Monday, 22 October 2018
National Tele24 News (NT24 News): लोगों को खिंच लाएगी उत्सव शॉपिंग फेस्टिवल की धूम
National Tele24 News (NT24 News): लोगों को खिंच लाएगी उत्सव शॉपिंग फेस्टिवल की धूम: लोगों को खिंच लाएगी उत्सव शॉपिंग फेस्टिवल की धूम एन टी 24 न्यूज़ चंडीगढ़ पिछले 18 सालों से हर वर्ष की तरह इस साल भी शहर वासियों क...
गृह एवं पर्यटन सचिव ने किया एडवेंचर कैस्टल एवं शिकारा का उद्घाटन
गृह एवं पर्यटन
सचिव ने किया एडवेंचर कैस्टल एवं शिकारा का उद्घाटन
एन टी 24
न्यूज़
चंडीगढ़
स्थानीय
और बाहर से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन के पर्यटन
विभाग की ओर से हर प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं l इसमें सुखना लेक पर आने वाले
विदेशी व स्वदेशी पर्यटकों के लिए एडवेंचर कैस्टल एवं शिकारा को उतारा गया l शिकारा
बोट को पूरे परिवार के साथ लेकर मनमोहक दृश्य को देखने का आनंद ले सकेंगे l एडवेंचर
खेल गतिविधियों में कई प्रकार की गेम्स को शुरू किया है l जिससे यहां आने वाले
पर्यटकों के लिए कुछ नया अनुभव मिल सके l सोमवार को इन सेवाओं का शुभारंभ गृह एवं
पर्यटन सचिव अरुण कुमार गुप्ता ने पर्यटन निदेशक जितेंद्र यादव की उपस्थिति में
किया l इसी दोरान गृह सचिव ने लेख में उतारी नई शिकारा बोट में भ्रमण कर आनंद भी
लिया l
लोगों को खिंच लाएगी उत्सव शॉपिंग फेस्टिवल की धूम
लोगों को खिंच लाएगी उत्सव शॉपिंग फेस्टिवल की धूम
एन टी 24 न्यूज़
चंडीगढ़
पिछले 18 सालों से हर वर्ष
की तरह इस साल भी शहर वासियों के मनोरंजन के लिए आकर्षण का केंद्र बना सेक्टर 34 मेला ग्राउंड में दिवाली तक चलने वाला मेला जो की चंडीगढ़ की शान माना
जाता है जिसका लोगों को बेसब्री से इन्जार रहता
है वह इन्जार ख़तम हो गया l आयोजकों के अनुसार इस वर्ष पिछले
वर्षो से अधिक दर्शकों के आने की संभावना है l सांस्कृतिक
छटा को विखेरता यह मेला जहां ग्राहकों के लिए शॉपिंग के अनेकों विकल्प प्रदान करता
है वहीं दूसरी और खाने-पीने के साथ – साथ झूलों में मनोरंजन
की भरमार भी बिखेरता है l
मेले के आयोजक सुरेश कपिला ने बताया कि मेले में इस साल भी सर्दियों के
आगमन पर लोग कश्मीर की शालों व अन्य कपड़ों की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं इस मेले
में कश्मीर से लेकर यूपी तक के प्रदर्शनी कार आए हुए हैं l इस
बार भी पंजाबी और राजस्थानी जूतियां सबकी पसंद बनी हुई है l यूपी
की खुजरा पोट्री, चीनी मिट्टी के बर्तन और कारपेट की खरीदारी
से भी कोई अपने आप को वंचित रखना नहीं चाहता l प्रसिद्ध
सहारनपुर के फर्नीचर की झलक और खरीद यहां मेले में उपलब्ध है l डिजाइनर सूट और कुर्ती के साथ-साथ सिल्क साड़ियां लखनऊ की चिकनकारी सहित
अन्य कपड़ों की रेंज लोगों के लिये यहाँ पेश की गई है l आयोजक
कपिल ने बताया कि चटपटा और स्वादिस्ट खाना खाने के बिना मेले में घूमना तो व्यर्थ
सा है तो शॉपिंग के साथ-साथ लोग विशेष राजस्थानी फूड के सटाल जिसमे राजस्थान के
पारंपरिक व्यंजनो का लुफ्त जो शायद आप ने पहले कभी ना लिया हो फास्ट फूड के अनेको
विकल्पों के बीच दिल्ली की चाट और बर्फ का गोला भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है l
सभी के सेवन के बाद अंत में आग उगलता पान जो कि पहले बार चंडीगढ़ में लाया
गया है, मुंह में डालते असानी से पिघल जाता है यह
