* दिनांक - 18 अगस्त
2018 *, * दिन – शनिवार *, * विक्रम
संवत – 2075 *, * शक संवत -1940 *, * अयन
– दक्षिणायन *, * ऋतु – वर्षा *, * मास
– श्रावण *, * पक्ष –
शुक्ल *, * तिथि - 19/8 रात्रि 01:47
तक अष्टमी *, * नक्षत्र - शाम 05:21 तक विशाखा *, * योग - शाम 02:55 तक ब्रह्म *, * राहुकाल - सुबह 09:19 से 10:54 *, * सूर्योदय - 06:18 *, * सूर्यास्त - 19:06 *, * दिशाशूल - पूर्व दिशा
में *, * व्रत पर्व विवरण *, * विशेष -
अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण,
ब्रह्म खंडः 27.29-34) *, * अष्टमी तिथि
के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त
पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38) *, * चतुर्मास
के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का
उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण) *, * चतुर्मास में पलाश के
पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है । *, * ब्रह्म
पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव
कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप
से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध
होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के
वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।'
(ब्रह्म पुराण') *, * शनिवार के दिन पीपल के
वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।'
का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण') *,
* हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक
प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण) *,
* सेवफल
(सेब) *
* प्रातःकाल
खाली पेट सेवफल का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। सेब को छीलकर नहीं खाना
चाहिए क्योंकि इसके छिलके में कई महत्त्वपूर्ण क्षार होते हैं। इसके सेवन से
मसूड़े मजबूत व दिमाग शांत होता है तथा नींद अच्छी आती है। यह रक्तचाप कम करता है।
*, * सेब वायु
तथा पित्त का नाश करने वाला, पुष्टिदायक, कफकारक, भारी, रस तथा पाक में
मधुर, ठंडा, रुचिकारक, वीर्यवर्धक हृदय के लिए हितकारी व पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला है। *,
* सेब के छोटे-छोटे टुकड़े करके काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में
डालकर चाँदनी रात में ऐसी खुली जगह में रखें जहाँ उसमें ओस पड़े। इन टुकड़ों को
सुबह एक महीने तक प्रतिदिन सेवन करने से शरीर तंदुरुस्त बनता है। *, * कुछ दिन केवल सेब के सेवन से सभी प्रकार के विकार दूर होते हैं।
पाचनक्रिया बलवान बनती है और स्फूर्ति आती है। *, * युनानी
मतानुसार सेब हृदय, मस्तिष्क, यकृत तथा
जठरा को बल देता है, खून बढ़ाता है तथा शरीर की कांति में
वृद्धि करता है। *, * इसमें टार्टरिक एसिड होने से यह एकाध
घंटे में पच जाता है और खाये हुए अन्य आहार को भी पचा देता है। *, * सेब के गूदे की अपेक्षा उसके छिलके में विटामिन सी अधिक मात्रा में होता
है। अन्य फलों की तुलना में सेब में फास्फोरस की मात्रा सबसे अधिक होती है। सेब
में लौहतत्त्व भी अधिक होता है अतः यह रक्त व मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलताओं के लिए
हितकारी है। *,
* औषधी
प्रयोग *
* रक्तविकार
एवं त्वचा रोगः रक्तविकार के कारण बार-बार फोड़े-फुंसियाँ होती हों, पुराने त्वचारोग के कारण चमड़ी शुष्क हो गयी हो, खुजली
अधिक होती हो तो अन्न त्यागकर केवल सेब का सेवन करने से लाभ होता है। *, * पाचन के रोगः सेब को अंगारे पर सेंककर खाने से अत्यंत बिगड़ी पाचनक्रिया
सुधरती है। *, * दंतरोगः सेब का रस सोडे के साथ मिलाकर दाँतों
पर मलने से दाँतों से निकलने वाला खून बंद व दाँत स्वच्छ होते हैं। *, * बुखारःबार-बार बुखार आने पर अन्न का त्याग करके सिर्फ सेब का सेवन करें तो
बुखार से मुक्ति मिलती है व शरीर बलवान बनता है। *
* सावधानीः
सेब का गुणधर्म शीतल है। इसके सेवन से कुछ लोगों को सर्दी-जुकाम भी हो जाता है।
किसी को इससे कब्जियत भी होती है। अतः कब्जियत वाले पपीता खायें। *
* वास्तु
शास्त्र *
* मेन
गेट के सामने गंदा पानी इकट्ठा रहता हो तो घर के लोगों को धन संबंधित परेशानियों
का सामना करना पड़ता है। *
* पति-पत्नी
के झगड़े या अनबन *
* पति-पत्नी
में झगड़े होते हों, तलाक की नौबत आ जाए अथवा पति-पत्नी में
मन नहीं बनता है तो पति अपने सिर के नीचे सिन्दूर रख के सो जाए और पत्नी अपने सिर
के नीचे कपूर रख के सो जाए । सुबह उठे तो कपूर की आरती कर डालें और पति सिन्दूर घर
में फ़ेंक दें, तो पति-पत्नी का स्वभाव अच्छा हो जायेगा । *
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