* दिनांक - 16 अगस्त 2018
*, * दिन – गुरुवार *, *
विक्रम संवत – 2075 *, * शक संवत -1940
*, * अयन – दक्षिणायन *, * ऋतु – वर्षा *, * मास –
श्रावण *, * पक्ष – शुक्ल
*, * तिथि - 17/8 रात्रि 01:02 तक षष्ठी *, * नक्षत्र - शाम 03:49 तक चित्रा *, * योग - शाम 04:50 तक शुभ *, * राहुकाल - दोपहर 02:07 से 03:43 *, * सूर्योदय - 06:18 *, * सूर्यास्त - 19:07 *, * दिशाशूल - दक्षिण दिशा में *,
* व्रत पर्व विवरण - कल्कि जयंती *, * विशेष -
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच
योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म
खंडः 27.29-34) *,
* विष्णुपदी संक्रांति *
* 17 अगस्त 2018 शुक्रवार को (पुण्यकाल : सुबह 06:52
से दोपहर 01:16 तक) विष्णुपदी संक्रांति है। *, * (विष्णुपदी संक्रांति में
किये गये जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है । - पद्म पुराण) *, * शिव
के द्वादश बारह ज्योतिर्लिंग की कथा और महत्त्व *, * 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व व
महिमा *, * भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन शुरू हो चुका है । शिवमहापुराण के
अनुसार एकमात्र भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जो निष्कल व सकल दोनों हैं । यही कारण
है कि एकमात्र शिव का पूजन लिंग व मूर्ति दोनों रूपों में किया जाता है। भारत में 12
प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं। इन सभी का अपना महत्व व महिमा है । *, * ऐसी मान्यता भी
है कि सावन के महीने में यदि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए जाएं तो
जन्म-जन्म के कष्ट दूर हो जाते हैं । यही कारण है कि सावन के महीने में भारत के
प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
आज हम आपको बता रहे हैं
इन 12
ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा-: *
* 1] सोमनाथ : सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही
नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है । यह मंदिर गुजरात राज्य
के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है । इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब
चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस
श्राप से मुक्ति पाई थी । ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं
चन्द्र देव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार
यह बिगड़ता और बनता रहा है । *, * 2] मल्लिकार्जुन : यह ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश
में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है । इस मंदिर का महत्व
भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है । अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक
और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं । *, * कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के
दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है । एक
पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन
करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं । *, * 3]
महाकालेश्वर ज्यो तिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी कही
जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है । महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि
ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है । यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली
भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि
और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है । उज्जैनवासी मानते हैं कि
भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं । *, 4]
ओंकारेश्वर : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप
स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है
और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है । ऊं शब्द की उत्पति
ब्रह्मा के मुख से हुई है । इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के
साथ ही किया जाता है । यह ज्योतिर्लिंग ॐकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस
कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है । *, *
5] केदारनाथ : केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख
ज्योतिर्लिंगों में आता है । यह उत्तराखंड में स्थित है । बाबा केदारनाथ का मंदिर
बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है । केदारनाथ समुद्र तल से ३५८४ मीटर की ऊँचाई पर
स्थित है । केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है । यह
तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है । जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का
महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है । *, *6] भीमाशंकर : भीमाशंकर
ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है ।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है । इस मंदिर
के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह
सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके
लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं । *, * 7] काशी विश्वनाथ: विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है । यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर
स्थित है । काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है । इसलिए सभी धर्म
स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है । इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय
आने पर भी यह स्थान बना रहेगा । इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने
त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख
देंगे । *, *8] त्र्यंबकेश्वर : यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र
राज्य के नासिक जिले में स्थित है । इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट
ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है । इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है । भगवान शिव
का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है । कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी
नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा । *, *9] वैद्यनाथ : श्री
वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है ।
भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे
वैद्यनाथ धाम कहा जाता है । यह स्थान झारखंड राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर
जिला में पड़ता है । * ,* 10] नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के
बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव
नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है । भगवान शिव का एक
अन्य नाम नागेश्वर भी है । द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी १७
मील की है । इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा
और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है ।
*, * 11] रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं
नामक स्थान में स्थित है । भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के
साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय
में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के
द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम
दिया गया है । *, *12] घृष्णेश्वर मन्दिर : घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध
मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है । इसे
घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है । दूर-दूर से लोग यहां दर्शन
के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं । भगवान शिव के 12
ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है । बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित
एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु
व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है । *