*दिनांक - 21 जून 2018*, *दिन - गुरुवार*,
*विक्रम संवत - 2075*,
*शक संवत -1940*, *अयन - दक्षिणायन*, *ऋतु - वर्षा*, *मास - ज्येष्ठ*, *पक्ष - शुक्ल*, *तिथि - रात्रि 03:18 तक नवमी*, *नक्षत्र - रात्रि 01:27 तक हस्त*, *योग - रात्रि 02:08 तक वरीयान*, *राहुकाल - दोपहर 02:20 से 03:59* , *सूर्योदय - 05:59*
, *सूर्यास्त - 19:21*, *दिशाशूल
- दक्षिण दिशा में*, *व्रत पर्व विवरण - दक्षिणायन आरंभ
(पुण्यकालसूर्योदय से दोपहर 03:38 तक), वर्षा ऋतु प्रारंभ*, *विशेष - नवमी को लौकी
खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म
खंडः 27.29-34)*
*योग आसन*
➡ *21 जून 2018 गुरुवार को विश्व योग दिवस है ।*
🏻 *लाभ : १) धारणा, ध्यान आदि साधनाभ्यास में इस
आसन में बैठने से तन्द्रा, निद्रा, आलस्य, जड़ता, प्रमाद
आदि का अभाव रहता है |*
🏻 *२) इस आसन में दीर्घकाल तक बैठने से प्राणोंत्थान होने लगता है और
कुंडलिनी जागरण की सम्भावना भी हो जाती है |*
*विधि : पहले
पद्मासन लगाकर सीधे बैठ जायें | उसके बाद दोनों
हाथों की हथेलियाँ दोनों पैरों के तलवों पर इस प्रकार रखें कि हाथों की उँगलियाँ पेट की ओर रहें | फिर भौहों को थोडा ऊपर
उठा के दृष्टि को भ्रूमध्य में या नाक के अग्र भाग पर स्थिर करें | श्वासोच्छ्वास की गति स्वाभाविक रखें |*
*आरोग्य व
बुद्धिवर्धक सूर्यस्नान*
🏼 *स्वास्थ्य अगर कमजोर महसूस होता है तो आप नहा – धो के सुबह उगते सूर्य के सामने बैठ जायें, आँखे
न लडायें और बदन थोडा खुला हो | आपकी नाभि पर
सूर्य – किरणें पड़ें, उस
समय आप लम्बा श्वास लेते हुए मन में ‘मैं सूर्य की आभा
( ओरा ), आरोग्यशक्ति को भीतर भर रहा हूँ |’
- ऐसा चिंतन करें,* *फिर श्वास को
भीतर ही रोककर ‘ॐ सूर्याय नम: | ॐ आरोग्यप्रदायक नम: | ॐ रवये नम: | ॐ भानवे नम: |...’ आदि मंत्रों का जप करें
और फिर धीरे – धीरे श्वास छोड़ें | इस प्रकार प्रतिदिन १०-१२ प्राणायम करने से रोगप्रतिकारक शक्ति, बुद्धिशक्ति बढ़ती है |*
*विशेष ~
21 जून 2018 गुरुवार को विश्व
योग दिवस है ।*
*अपान आसन*
➡ *लाभ : १) बढ़ा हुआ वात, कफ ठीक होता है, तिल्ली व यकृत वृद्धि में भी
लाभदायक है |*
➡ *२) पाचनशक्ति बढने के साथ पेट के अन्य विकार 8भी दूर होते हैं |*
➡ *३) मणिपुर चक्र को सक्रिय करने में मदद करता
है |*
*वजन कम करने में
लाभदायी है |*
*विधि : पद्मासन में बैठ
जायें, फिर दोनों नथुनों से श्वास को पूरी तरह बाहर
निकाल दें | अब उड्डीयान बंध लगायें अर्थात पेट को
अंदर की ओर खींचे तथा दोनों हाथों से पसलियों के निचले भाग में पेट के दोनों
पार्श्वो ( बाजूवाले भागों ) को पकड़कर
बलपूर्वक दबा लें | यथाशक्ति इसी स्थिति में रहें, फिर सामान्य स्थिति में आ जायें और धीरे – धीरे श्वास ले लें | पाँच – सात बार इसे दोहरायें |*