Saturday 13 April 2019

NT24 News : चैतन्य गौड़ीय मठ में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह....................


चैतन्य गौड़ीय मठ में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह

NT24 News : गावं बहलाना के सैंकड़ों भाजपा कार्यकर्ता हुए कांग्रेस में शामिल ....................


गाँव बहलाना के सैंकड़ों भाजपा कार्यकर्ता हुए कांग्रेस में शामिल 

NT24 News : बंसल ने किरण खेर को बताया असफल सांसद................

बंसल ने किरण खेर को बताया असफल सांसद
कहा - की चंडीगढ़ की सरासर अनदेखी

NT24 News : प्री -प्राथमिक रिसोर्स पर्सन प्रशिक्षण का तीसरा दौर समाप्त............


प्री -प्राथमिक रिसोर्स पर्सन प्रशिक्षण का तीसरा दौर समाप्त
सूबे भर से 175 अध्यापकों ने नयी तकनीकों बारे ली अहम जानकारी

NT24 News : ये पंक्तियाँ ब्यान करती हैं ब्रिटिश सरकार के....................

ये पंक्तियाँ ब्यान करती हैं ब्रिटिश सरकार के समय हुए एक जघन्य हत्याकांड की जिसे सुनकर रूह कांप उठती है ।
एन टी 24 न्यूज़
चंडीगढ़
गुरबक्श रावत के ज़ुबानी जलियांवाला की यादें
*क़रीब 1650 गोलियां चलीं हमारे सीने पर ।
पेरों मे बेड़ी डाल, बंदिशें लगी हमारे जीने पर ।।
रक्तपात करुण क्र्दन, बस चारों ओर यही था ।
पत्नी के कंधे लाश पति की और जड़ चेतन में मातम था ।।
इंक्लाब का ऊँचा स्वर इस पर भी साथियों दबा नही ।
भारत माँ का जयकारा मौत उगलती बंदूकों से भी डरा नही ।।*
बात कर रही हूं 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुए जलियां वाले बाग हत्याकांड की । अमृतसर के विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर से कुछ पहले जलियां वाले बाग की तख्ती दीवारों पर लगे गोलियों के निशान 100 साल बाद भी चीख चीख कर जनरल डायर की बर्ब्र्ता की गवाही दे रहे हैं। कहा जाता है कि रॉलेट एक्ट के विरोध में बेसाखी वाले दिन जलियाँवाला बाग में जनसभा हो रही थी, स्थानीय नेता अपनी अपनी तदबीर दे रहे थे तभी जनरल डायर ब्रिटिश सिपाहियों के साथ आ पहुंचा। सिपाहियों ने अपनी अपनी पोजीशन संभाली और बिना किसी चेतावनी के जनरल डायर ने गोलियां चलाने का हुक्म दे दिया। देखते ही देखते चीक पुकार मच गई और धरती रक्त रंजित हो गई। उसके सैनिकों ने 10 मिनट के अंदर 1650 राउंड गोलियां चलाई थी। यहां तक की जान बचाने के लिए 120 लोग गहरे कुएं में कूद गए थे और मारे गये। गोलियां खाने वालों में  सभी धर्मों के लोग थे, कहा जाता है कि इस घटना में 400 से अधिक लोग मारे गए जबकि 2000 से अधिक जख्मी हो गए थे। अमृतसर के जिला कलेक्टर के दफ्तर में मौजूद सूची के मुताबिक 418 लोग शहीद हुए थे। अंग्रेज सरकार के अभिलेखों में 379 लोगों के मारे जाने और 200 लोगों के घायल होने का जिक्र है कहा जाता है कि मरने वालों में 337 पुरुष, स्त्रियाँ 41 नाबालिग और 6 सप्ताह का बच्चा भी शामिल था। जबकि गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1000 से भी अधिक लोग मारे गए थे । गुलाम हिंदुस्तान के दौर में काल के कपाल पर लिखी एक ऐसी दुखद घटना है जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता ।  घटना को लेकर देश के लोग कितने आक्रोशित थे इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है रविंद्र नाथ टैगोर ने नाइटहुड की उपाधि लौटा दी थी। रविंद्र नाथ टैगोर की इस पीड़ा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 23 से 26 अप्रैल के बीच सीएफ रूट्स को एक के बाद 5 खत लिख डाले थे। जिस समय जनरल डायर ने गोली चलाई 14 साल के उधम सिंह उस जलसे में शामिल लोगों को पानी पिला रहे थे, वह इस घटना में जिंदा बच गए थे और उन्होंने 21 साल बाद लंदन में लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल माइकल ऑफ डायर की हत्या कर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया।  साथियों इस घटना का शख्स एक और जो जिंदा बच गया था  वह 22 साल का नानक सिंह बेहोश होकर भाग- दौड़ में ही जमीन पर गिर पड़ा था और उनके ऊपर लोगों की लाशें थी और नीचे नानक सिंह दबे हुए थे । इसी नानक सिंह ने 1920 में खूनी बैसाखी नाम से एक कविता लिखी जिसे ब्रिटिश सरकार ने इसके प्रकाशन के लिए उस समय बाद सरकार विरोधी मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया और इसकी मूल प्रतियां जब्त कर ली।चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह और रामप्रसाद अन्य क्रांतिकारी जलियां वाले बाग की मिट्टी से उपजे, जिन्होंने हकूमत की नींव  हिला कर रख दी। जिस समय जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ उस समय शायद हसन मंटो की आयु 7 वर्ष थी मंटू उर्दू के प्रसिद्ध कहानीकार हुए उन्होंने जलियां वाले बाग पर आधारित तमाशा राम की पहली कहानी लिखी शायद उनकी अपनी कहानी थी। उन्होंने उस समय जो महसूस किया था जिसे उन्होंने शब्दों में पिरोया। गुजरते समय के साथ जलियां वाले बाग पर कई लेखकों ने हिंदी अंग्रेजी में कई किताबें लिखी ।1997 में जलियां वाले बाग पर फिल्म भी बनी जिसमें विनोद खन्ना और शबाना आज़मी ने अभिनय किया 1981 सलमान रशीद मैं मिडनाइट चिल्ड्रन नाम का उपन्यास लिखा जिस पर 2012 में फिल्म बनी जलियांवाला बाग घटना पर 2017 में फिलौरी नाम की फिल्म बनी लोगों ने काफी पसंद किया । मैं हाल ही में पिछले वर्ष दिसम्बर माह के अंत में वहाँ गई थी और वहाँ पर इस हत्याकांड के प्रमाण, संग्रहालय, शहीदी स्मारक, उस समय के हालात बयान करती पेंटिंगस देख कर एेसा लगा मानो जैसे उस वाक्या के दर्द को महसूस कर रहीं हो। ख़ून खौल उठता है अंग्रेज़ सरकार की उस दरिन्दगी को देख कर। शहीदों के रक्त से सिंचित जलियांवाला बाग की माटी किसी चंदन से कम नहीं है जिसे माथे पर लगा कर बार-बार नमन करने का मन करता है ।

