Thursday, 20 June 2019

NT24 News : योग से ही बनता है जीवन, योग से ही संवरता है जीवन........

योग से ही बनता है जीवन, योग से ही संवरता है जीवन
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस  21 जून को मनाया जाता है।  पहली बार यह दिवस  21 जून  2015  को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  27  सितंबर 2014  को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी।  जिसके बाद 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया। संयुक्त राष्ट्र में  177  सदस्यों द्वारा  21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का साधन है योग। यह हमारे जीवन से जुड़ी भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और अध्यात्मिक सभी पहलुओं पर काम करता है। योग से सबसे पहले बाहरी शरीर पर प्रभाव पड़ता है, तथा बाद में यह मानसिक और भावनात्मक स्तरों पर काम करता है।  इसके फलस्वरूप  मानव  रोजमर्रा की जिंदगी की समस्याओं से उत्पन्न होने वाले तनाव का आसानी से सामना कर लेता है, बल्कि यह कहें कि उसे तनाव महसूस भी नहीं होता।  कब  उसका जिंदगी की समस्याओं  का समाधान  करने  का तरीका बदल जाता है और जिंदगी के प्रति नजरिया भी, पता ही नहीं चलता। योग इतना प्रभावी है कि शायद ही कोई ऐसी बीमारी होगी जिस पर इसका सकारात्मक असर ना होता हो।  अस्थमा, रक्तचाप, गठिया, मधुमेह, सभी प्रकार के पेट एवं पाचन संबंधी रोग तथा यहां तक कि एचआईवी पर भी योग के प्रभाव आशाजनक देखने को मिल रहे हैं। योग से  अंतः स्रावी तंत्र में संतुलन बनता है तथा यह शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करता है। जिसके  कारण  मनुष्य स्वस्थनिरोगी  एवं सकारात्मक बना रहता है। रोज आधे घंटे का योग मनुष्य में धैर्य को बढ़ाता है  एवं  निरंतर अभ्यास से इसके लाभ महसूस होने लगते हैं।  अधिकतर लोग योग का अर्थ केवल आसन से लगाते हैं, किंतु आसन योग का मात्र एक हिस्सा है। योग, आसन अभ्यास से कहीं ज्यादा है। योग  के  चार  प्रमुख रास्ते हैं - 1 . राज योग, 2.  कर्म योग, 3 . भक्ति योग, 4 . ज्ञान योग, 1. राजयोग : योग की इस शाखा के आठ अंग हैं। यम , नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। ध्यान  इस शाखा का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, तथा आसन और  प्राणायाम सबसे अधिक प्रसिद्ध । 2. कर्म योग : कर्मयोग या सेवा का मार्ग  अथार्त समाज में रहते हुए जब हम अपना काम करते हैंअपना जीवन निस्वार्थ रूप से जीते हैं और दूसरों की सेवा करते हैं इसे कर्म योग कहते हैं । कर्मयोग में  हम नकारात्मक विचारों का, स्वयं स्वार्थ के मार्ग का त्याग कर देते हैं 3. भक्ति योग: भक्ति योग  मन का योग है। यह भक्ति के मार्ग का वर्णन करता है  तथा भावनाओं को नियंत्रित करने का सकारात्मक तरीका है। भक्ति योग में भक्ति का मार्ग अपनाकर सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर सहिष्णुता पैदा करने का अवसर प्रदान होता है । 4. ज्ञान योग: ज्ञान योग बुद्धि का योग है।  इसमें गंभीर अध्ययन करना होता है। योग के ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि का विकास होता है। इस योग को सबसे कठिन माना जाता है। जो बौद्धिक रूप से इच्छुक हों, यह अध्ययन उन लोगों को आकर्षित करता है  योग से मन तथा बुद्धि बदल जाती है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं तथा सकारात्मक विचार संचारित होते हैं। सकारात्मक विचारों से बुद्धि स्वस्थ होने पर आत्मा भी स्वस्थ हो जाती है और हमें  जीवन में सफलता प्राप्त होती है। योग सभी के लिए उपयोगी है। हम सभी को योग का मार्ग अपनाना चाहिए और जीवन को स्वस्थ एवं खुशहाल बनाना चाहिए लेखिका : मंजू मल्होत्रा फूल

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