अनोखा पान लोगों को खूब भा रहा है । देर शाम तक
सांस्कृतिक आयोजनों के लिये एक विशेष स्टेज तैयार किया गया है जहां कलाकार अपनी
प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं । मैं लोगों से अपील करता
हूँ के वे इस बार के इस मेले का आनंद लेने ज़रूर आयें
सिख महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना है अनिवार्य, प्रसासन ने मांगे लोगों से सुझाव
एन टी24 न्यूज़
चंडीगढ़
चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा मोटर
वाहन नियम में संशोधन करते हुए सिख महिलाओं को खासतोर पर पगड़ी पहने महिलाओं को
दिल्ली सरकार की तर्ज पर हेलमेट पहनने से छूट देते हुए कहा कि शहर में दोपहिया
वाहन चलाते समय या वाहन के पीछे बैठी सीख महिलाओं को पगड़ी या हेलमेट पहनने के
लिये कहा है l वहीं प्रशासनिक ट्रांसपोर्ट
विभाग ने नगर वासियों से इस नियम में संशोधन करने के लिए 30 दिन के भीतर अपने मत रखने को
कहा है महिलाओं के सुझावों के आधार पर इस एक्ट में संशोधन कर इसकी अधिसूचना को
जारी किया जाएगा l शहर में प्रशासन की ओर से उच्च न्यायालय के आदेश पर पहले ही दो
पहिया वाहन चलाने वाली व पीछे बैठने वाली महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर
दिया था l प्रशासन के इस फैसले का शिरोमणि अकाली दल की ओर से विरोध किया गया l वहीं
शहर में कुछ दिनों से एमएचए की ओर से प्रशासन को दिल्ली सरकार की तर्ज पर सिख
महिलाओं को हेलमेट पहनने से निजात देने की बात के बाद चंडीगढ़ ट्रेफिक पुलिस की ओर
से बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चलाने वाली महिलाओं के चालान करने पर भी प्रतिबंध
लगा दिया हैं l
FACULTY DEVELOPMENT PROGRAM AT HOME SCIENCE COLLEGE
FACULTY DEVELOPMENT PROGRAM AT HOME SCIENCE
COLLEGE
Chandigarh
A
One Day Capacity Building Workshop in Trending Innovations in Designing
Interiors and Jewelry under the aegis of RUSA was held at Home Science College
as part of the ongoing faculty development program. About 100 participants
comprising of faculty members and students formed a part of the workshop. In
the first session, Ms. Gurjot Shan, Assistant Professor cum Academic
Coordinator, Department of Interior designing, Chandigarh University talked
about the latest design trends and interior space elements. She emphasized the
importance of use of color and contemporary styles of furniture. She discussed
the move of trends from highlighting walls to statement ceilings and encouraged
the use of retro styles from the 70’s. The second session was conducted by Ms.
Rupi Rupinder, Alumnae of the college. She demonstrated the art of making
simple jewelry using paper, lace, gotta etc. by using raw materials such as
flowers, pieces of cloth easily available at home, she made beautiful jewelry
pieces for the ears, neck and bracelets. She also exhibited different styles of
trousseau packing as well as gift packing especially for the festive season. Principal
Prof. Sudha Katyal emphasized the importance and need to be creative and
encouraged the participants to explore more avenues and widen their horizons of
learning.