NT24 News : भविष्य में बस चलाने का सपना है: पूनम नेगी ट्रक ड्राइवर

भविष्य में बस चलाने का सपना है : पूनम नेगी ट्रक ड्राइवर
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
महिलाएं चाहे शहर को हो या गांव की अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकती है ऐसा ही कुछ किन्नौर हिमाचल की 25 वर्षीय युवती पूनम नेगी ने कर दिखाया। पूनम नेगी हिमाचल की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में अपने भाई का हाथ बताती हैं ड्राइविंग में उन्हें बचपन से रुचि थी उनके घर में सब अच्छे ड्राइवर हैं पूनम आज चंडीगढ़ में राष्ट्रीय प्रतिष्ठित महिला पुरस्कार समारोह में पुरस्कार लेने आई हुई थी। उन्होंने बताया कि पहाड़ पर संकते रास्तों पर गाड़ी चलाना आसान नहीं होता हर काम में जोखम है। पर अब कुछ समस्या नहीं ड्राइविंग करना अच्छा लगता है उन्होंने बताया कि उनकी 15 साल की बाल अवस्था में विवाह हो गया था लेकिन पिछले 7 साल पहले वह अपने पति से अलग हुई तो उन्होंने गंभीरता से सोचा कि क्यों ना अपने शौक को पैशन में बना लिया जाए। बस यही सोच कर ड्राइविंग की ट्रेनिंग ली और फिर जेसीबी क्रेन बुलडोजर बाइक ट्रक समेत 7 ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर लिए । यूं तो वह 7 साल से ड्राइविंग कर रही हैं पर पिछले 3 साल से प्रोफेशनल ड्राइविंग की ओर कदम बढ़ाएं हैं भविष्य में बस चलाने का सपना है ।