Thursday 18 April 2019

NT24 News : श्रीराम भक्त हनुमान आज भी हैं पृथ्वी पर विराजमान

श्रीराम भक्त हनुमान आज भी  हैं पृथ्वी पर विराजमान 

चंडीगढ़लेखिका: मंजू मल्होत्रा फूल हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी का जन्मोत्सव चैत्र माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है। चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का प्राकट्य हुआ था । हनुमान जी भगवान शिव के अंशावतार माने जाते हैं । ऐसी मान्यता है कि जब माता सीता को रावण हर के लंका ले गयातथा वहां उन्हें अशोक वाटिका में रखा गयातब श्री राम भक्त हनुमान जी ने उन्हें वहां खोज कर उन्हें प्रभु श्री रामजी का संदेश दिया था । तब माता सीता ने प्रसन्न होकर उन्हें अमर होने का वरदान दिया। इसलिए आज भी बजरंगबली इस पृथ्वी पर है और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा कर रहे हैं । हनुमान जी को कलयुग में धर्म की रक्षा के लिए अमरता का वरदान मिला था । जो भी मनुष्य हनुमान जी की पूजा अर्चना करता है उसे इनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। सच्चे मन से इनकी आराधना करके भक्त समस्त सुख समृद्धि को प्राप्त करता है । यदि घर में देवी-देवताओं के चित्र लगे हों तो घर में कई तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। वास्तुशास्त्र के अनुसारघर में हनुमान जी की तस्वीर लगाने से कई लाभ मिलते हैं । अगर घर में वास्तु के नियमानुसार सही दिशा में सही तरह से हनुमानजी की तस्वीर लगाई जाए तो कई लाभ हो सकते हैं । धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के बारह नाम बताए गए हैं । 1. श्री हनुमान, 2. श्री अंजनीसुत, 3. श्री वायुपुत्र, 4. श्री महाबल, 5. श्री रामेष्ट, 6. श्री फाल्गुनसखा, 7. श्री पिंगाक्ष, 8. श्री अमितविक्रम, 9. श्री उदधिक्रमण 10. श्री सीता शोकविनाशन, 11. श्री लक्ष्मणप्राणदाता, 12. श्री  दशग्रीवदर्पहा l इन नामों का जो कोई व्यक्ति रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता हैउसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है । हनुमान जन्मोत्सव के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले माता सीताप्रभु श्रीरामऔर बजरंगबली का स्मरण करना चाहिए। इसके पश्चात हनुमान जी की पूजा अर्चना करके हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का पाठ करने से अति शुभ फल प्राप्त होता है। श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ करने से प्रभु की असीम कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

No comments: