ओन्को-सर्जरी व मल्टीपल स्केलेरोसिस पर सीएमई में 50 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
मोहाली
ओन्को-सर्जरी में हालिया प्रगति और मल्टीपल स्केलेरोसिस के प्रबंधन
पर सीएमई में 50 डॉक्टरों
और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया ।सीएमई का आयोजन शैल्बी हॉस्पिटल, मोहाली द्वारा फिजिशियन फोरम, चंडीगढ़ के सहयोग से
आज किया गया । इस मौके पर फोरम के अध्यक्ष और सचिव डॉ बीएस भाटिया और डॉ एमएस
त्रेहान भी उपस्थित मौजूद थे । सीएमई के दौरान, विजय
बंसल, ऑन्कोलॉजी सर्जन ने सर्जिकल ओन्कोलॉजी में हालिया हुए
विकास के बारे में बात करते हुए कहा कि आजकल, कैंसर के उपचार
के दौरान, कभी-कभी उपचार के दुष्प्रभाव के चलते रोगों उचित
उपचार से बचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। हालांकि सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में हालिया
प्रगति के साथ, अब कैंसर के उपचार के दौरान पेश आने वाले
दुष्प्रभाव काफी कम रह गए हैं । डॉ.बंसल ने कहा कि वर्तमान दौर में, हम अंगों की संरचना और कार्य को संरक्षित करते हैं ताकि रोगी उपचार और
इलाज के बाद अच्छा जीवन जी सकें। इसके अलावा अब कैंसर सर्जरी को लैप्रोस्कोपिक रूप
से किया जा सकता है यानी पेट या छाती पर किसी भी कट लगाए बिना। उन्होंने कहा कि
बहुत अच्छी कीमोथेरेपी दवाओं और टार्गेटेड एजेंट और एडवांस्ड रेडियोथेरेपी के साथ,
उपचार के परिणाम में भी वृद्धि हुई है । डॉ संजय मिश्रा न्यूरो
फिजिशियन ने कहा कि मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका
तंत्र अर्थात रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इसमें किसी व्यक्ति
को अक्षम करने की क्षमता है। इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क और शेष शरीर के बीच संचार
में समस्याएं होती हैं । मल्टीपल स्केलेरोसिस दिमाग की तंत्रिकाओं की रोग
प्रतिरोधक क्षमता सामान्य करने वाले सेल्स के क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से होती
है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें एंटीबॉडी मस्तिष्क, रीढ़
की हड्डी और आंखों के नसों पर प्रभाव डालती है। यह आम तौर पर पुरुषों की तुलना में
महिलाओं में अधिक आम है । डॉ मिश्रा का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में भारत में
मल्टीपल स्क्लेरोसिस रोग की चपेट में आने वाले लोगों की तादाद काफी बढ़ी है । उन्होंने कहा कि लोगों में मल्टीपल स्क्लेरोसिस के बारे में और जागरूकता
फैलाने की जरूरत है ।
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