FINAL RESULTS CBSE North Zone-II Football Tournament (Girls) 2018
FINAL RESULTS
CBSE North Zone-II Football Tournament (Girls) 2018
Chandigarh
PML S D Public
School, Sector 32C, Chd. organized CBSE North Zone-II Football Tournament (Girls) 2018 from 20th
Oct, 2018 to 22nd Oct, 2018 at Govt. College, Sector 46, Chandigarh.
The closing ceremony of the tournament was on 22nd Oct, 2018 at PML
S D Public School, Sector 32C, Chd. The chief guest of the day was Mr. K. K.
Sharma, Sir (PCS Retd.) Chairman cum Manager of the school. In Under -19 girls
category, the first prize was bagged by Colonel
Public School, Gurgoan, 2nd prize was bagged by Path seeker’s School, Amritsar whereas the third
prize was bagged by PML
S D Public School, Chd. winners of various categories were awarded with
Trophies, certificates of merit and medals.
Diwali Exhibition by Special Cell Bhavan Vidyalaya, Chandigarh
Diwali Exhibition
by Special Cell Bhavan Vidyalaya, Chandigarh
Chandigarh
An Exhibition
and sale was organised by Special Cell students of Bhavan Vidyalaya,
Chandigarh. Diwali Items such as Diyas, Shagun Envelopes, Bandhanwar and
curtain strings made by students were sold. This activity helped them in
interacting with customers and develop social skills.
एक बार फिर सबरीमाला में आस्थाओं की जीत : विहिप
एक बार फिर सबरीमाला में आस्थाओं की जीत : विहिप
एन 24
न्यूज़
चंडीगढ.
विश्व हिन्दू परिषद
चंडीगढ़ ने अय्यप्पा समाज के लोगो के साथ शांति पूर्ण मार्च सेक्टर 31 भगवान कार्तिकेय मंदिर से
सेक्टर 47 अय्यप्पा मंदिर तक निकला.जिस में
विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के और अय्यप्पा समाज और भगवान कार्तिकेय मंदिर कमेटी
और अय्यप्पा मंदिर कमेटी के सभी पदाधिकारियो ने भाग लिया । सबरीमाला में अय्यप्पा भगवान के भक्तों पर जिस तरह की बर्बरता और
गुंडागर्दी केरल पुलिस द्वारा की गई उससे ऐसा लग रहा था मानो मार्क्सवादी गुंडे
खाकी पहनकर हिंदुओं की आस्था पर प्रहार करने आ गए हो। विश्व हिंदू परिषद के मंत्री
सुरेश कुमार राणा ने शांतिपूर्ण ढंग से सत्संग कर रहे भक्तों पर सीपीएम सरकार
द्वारा किए गए अत्याचारों की निंदा करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की। विजयन की पुलिस
ने न केवल लाठीचार्ज और पत्थर बाजी की अपितु भक्तों के वाहनों को तोड़ कर उनमें
रखे समान को भी लूटा। प्रशासन की सब प्रकार की बर्बरता के बावजूद वह भक्तों की
आस्था नहीं कुचल सकी। आस्था की विजय हुई तानाशाही की पराजय हुई। हिंदुओं की आस्था
को हमेशा से कुचलने का प्रयास करने वाली सीपीएम सरकार ने वहां धारा 144 लगाकर हिंदू आस्था का मजाक उड़ाने वाली कुछ महिलाओं का मंदिर में जबरन
प्रवेश कराने का षड्यंत्र किया है ।
