Friday 17 August 2018

* आज का हिन्दू पंचांग * ..... Vinay Kumar


* दिनांक - 18 अगस्त 2018 *,  * दिन – शनिवार *, * विक्रम संवत – 2075 *, * शक संवत -1940 *, * अयन – दक्षिणायन *, * ऋतु – वर्षा *, * मास – श्रावण *, *  पक्ष – शुक्ल *, * तिथि - 19/8 रात्रि 01:47 तक अष्टमी *, * नक्षत्र - शाम 05:21 तक विशाखा *, * योग - शाम 02:55 तक ब्रह्म *, * राहुकाल - सुबह 09:19 से 10:54 *, * सूर्योदय - 06:18 *, * सूर्यास्त - 19:06 *,  * दिशाशूल - पूर्व दिशा में *, * व्रत पर्व विवरण *, * विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) *, * अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38) *, * चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण) *, * चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है । *, * ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण') *, * शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण') *, * हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण) *,
* सेवफल (सेब) *
 * प्रातःकाल खाली पेट सेवफल का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। सेब को छीलकर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसके छिलके में कई महत्त्वपूर्ण क्षार होते हैं। इसके सेवन से मसूड़े मजबूत व दिमाग शांत होता है तथा नींद अच्छी आती है। यह रक्तचाप कम करता है। *, * सेब वायु तथा पित्त का नाश करने वाला, पुष्टिदायक, कफकारक, भारी, रस तथा पाक में मधुर, ठंडा, रुचिकारक, वीर्यवर्धक हृदय के लिए हितकारी व पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला है। *, * सेब के छोटे-छोटे टुकड़े करके काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में डालकर चाँदनी रात में ऐसी खुली जगह में रखें जहाँ उसमें ओस पड़े। इन टुकड़ों को सुबह एक महीने तक प्रतिदिन सेवन करने से शरीर तंदुरुस्त बनता है। *, * कुछ दिन केवल सेब के सेवन से सभी प्रकार के विकार दूर होते हैं। पाचनक्रिया बलवान बनती है और स्फूर्ति आती है। *, * युनानी मतानुसार सेब हृदय, मस्तिष्क, यकृत तथा जठरा को बल देता है, खून बढ़ाता है तथा शरीर की कांति में वृद्धि करता है। *, * इसमें टार्टरिक एसिड होने से यह एकाध घंटे में पच जाता है और खाये हुए अन्य आहार को भी पचा देता है। *, * सेब के गूदे की अपेक्षा उसके छिलके में विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है। अन्य फलों की तुलना में सेब में फास्फोरस की मात्रा सबसे अधिक होती है। सेब में लौहतत्त्व भी अधिक होता है अतः यह रक्त व मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलताओं के लिए हितकारी है। *,
* औषधी प्रयोग *
* रक्तविकार एवं त्वचा रोगः रक्तविकार के कारण बार-बार फोड़े-फुंसियाँ होती हों, पुराने त्वचारोग के कारण चमड़ी शुष्क हो गयी हो, खुजली अधिक होती हो तो अन्न त्यागकर केवल सेब का सेवन करने से लाभ होता है। *, * पाचन के रोगः सेब को अंगारे पर सेंककर खाने से अत्यंत बिगड़ी पाचनक्रिया सुधरती है। *, * दंतरोगः सेब का रस सोडे के साथ मिलाकर दाँतों पर मलने से दाँतों से निकलने वाला खून बंद व दाँत स्वच्छ होते हैं। *, * बुखारःबार-बार बुखार आने पर अन्न का त्याग करके सिर्फ सेब का सेवन करें तो बुखार से मुक्ति मिलती है व शरीर बलवान बनता है। *
* सावधानीः सेब का गुणधर्म शीतल है। इसके सेवन से कुछ लोगों को सर्दी-जुकाम भी हो जाता है। किसी को इससे कब्जियत भी होती है। अतः कब्जियत वाले पपीता खायें। *
* वास्तु शास्त्र *
* मेन गेट के सामने गंदा पानी इकट्ठा रहता हो तो घर के लोगों को धन संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। *
* पति-पत्नी के झगड़े या अनबन *
* पति-पत्नी में झगड़े होते हों, तलाक की नौबत आ जाए अथवा पति-पत्नी में मन नहीं बनता है तो पति अपने सिर के नीचे सिन्दूर रख के सो जाए और पत्नी अपने सिर के नीचे कपूर रख के सो जाए । सुबह उठे तो कपूर की आरती कर डालें और पति सिन्दूर घर में फ़ेंक दें, तो पति-पत्नी का स्वभाव अच्छा हो जायेगा । *


* आज का हिन्दू पंचांग *.... Vinay kumar


दिनांक - 17 अगस्त 2018*, * दिन – शुक्रवार *,  * विक्रम संवत – 2075 *, * शक संवत -1940 *, * अयन – दक्षिणायन *, * ऋतु – वर्षा *, * मास – श्रावण *, * पक्ष – शुक्ल *, * तिथि - 18/8 रात्रि 01:00 तक सप्तमी *, * नक्षत्र - शाम 04:11 तक स्वाती *, * योग - शाम 03:34 तक शुक्ल *, * राहुकाल - सुबह 10:54 से 12:30 *, * सूर्योदय - 06:18 *, *सूर्यास्त - 19:06* ,  *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में *, * व्रत पर्व विवरण - संत तुलसीदास जयंतीविष्णुपदी संक्रांति  (पुण्यकाल सुबह 06:52 से दोपहर 01:16 तक) *, * विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा  शरीर का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराणब्रह्म खंडः 27.29-34) *, * चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण) *, * चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है ।*,
* श्रावण शनिवार *
* बहुत लोगों को श्रावण शनिवार का पूरे वर्ष इंतज़ार रहता है। *,
* स्कन्दपुराण के अनुसार *
* " श्रावणे मासि देवानां त्रयानां पूजनं शनौ। नृसिंहस्य शनैश्चव्य अञ्जनीनन्दनस्य च ।।" *, * श्रावण मास में शनिवार के दिन नृसिंह, शनि तथा अंजनीपुत्र हनुमान इन तीनों देवताओं का पूजन करना चाहिए। *,
* शिवपुराण के अनुसार*
* अपमृत्युहरे मंदे रुद्राद्रींश्च यजेद्बुधः ॥ *, * तिलहोमेन दानेन तिलान्नेन च भोजयेत् ॥ (शिवपुराण, विध्येश्वर संहिता) *, * शनैश्चर अल्पमृत्यु का निवारण करने वाला है, उस दिन बुद्धिमान पुरुष रुद्र आदि की पूजा करे। तिल के होम के , दान से देवताओं को संतुष्ट करके ब्राह्मणों को तिलमिश्रित अन्न भोजन कराएं। *,* स्कन्दपुराण के अनुसार श्रावण शनिवार को हनुमान पूजा : *, 1. “ शनिवारे श्रावणे च अभिषेकं समाचरेत, रुद्रमंत्रेण तैलेन हनुमत्प्रीणनाय च। तैलमिश्रितसिन्दूरलेपमं तस्य समर्पयेत” रुद्रमंत्र के द्वारा तेल से हनुमान जी का अभिषेक करना चाहिए। तेल में मिश्रित सिन्दूर का लेप उन्हें