Friday, 11 May 2018

दीक्षांत के छात्रों ने रीजन में पहली बार बनाये टेलीस्कोप, प्रदर्शनी भी लगायी


दीक्षांत के छात्रों ने रीजन में पहली बार बनाये टेलीस्कोपप्रदर्शनी भी लगायी


विनय कुमार
चंडीगढ़ 
व्यावहारिक  ज्ञान से शिक्षा में किस तरह से बदलाव लाया जा सकता हैइसको दर्शाने के लिए दीक्षांत इंटरनेशनल एवं दीक्षांत ग्लोबल स्कूल ने छात्रों को उनकी क्षमताएं परखने के लिए एक और शानदार अवसर उपलब्ध कराया। टेलीस्कोप तैयार करने की हफ्ते भर की एक वर्कशॉप के समापन परचंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक 'टेलीस्कोप प्रदर्शनी ' का आयोजन किया गया। इसमें दीक्षांत स्कूलों के छात्रों द्वारा बनाये गये टेलीस्कोप प्रदर्शित किये गये। इस अवसर पर मितुल दीक्षितचेयरमैनदीक्षांत स्कूल्सके साथ वर्कशॉप के संचालक एवं टेलीस्कोप एक्सपर्टतुषार पुरोहित भी मौजूद थेजो इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्सपुणे में सेवारत हैं। प्रदर्शनी में टेलीस्कोप का निर्माण करने वाले 25 छात्र भी मौजूद थे। इस कार्य के लिए 5-5 छात्रों की पांच अलग टीमें गठित की गयी थींजिन्होंने कुल 5 टेलीस्कोप तैयार किये थे। 
      'यह हमारे लिए खुशी की बात है कि हमारे छात्र सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक पहलू भी सीख रहे हैं। इन दिनों शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को कक्षा में पढ़ाये गये पाठों को व्यावहारिक उपयोग में लाने की प्रक्रिया से परिचित कराना था। हमारे ग्लोबल स्कूल परिसर में एक भली-भांति सुसज्जित थिंक लैब स्थापित हैजहां हम विशेषज्ञों की मदद से वैज्ञानिक कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं' मितुल दीक्षित ने कहा ।  टेलीस्कोप बनाने की कार्यशाला सात दिनों तक चली। कार्यशाला का प्रारंभिक चरण छात्रों को पढ़ाने के साथ शुरू हुआजिसमें अवतल दर्पण या कॉनक्लेव मिरर को ग्राइंड करनेउसकी वक्रता या कर्वेचर की गणना करने और दर्पण की फोकल लंबाई की गणना करना सिखाया गया। इसके बादकांच को चिकना करने के बारे में एक सत्र हुआजो दूरबीन बनाने की प्रक्रिया में बहुत महत्व रखता है। कार्यशाला के तीसरे दिनछात्र ग्लास को ठीक से पीसने में सक्षम हो गये थे। चौथे और पांचवें दिन मुख्य रूप से पिच टूल का उपयोग करके ग्लास को चमकाने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया। पिछले दो दिनों सेछात्र कांच की जांच करनेट्यूब की लंबाई की गणना करने और फिटिंग के लिए इसे ड्रिल करने में जुटे थे। इसके अलावाउन्होंने ट्यूब को रंगा भी।  
      कार्यशाला आयोजित करने वाले तुषार पुरोहित को न्यूटोनियनगैलीलियोकैसीग्रेन इत्यादि जैसे टेलीस्कोप बनाने में विशेषज्ञता हासिल है। उनके पास टेलीस्कोप और खगोल विज्ञान में 18 से अधिक वर्षों का अनुभव है। तुषार ने कहा, 'छात्रों ने न्यूटोनियन प्रकार के टेलीस्कोप तैयार किये हैं। हमने टेलीस्कोप बनाने के लिए घरेलू चीजों का उपयोग किया है। टेबल टॉप ग्लास को कार्बोरेंडम (सिलिकॉन कार्बाइड) के साथ रखकर पीसा गया। टेलीस्कोप की मुख्य बॉडी पीवीसी पाइप का उपयोग करके तैयार की गयीजिस पर छात्रों ने अंदर और बाहर से चित्रकारी की। फिर इन्हें एल्टीट्यूड अजीमुथ माउंट किया गया। टेलीस्कोप बनाने के लिए एक लेंस के बजाय एक अवतल दर्पण का उपयोग किया गया। 'छात्रों अपनी सराहनीय उपलब्धि को मान्यता मिलने से प्रेरित लग रहे था। दीक्षांत में कक्षा 9 की छात्रकैमिला सरदाना ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, 'हम वास्तव में उत्साहित हैंक्योंकि टेलीस्कोप बृहस्पति व शनि और उसके छल्ले देखने के लिए पर्याप्त हैं। हम चंद्रमा की सतह पर मौजूद क्रेटर भी देख सकते हैं। '  दीक्षांत में कक्षा 9 के छात्रसिद्धांत कपूर ने कहा, 'यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर था और मुझे खुशी है कि मैंने इसे कुशलता से इस्तेमाल किया। कार्यशाला मेसे  मुझे टेलीस्कोप बनाने की तकनीकी विधि का पता चला और मेरे लिए यह ज्ञान आगे भी सहायक होगाक्योंकि मैं केवल इसी क्षेत्र में जाने की उम्मीद कर रहा हूं। '  सभी सत्रों मेसे छात्रों को विविध पहलुओं को समझने का मौका मिलाताकि वे टेलीस्कोप के भागों और उनकी कार्य प्रणाली को जान सकें। असली खुशी तो तब मिलीजब छात्रों ने अपने हाथों से टेलीस्कोप का निर्माण किया। दीक्षांत स्कूल काफी लंबे समय से अकादमिक और शिक्षणेत्तर गतिविधियों में सक्रिय रहा है। छात्रों के समग्र विकास में मदद करने वाली विविध गतिविधियां आगे भी आयोजित होती रहेंगी।

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