Friday, 22 June 2018

पंचाग * दिनांक - 23 जून 2018 *`



        * दिनांक - 23 जून 2018 *`
*दिन - शनिवार*, *विक्रम संवत - 2075*, *शक संवत -1940*, *अयन - दक्षिणायन*,  *ऋतु - वर्षा*, *मास - ज्येष्ठ*, *पक्ष - शुक्ल*, *तिथि - रात्रि 03:52 तक एकादशी*, *नक्षत्र - रात्रि 03:21 तक स्वाती*, *योग - रात्रि 12:32 तक शिव*, *राहुकाल - सुबह 09:21 से 11:01*,  *सूर्योदय - 05:59*,  *सूर्यास्त - 19:22*,  *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*, *व्रत पर्व विवरण - निर्जला-भीम एकादशी, गायत्री माता जयंती, रुक्मिणी विवाह*
* विशेष *
 हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*, *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*, *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*, *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*, *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
*ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')*, *शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')*, *हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*

                                *निर्जला-भीम एकादशी*
*23 जून 2018 शनिवार को निर्जला-भीम एकादशी है ।*,  *निर्जला के व्रत से अधिक मास सहित 26 एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है ।*, *इस दिन किया गया स्नान, दान, जप, होम आदि अक्षय होता है ।*

*वर्षा ऋतु  विशेष*
*अभी वर्षा ऋतु है | इसे शास्‍त्रीय भाषा में आदानकाल बोलते हैं  | जठराग्नि दुर्बल होती है | वायु, गैस की तकलीफें उभरती हैं | पित्त संचित होता है | अगर सावधान नहीं रहें तो पित्त व वात मिलकर हार्ट अटैक बना सकता है | इस आदानकाल में कब्जियत न रहे इसका ध्‍यान रखना चाहिए |*
*करने योग्य*, *१) पेट साफ़ रहे इसके लिए हरड़ रसायन २ -२ गोली खाना | हरड रसायन , रसायन से बना हुआ टोनिक है । दिनभर खाया हुआ टोनिक बन जायेगा |*, *२) शुद्ध वातावरण व शुद्ध जल का सेवन करना |*,  *३) मधुर भोजन, चिकनाईवाला, शरीर को बल देनेवाला भोजन करना चाहिये और दोपहर के भोजन में नींबू, अदरक, सैंधा नमक, लौकी, मैथी, खीरा, तुरई आदि खाने चाहिए |*,  *४) वर्षाऋतु में पानी गरम करके पीयें अथवा तो पानी की शुद्धता का ध्यान रखें |*,  *५) वायुप्रकोप से जोडों में  दर्द बनने की संभावना है और बुढ़ापे में लकवा मारने की संभावना बढ़ जाती है | भोजन में लहसुन की छौंक लकवे से फाईट करता है |*,  *६) चर्मरोग, रक्तविकार आदि बिमारियों की इस ऋतु में संभावना बढ़ जाती है | नींबू, अदरक, गाजर, खीरा स्वास्थ्‍यप्रद रहेगा |*,  *७) सूर्यकिरण स्नान सभी ऋतुओं में स्वास्थ्‍य के लिए हितकारक है |*,  *८) अश्विनी मुद्रा- श्वांस रोककर योनि संकोच लेना और मन में भगवान का जप करना इस सीज़न की बी‍मारि‍यों को भगाने की एक सुंदर युक्ति है |*
*न करने योग्य*,  *१) गरम, तले हुए, रूखे, बासी, डबल रोटी, आटा लगा हुआ बिस्किट आदि स्वास्थय के लिए इस सीज़न में हितकर नहीं है । फास्ट फ़ूड से बचना चाहिए |*, *२) देर रात बारिश के सीज़न में न जागें |*,  *३) अधिक श्रम, अधिक व्यायाम न करें |*,  *४) खुले आकाश में सोना खतरे से खाली नहीं है ।*,  *५) ज्यादा देर तक शरीर भीगा हुआ न रखें | सिर गिला हो तो तुरंत पोछ लें।*,  *६) भीगे शरीर न सोयें और रात्रि को स्नान न करें | मासिक धर्म आये तो तुरंत स्नान करके सूखे कपडे से अपने को पोछ लें |*


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