समर्पित करना चाहिए। *, * 2. जपाकुसुम, आक, मंदारपुष्प की मालाओं से , नैवेद्य से उनकी पूजा करनी चाहिए। *,* 3. “जपेद्द्वादश नामानि हनुमत्प्रीतये बुधः” हनुमान जी के 12 नामों का जप करना चाहिए। *,*"हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।। *,* उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:। * * लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।। " *, * जो मनुष्य प्रातःकाल उठकर इन बारहनामों को पढ़ता है, उसका अमंगल नहीं होता और उसे सभी सम्पदा सुलभ हो जाती है। *, * 4. हनुमान जी के मंदिर में हनुमत्कवच का पाठ करना चाहिए।*,*“ श्रावणे मंदवारे तु एवमाराध्य वायुजं। वज्रतुल्यशरीरः स्यादरोगो बलवान्नरः।। *, * वेगवान्कार्यकरणे बुद्धिवैभवभूषितः। शत्रु: संक्षयमाप्नोति मित्रवृद्धि: प्रजायते।। *, * वीर्यवान्कीर्तिमांश्चैव प्रसादादंञ्जनीजने। ” *,* इस प्रकार श्रावण में शनिवार के दिन वायुपुत्र हनुमानजी की आराधना करके मनुष्य वज्रतुल्य शरीर वाला, निरोग और बलवान हो जाता है। अंजनीपुत्र की कृपा से वह कार्य करने में वेगवान, तथा बुद्धि वैभव से युक्त हो जाता है, उसके शत्रु नष्ट हो जाते हैं, मित्रों की वृद्धि होती है और वह वीर्यवान तथा कीर्तिमान हो जाता है। *
* स्कन्दपुराण के अनुसार श्रावण शनिवार को शनि पूजा:*
* शनि की प्रसन्नता के लिए एक लंगड़े ब्राह्मण और उसके अभाव में किसी ब्राह्मण के शरीर में तिल का तेल लगाकर उसे उष्ण जल से स्नान कराना चाहिए और श्रद्धायुक्त होकर खिचड़ी उसे खिलाना चाहिए। तत्पश्च्यात तेल, लोहा, काला तिल, काला उडद, काला कंबल, प्रदान करना चाहिए। इसके बाद व्रती यह कहे कि मैंने यह सब शनि की प्रसन्नता के लिए किया है, शनिदेव मुझपर प्रसन्न हों। तदनन्तर तिल के तेल से शनि का अभिषेक कराना चाहिए। उनके पूजन मेजन तिल तथा उड़द के अक्षत प्रशस्त माने गए हैं। *, *उसके बाद शनि का ध्यान करें: *, शनैश्चरः कृष्णवर्णो मन्दः काश्यपगोत्रजः। *, सौराष्ट्रदेशसम्भूतः सूर्यपुत्रो वरप्रदः। दण्डाकृतिर्मण्डले स्यादिन्द्रनीलसमद्युतिः। *, बाणबाणासनधरः शूलधृग्गृध्रवाहनः। यमाधिदैवतश्चैव ब्रह्मप्रत्यधिदैवतः। *, कस्तूर्यगुरुगन्ध: स्यात्तथा गुग्गुलुधूपकः। कृसरान्नप्रियश्चैव विधिरस्य प्रकीर्तितः। *, * पूजा में कृष्ण वस्तु (काली वस्तु) का दान करना चाहिये । ब्राह्मण को काले रंग के दो वस्त्र देने चाहिए और काले बछड़े सहित काली गौ प्रदान करनी चाहिए । *
* शनि पूजन में वैदिक मंत्र: *
* ॐ  शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। *, शंयोरभिस्र वन्तु न:। ॐ शनैश्चराय नम:। *, * भगवान् शिव, शनिदेव के गुरु हैं। शिव ने ही शनि को न्यायाधीश का पद सौंपा था जिसके फलस्वरूप शनि देव मनुष्य/देव/पशु सभी को कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इसलिए श्रावण के महीने में जो भी भगवान् शिव के साथ साथ शनि की उपासना करता है उसको शनि के शुभ फल प्राप्त होते हैं। भगवान् शिव के अवतार पिप्पलाद, भैरव तथा रुद्रावतार हनुमान जी की पूजा भी शनि के प्रकोप से रक्षा करती है । *