अकाल पुरुख की हज़ूरी में शामिल की जाने वाली अरदास पंक्तियाँ के लेखक जोगिंदर सिंह
भसीन का हो सन्मान : जसविंदर सिंह
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
अकाल पुरुख की हज़ूरी में
रोज़ाना की जाने वाली अरदास में शामिल पंक्तियाँ "हे अकाल पुरख अपने पंथ
दे सदा सहाई दातार जीओ ।श्री ननकाना साहिब ते होर गुरूद्वारे, गुरुधामा दे, जिणां नूं पंथ चो विछोड़िया गया है, खुले दर्शन दीदार ते सेवा संभाल दा दान खालसा जी नू बख्शो” । देश विदेश में गुरु नानक नाम लेवा प्राणियों व् विशेष तौर पर सिख कौम
द्वारा करोड़ों अरबों बार पढ़ी सुनी जाती है, लेकिन ये
यादगारी पंक्तियाँ लिखने वाले शख्स से मौजूदा समय में बेहद ही कम लोग अवगत है । वास्तव
में अरदास में यह पंक्तियाँ देश के विभाजन के बाद वर्ष 1948 में शामिल की गयी । 1947 के विभाजन के दौरान
अधिकतर गुरुधामों और अन्य यादगारों के पाकिस्तान में रह जाने के पश्चात् शिरोमणि
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्कालीन सचिबबों हरनाम सिंह व रवेल सिंह द्वारा
कमेटी के कर्मचारी जोगिन्दर सिंह भसीन को अरदास में कुछ ऐसी नई पंक्तियाँ शामिल
करने के लिए कहा गया, जिसके जरिये बड़ी संख्या में पाकिस्तान
में रह गए ऐतिहासिक गुरुद्वारों के लिए सिख कौम का दर्द बयाँ किया जा सके। मौजूदा
समय में चंडीगढ़ में रह रहे जोगिंदर सिंह भसीन (94) ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया की उनका जनम पाकिस्तान के मौजूदा जिला चक्कवाल के गाँव नीला में हुआ और
प्राथमिक शिक्षा उन्होंने गाँव के सरकारी स्कूल और मेट्रिक और ज्ञानी अमृतसर से की
। जोगिन्दर सिंह भसीन ने कहा कि वाहेगुरु जी की दया मेहर से उन्हें ये पंक्तियां
लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अरदास की लिखी पंक्तियां आज साकार होती दिख रही है, जिसके सदका पाकिस्तान की धरती पर बने पहली पातशाही के गुरुद्वारा ननकाना
साहिब के दर्शन दीदार हेतु करतारपुर कॉरिडोर अब खुलने जा रहा है। उन्होंने आगे कहा
कि उनकी सच्चे पातशाह के आगे अरदास है कि पाकिस्तान में स्थित अन्य गुरुधाम के भी
दर्शन दीदार के लिए आने जाने का मार्ग अपनी संगत को प्रशस्त करें। वहीँ इस मामले
को जन जन तक पहुँचाने और प्रमुखता से आगे लाने वाले मीरी पीरी डेवलपमेंट व् वेलफेयर
सोसाइटी के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया की उन्होंने शिरोमणि कमेटी, श्री अकाल तख़्त साहिब और पंजाब सरकार को पत्र लिख कर मांग की है कि
जोगिन्दर सिंह भसीन को उनकी बहुमूल्य और यादगारी सेवाओं के लिए विशेष सम्मान भेंट
किया जाये ।
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