सुरेश
राणा ने चेतावनी देते हुए कहा कि अपने षड्यंत्र में वे सफल नहीं हो पाएंगे। और
सबरीमाला में आज जिस
तरह की परिस्थिति बनी है उसके लिए केवल सीपीएम सरकार व
उनके द्वारा पोषित हिंदू फोबिया से ग्रस्त कुछ तथा-कथित मानवाधिकारवादी ही
जिम्मेदार हैं। महिलाओं को अधिकार दिलाने की आड़ में ये तत्व वास्तव में हिंदू
आस्था को ही कुचलने का प्रयास करते रहे हैं। इन तत्वों ने कभी पादरी द्वारा
बलात्कार से पीड़ित नन के लिए आवाज नहीं उठाई अपितु, पीड़ित
नन को वेश्या कहने का दुस्साहस किया है। मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश पर
भी उनकी जवान को लकवा मार जाता है। महिला अधिकारों की रक्षा में सीपीएम का रिकार्ड
हमेशा संदिग्ध रहा है। उनके पॉलिट ब्यूरो में किसी महिला को तभी प्रवेश मिला है जब
उनके पति पार्टी के महासचिव बने हैं। बंगाल के नंदीग्राम और सिंगुर में उन्होंने
महिलाओं के ऊपर जो अत्याचार किए हैं, उससे उनका चरित्र समझ
में आता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रवेश की मांग करने वाला कोई भी
आस्थावान नहीं है। अपितु अब इस तरह की महिलाएं सामने आ रही हैं जो अपने पुरुष
मित्र के साथ मंदिर में जाकर भगवान के सामने यौन संबंध बनाने की धमकी देती है और
वहां कंडोम की दुकान खोलने की बात करती है ।
राणा
ने यह भी कहा कि हिंदू कभी महिला विरोधी नहीं रहा है । परंतु हर मंदिर की कुछ
परंपराएं रहती है जिनका सम्मान प्रत्येक को करना चाहिए । इन्हीं विविध परम्पराओं के
कारण अनेकता में एकता भारत की विशेषता बन गई। ऐसा लगता है ये सब लोग मिलकर भारत की
आत्मा पर ही प्रहार करना चाहते हैं । भारत में ऐसे कई मंदिर है जहां पुरुषों का
प्रवेश वर्जित है। क्या ये लोग उन परंपराओं को पुरुष विरोधी कहेंगे? हिंदू फोबिया से ग्रस्त कुछ कथित बुद्धिजीवियों ने अय्यप्पा के भक्तों के
लिए गुंडे शब्द का प्रयोग किया है । विहिप इन अपशब्दों के लिए उनकी निंदा करती है।
यह आंदोलन पूर्ण रुप से अहिंसात्मक रहा है । लाखों भक्त सड़क पर उतरे हैं परंतु,
हिंसा की बात तो छोडो, कभी किसी के लिए अपशब्द
का भी प्रयोग नहीं किया गया। उनके इस शांतिपूर्ण आंदोलन की प्रशंसा करने की जगह
अपशब्दों का प्रयोग कर वे अपनी मानसिकता को स्पष्ट कर रहे हैं। उन को समझना चाहिए
कि हिंदू हमेशा परिवर्तनशील रहा है । क्या दक्षिण के मंदिरों में दलित पुजारियों को
स्वीकार नहीं किया गया? परन्तु यह परिवर्तन इन आस्थावानों के
अंदर से ही आना चाहिए । कोई भी बाह्य तत्व इनको थोप
नहीं सकता । विहिप के मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि सबरीमाला की यह परंपरा किसी को
अपमानित नहीं करती, कष्ट नहीं देती । यह परंपरा पूर्ण रुप से
संविधान की धारा 25 के अंतर्गत ही है । इसलिए यह लड़ाई
संविधान की दायरे में रहकर संविधान की भावना की रक्षा करने के लिए ही है । तीन
तलाक के कानून का विरोध करने वाले किस मुंह से इस आंदोलन का विरोध कर सकते हैं ?
