* आज का
पंचांग* , * दिनांक - 30 जुलाई 2018
*, * दिन –
सोमवार *, * विक्रम
संवत – 2075 *, * शक संवत -1940 *, * अयन
– दक्षिणायन *, * ऋतु – वर्षा *, * मास
– आषाढ़ *, * पक्ष – शुक्ल *, * तिथि
- सुबह 06:41 से तृतीया *, * नक्षत्र -
सुबह 06:33 से शतभिषा *, * योग - दोपहर
01:52 तक सौभाग्य *, * राहुकाल - सुबह 07:38
से 09:16 *, * सूर्योदय - 06:12 *, * सूर्यास्त - 19:17 *, * दिशाशूल - पूर्व दिशा में *,
* व्रत पर्व विवरण - *
* विशेष
- द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना
निषिद्ध है एवं तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त
पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) *
* श्रावण सोमवार *
* 28 जुलाई
2018 शनिवार से भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास शुरू
हो चुका है, जो 26 अगस्त रविवार तक
रहेगा (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है वहां 12 अगस्त रविवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)
*, * भगवान शिव श्रावण सोमवार के बारे में कहते हैं “मत्स्वरूपो यतो वारस्ततः सोम इति स्मृतः। प्रदाता सर्वराज्यस्य
श्रेष्ठश्चैव ततो हि सः। समस्तराज्यफलदो वृतकर्तुर्यतो हि सः ।। ” *, * अर्थात सोमवार मेरा ही स्वरूप है, अतः इसे सोम कहा
गया है। इसीलिये यह समस्त राज्य का प्रदाता तथा श्रेष्ठ है । व्रत करने वाले को यह
सम्पूर्ण राज्य का फल देने वाला है । *, * भगवान शिव यह भी आदेश देते हैं
कि श्रावण में “सोमे मत्पूजा नक्तभोजनं” अर्थात सोमवार को मेरी पूजा और नक्तभोजन करना चाहिए । *, * पूर्वकाल में सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने ही इस मंगलकारी सोमवार व्रत को किया
था। “कृष्णे नाचरितं पूर्वं सोमवारव्रतं शुभम् ” *, *
स्कन्दपुराण, ब्रह्मखण्ड में सूतजी कहते हैं,
*, * शिवपूजा सदा लोके हेतुः *स्वर्गापवर्गयोः ।। सोमवारे विशेषेण
प्रदोषादिगुणान्विते ।। *, * केवलेनापि ये कुर्युः सोमवारे
शिवार्चनम् ।। न तेषां विद्यते किंचिदिहामुत्र च दुर्लभम् ।। *, उपोषितः शुचिर्भूत्वा सोमवारे जितेंद्रियः ।। वैदिकैर्लौकिकैर्वापि
विधिवत्पूजयेच्छिवम् ।।ब्रह्मचारी गृहस्थो वा कन्या वापि सभर्त्तृका ।। विभर्तृका
वा संपूज्य लभते वरमीप्सितम् ।। *, * प्रदोष आदि गुणों से
युक्त सोमवार के दिन शिव पूजा का विशेष महात्म्य है। जो केवल सोमवार को भी भगवान
शंकर की पूजा करते हैं, उनके लिए इहलोक और परलोक में कोई भी
वस्तु दुर्लभ नहीं। सोमवार को उपवास करके पवित्र हो इंद्रियों को वश में रखते हुए
वैदिक अथवा लौकिक मंत्रों से विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए ।
ब्रह्मचारी, गृहस्थ, कन्या, सुहागिन स्त्री अथवा विधवा कोई भी क्यों न हो, भगवान
शिव की पूजा करके मनोवांछित वर पाता है । *, * शिवपुराण,
कोटिरुद्रसंहिता के अनुसार *, * निशि यत्नेन
कर्तव्यं भोजनं सोमवासरे । उभयोः पक्षयोर्विष्णो सर्वस्मिञ्छिव तत्परैः ।। *,
* दोनों पक्षों में प्रत्येक सोमवार को प्रयत्नपूर्वक केवल रात में
ही भोजन करना चाहिए । शिव के व्रत में तत्पर रहने वाले लोगों के लिए यह अनिवार्य
नियम है । *, * अष्टमी
सोमवारे च कृष्णपक्षे चतुर्दशी।। शिवतुष्टिकरं चैतन्नात्र कार्या विचारणा ।। *,
* सोमवार की अष्टमी तथा कृष्णपक्ष चतुर्दशी इन दो तिथियों को
व्रत रखा जाए तो वह भगवान शिव को संतुष्ट करने वाला होता है,
इसमें अन्यथा विचार करने की आवश्यकता नहीं है । *
* मंगलवारी चतुर्थी *
* 31 जुलाई
2018 ( पुण्यकाल सुबह 08:44 से 01
अगस्त सूर्योदय तक) *, * मंत्र जप व शुभ
संकल्प की सिद्धि के लिए विशेष योग *, * मंगलवारी चतुर्थी को
किये गए जप-संकल्प, मौन व यज्ञ का फल अक्षय होता है । *,
* मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ... जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है.. *, *
मंगलवारी चतुर्थी *, * अंगार चतुर्थी को सब
काम छोड़ कर जप-ध्यान करना …जप, ध्यान,
तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है…*, * बिना नमक का भोजन करें *, *
मंगल देव का मानसिक आह्वान करो *, * चन्द्रमा
में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें *, * कितना भी कर्ज़दार
हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो ..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा |
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