Sunday, 12 August 2018

~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ : दिनांक - 13 अगस्त 2018 *, * दिन – सोमवार .... Vinay Kumar


* दिनांक - 13 अगस्त 2018 *, * दिन – सोमवार *, * विक्रम संवत – 2075 *,* शक संवत -1940 *, * अयन – दक्षिणायन *, * ऋतु – वर्षा *, * मास – श्रावण *, * पक्ष – शुक्ल *, * तिथि - सुबह 08:37 से तृतीया *, * नक्षत्र - शाम 07:10 तक पूर्वाफाल्गुनी *, * योग - रात्रि 12:22 तक शिव *, * राहुकाल - सुबह 07:42 से 09:18 *, * सूर्योदय - 06:16 *, * सूर्यास्त - 19:11 *, * दिशाशूल - पूर्व दिशा में * ,* व्रत पर्व विवरण - मधुश्रवा-ठकुरानी-हरियाली तृतीया, शिवपूजनारम्भ, तृतीया क्षय तिथि * , * विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है एवं तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) *
* मंगलवारी चतुर्थी *
* 14 अगस्त 2018 ( पुण्यकाल सूर्योदय से 15 अगस्त प्रात: 03:30 तक ) *, * मंत्र जप व शुभ संकल्प की सिद्धि के लिए विशेष योग *, * मंगलवारी चतुर्थी को किये गए जप-संकल्प, मौन व यज्ञ का फल अक्षय होता है । *, * मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ... जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है... *
* मंगलवारी चतुर्थी *
* अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है… *,* बिना नमक का भोजन करें *, * मंगल देव का मानसिक आह्वान करो *, * चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें *, * कितना भी कर्ज़दार हो..काम धंधे से बेरोजगार हो ..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा | *
* नागपंचमी *
* श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है । इस बार ये पर्व 15 अगस्त, बुधवार को है । इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है । हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है । महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है । इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं । नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं - *
* वासुकि नाग *
* धर्म ग्रंथों में वासुकि को नागों का राजा बताया गया है । ये हैं भगवान शिव के गले में लिपटे रहते हैं । (कुछ ग्रंथों में महादेव के गले में निवास करने वाले नाग का नाम तक्षक भी बताया गया है) । ये महर्षि कश्यप व कद्रू की संतान हैं। इनकी पत्नी का नाम शतशीर्षा है । इनकी बुद्धि भगवान भक्ति में लगी रहती है । जब माता कद्रू ने नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब नाग जाति को बचाने के लिए वासुकि बहुत चिंतित हुए । तब एलापत्र नामक नाग ने इन्हें बताया कि आपकी बहन जरत्कारु से उत्पन्न पुत्र ही सर्प यज्ञ रोक पाएगा । *, * तब नागराज वासुकि ने अपनी बहन जरत्कारु का विवाह ऋषि जरत्कारु से करवा दिया । समय आने पर जरत्कारु ने आस्तीक नामक विद्वान पुत्र को जन्म दिया। आस्तीक ने ही प्रिय वचन कह कर राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को बंद करवाया था । धर्म ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय नागराज वासुकि की नेती (रस्सी) बनाई गई थी। त्रिपुरदाह (इस युद्ध में भगवान शिव ने एक ही बाण से राक्षसों के तीन पुरों को नष्ट कर दिया था) के समय वासुकि शिव धनुष की डोर बने थे । *
* शेषनाग *
* शेषनाग का एक नाम अनंत भी है । शेषनाग ने जब देखा कि उनकी माता कद्रू व भाइयों ने मिलकर विनता (ऋषि कश्यप की एक और पत्नी ) के साथ छल किया है तो उन्होंने अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करनी आरंभ की । उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं होगी । *, * ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती-डुलती रहती है, अत: तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए । इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया । क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं । धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे । *
शेष कल.........
* मंगलवार चतुर्थी *
* भारतीय समय के अनुसार 14 अगस्त 2018 को (सूर्योदय से 15 अगस्त प्रातः 03:30 तक) चतुर्थी है, इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें, शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं.. *
* मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं :- *
* 1)  ॐ मंगलाय नमः *, * 2) ॐ भूमि पुत्राय नमः *, *3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः *, * 4) ॐ धन प्रदाय नमः *, *5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः *, * 6) ॐ महा कायाय नमः *, * 7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः *, * 8) ॐ लोहिताय नमः *, * 9) ॐ लोहिताक्षाय नमः *, * 10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः *, * 11) ॐ धरात्मजाय नमः *, * 12) ॐ भुजाय नमः *, * 13) ॐ भौमाय नमः *, * 14) ॐ भुमिजाय नमः *, * 15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः *, * 16) ॐ अंगारकाय नमः *, * 17) ॐ यमाय नमः *, * 18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः *, * 19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः *, * 20) ॐ वृष्टि हराते नमः *, * 21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः *, * ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें  ..फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए..अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :- *, * भूमि पुत्रो महा तेजा *, * कुमारो रक्त वस्त्रका *, * ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम *, * ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे *, * हे भूमि पुत्र!..महा क्यातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ……...*