सीपीएम सरकार ने देवसवोम बोर्ड का संविधान इस प्रकार बदल दिया है कि
वे हिंदू मंदिरों को गैर हिंदुओं के हवाले कर सकें । विश्व हिंदू परिषद उनके इस
संविधान विरोधी और हिंदू विरोधी षड्यंत्र की कठोरतम शब्दों में निंदा करते हुए
चेतावनी देती है कि वह हिंदुओं को कुचलने का अपना अपवित्र षड्यंत्र बंद करे। वे
केरल तक सिमट गए हैं । हिंदुओं के विरुद्ध लड़ाई में वहां से भी साफ हो जाएंगे ।
उन्हें अपनी गलती स्वीकार कर के पुनर्विचार याचिका
डालनी चाहिए । उन्हें हिंदू आस्था की प्रबलता ध्यान में आ गई होगी ।
23 व 24 की शरद पूर्णिमा पर खीर को औषधि बना कर खाएं....जाने फल मदन गुप्ता सपाटू से l
23 व 24 की शरद पूर्णिमा पर खीर को औषधि बना कर खाएं
विनय कुमार
चंडीगढ़
ज्योतिष के अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष के उत्तरा
भाद्रपद नक्षत्र पर पड़ने वाली पूर्णिमा पर, चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होने से सोलह कला संपूर्ण होता
है। इस रात्रि में चंद्र किरणों में अमृत का निवास रहता है , अतः उसकी रश्मियों से अमृत और आरोग्य की प्रप्ति
होती है । मान्यता है कि चंद्र किरणों में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे मूहूर्त में
मौजूद होते हैं जो शरीर को बल प्रदान करते हैं, निरोग बनाते हैं तथा संतान प्राप्ति में सहायक होते हैं ।
शरद पूर्णिमा – 23-24 अक्तूबर 2018, चंद्रोदय – 17:14 बजे (23 अक्तूबर 2018), चंद्रोदय - 17:49 बजे (24 अक्तूबर 2018), पूर्णिमा तिथि आरंभ 2:36 बजे (23 अक्तूबर 2018), पूर्णिमा तिथि
समाप्त – 22:14 बजे (24 अक्तूबर 2018)
यह पूर्णिमा 23 अक्तूबर ,मंगलवार की रात्रि 10 बजकर 37 मिनट पर आरंभ
होगी और अगले दिन बुधवार की रात 10
बजकर 15 मिनट तक रहेगी । यदि आप
शरद पूर्णिमा का व्रत रखना चाहते हैं तो शास्त्रा- वचनानुसार, यह व्रत बुधवार को ही रखना चाहिए ।इस दिन कोजागर
व्रत जिसे कौमुदी व्रत भी कहते हैं, रखा जाता है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा अर्थात रासोत्सव भी
माना जाता है। इस रात चंद्र किरणों में विशेष प्रभाव माना जाता है जिसमें से अमृत
सुधा बरसता है । जिन दंपत्तियों को संतान न होने की समस्या है, वे शरद पूर्णिमा पर यह प्रयोग अवश्य करें- पूर्णिमा
पर सभी पौष्टिक मेवों सहित गाय के दूध में खीर बना कर खुले स्थान पर रात्रि में
ऐसे सुरक्षित रखें कि कोई पशु- पक्षी इसे न खा सके और पूरी रात, चंद्र किरणें अपना अमृत इस पर बिखेरती रहें ।
प्रातः काल निःसंतान दंपत्ति सर्वप्रथम इसका भोग गणेश जी को लगाएं, फिर एक भाग ब्राहमण, एक भिखारी ,एक कुत्ते, एक गाय, एक कउवे को देकर फिर पति - पत्नी स्वयं खाएं । यदि
पारिवारिक क्लेश रहता है तो यह खीर उन सभी सदस्यों को दें जिनसे आपके मतभेद हैं ।
यह उपाय सदियों से ग्रामीण अंचलों में सास- बहु के मध्य उत्पन्न होने वाले मतभेदों
को समाप्त करने के लिए किए जाते रहे हैं । आज के युग में भी शरद पूर्णिमा के अवसर
पर चंद्र किरणों से प्रभावित यह खीर रिष्तों की कड़वाहट समाप्त कर मिठास घोलने मे
उतनी ही सक्षम है जितनी भगवान कृष्ण की रासलीला के समय थी । मान्यता है कि इसी
पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण ने मुरली वादन करके यमुना तट पर गोपियों के साथ रास रचाया
था । इसी आश्विन पूर्णिमा से कार्तिेक स्नान आरंभ होंगे । स्कंद पुराण के अनुसार
कार्तिक मास के समान और कोई मास नहीं होता अतः इस मास में कार्तिक महातम्य का
विधिपूर्वक पाठ करना चाहिए या सुनना चाहिए ।
– पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना
