परस्पर विश्वास, दायित्व,कर्तव्य, निष्ठा और स्नेह। इसी प्रकार भाई अपनी बहन को राखी के फलस्वरुप क्या
उपहार देता है महत्वपूर्ण है रक्षासूत्र की भावना और उसकी लाज ।, इतिहास
साक्षी है कि भ्रातृ विरोध ने ही देश को विदेशियों के
हाथ सौंप दिया। भक्त प्रहलाद, भक्त ध्रुव की रक्षा
के लिए भगवान ने क्या कुछ नहीं किया ! उसी तरह रक्षा सूत्र के बंधन की
मर्यादा का निर्वाह करना चाहिए तभी यह परंपरा सार्थक सिद्ध होगी ।
मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिर्विद् ,98156-19620