चाहिए,इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन कर घी के दीपक जलाकर उसकी पूजा करनी चाहिए, ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए, मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि विधान है. इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल आधारित उपवास रखना या सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए,इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें, चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करना बेहतर होगा ।
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा इसलिये इसे कहा जाता है क्योंकि इस समय सुबह और सांय और रात्रि में सर्दी का अहसास होने लगता है चौमासे यानि भगवान विष्णु जिसमें सो रहे होते हैं वहसमय अपने अंतिम चरण में होता हैमान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद अपनी सभी 16 कलाओं से संपूर्ण होकर अपनी किरणों से रात भर अमृत की वर्षा करता है जो कोई इसरात्रि को खुले आसमान में खीर बनाकर रखता है व प्रात:काल उसका सेवन करता है उसके लिये खीर अमृत के समान होती है मान्यता तो यह भी है कि चांदनी में रखी यह खीरऔषधी का काम भी करती है और कई रोगों को ठीक कर सकती है पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा इसलिये भी महत्व रखती है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण नेगोपियों के साथ महारास रचा था इसलिये शरद व जागर के साथसाथ इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है लक्ष्मी की कृपा से भी शरद पूर्णिमा जुड़ी है मान्यता है कि माता लक्ष्मीइस रात्रि भ्रमण पर होती हैं और जो उन्हें जागरण करते हुए मिलता है उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं ।
शरद पूर्णिमा व्रत की कथा
शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण
द्वारा गोपियों संग महारास रचाने से तो जुड़ी ही है लेकिन इसके महत्व को बताती एक अन्य कथा भी मिलती है जो इस प्रकारहै मान्यतानुसार बहुत समय पहले एक नगर में एक साहुकार रहता था उसकी दो पुत्रियां थी दोनों पुत्री पूर्णिमा को उपवास रखती लेकिन छोटी पुत्री हमेशा उस उपवास को अधूरारखती और दूसरी हमेशा पूरी लगन और श्रद्धा के साथ पूरे व्रत का पालन करती समयोपरांत दोनों का विवाह हुआ विवाह के पश्चात बड़ी जो कि पूरी आस्था से उपवास रखती नेबहुत ही सुंदर और स्वस्थ संतान को जन्म दिया जबकि छोटी पुत्री के संतान की बात या तो सिरे नहीं चढ़ती या फिर संतानजन्मी तो वह जीवित नहीं रहती वह काफी परेशानरहने लगी उसके साथसाथ उसके पति भी परेशान रहते उन्होंने ब्राह्मणों को बुलाकर उसकी कुंडली दिखाई और जानना चाहा कि आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा हैविद्वान पंडितों ने बताया कि इसने पूर्णिमा के अधूरे व्रत किये हैं इसलिये इसके साथ ऐसा हो रहा है तब ब्राह्मणों ने उसे व्रत की विधि बताई व अश्विन मास की पूर्णिमा काउपवास रखने का सुझावदियाइस बार उसने विधिपूर्वक व्रत रखा लेकिन इस बार संतान जन्म के पश्चात कुछ दिनों तक ही जीवित रही उसने मृत शीशु को पीढ़े पर लिटाकरउस पर कपड़ा रख दिया और अपनी बहन कोबुला लाई बैठने के लिये उसने वही पीढ़ा उसे दे दिया बड़ी बहन पीढ़े पर बैठने ही वाली थी उसके कपड़े के छूते ही बच्चे के रोने कीआवाज़ आने लगीl उसकी बड़ी बहन को बहुत आश्चर्य हुआ और कहा कि तू अपनी ही संतान को मारने का दोष मुझ पर लगाना चाहती थी अगर इसे कुछ हो जाता तो तब छोटीने कहा कि यह तो पहले से मरा हुआ था आपके प्रताप से ही यह जीवित हुआ है बस फिर क्या था पूर्णिमा व्रत की शक्ति का महत्व पूरे नगर में फैल गया और नगर में विधिविधान से हर कोई यह उपवास रखे इसकी राजकीय घोषणा करवाई गई ।
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