चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया फेज 1 में स्थित नीडल फैक्टरी ने नौकरी से निकाले 37 कर्मचारी
51 दिन होने के बाद भी इन्साफ न मिलने पर निकले गए कर्मचारियों ने भूख हड़ताल
पर जाने का किया फैसला
01 दिसंबर को कंपनी ने अचानक बिना यूनियन के साथ विचार-विमर्श शार्ट नोटिस पर नौकरी
से निकाला बाहर
कर्मचारी
कंपनी के बाहर कर रहे शांतिपूर्वक प्रदर्शन
निकाले
गए कर्मचारी...पिछले 07 से लेकर 20 वर्षों से कर रहे थे कंपनी में काम
कोरोना
काल में बिना..यूनियन स्व विचार विमर्श..ओर नोटिस से निकाला जा रहा
अब
उन्हें कहीं भी रोजगार नहीं मिलेगा, कईओं के आँखों से झलके
आंसू
कहा
परिवार तनाव में,
भूखो मरने कि आयी नौबत
एन
टी 24 न्यूज़
विनय
कुमार शर्मा
चंडीगढ़
कोरोना काल और उसके बाद लाकडाउन। जिसका खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ा और भगतना पड़ भी रहा है। हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा था कि लॉक डाउन पीरियड के दौरान न तो कोई कंपनी किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालेगी और न ही उसकी सैलरी कटेगी। गृह मंत्रालय कि तरफ से भी कंपनियों से आग्रह किया गया था कि किसी भी कर्मचारी को नौकरी से न निकाला जाये। लेकिन हालात इसके उलट ही है, कंपनियां अपनी मनमानी कर रही हैं और कर्मचारियों की न केवल सैलरी कट के मिली बल्कि उन्हें कोरोना संकटकाल का हवाला देते नौकरी से भी निकाल दिया गया है। ऐसे ही बुरे दौर से गुजर रहे है चंडीगढ़ के इंडस्ट्ररियल एरिया फेज 1 स्थित ग्रोज बैकरेट एशिया प्राईवेट लिमिटेड ( नीडल फैक्टरी) के 37 कर्मचारी। जिन्हे कंपनी की ओर से दिसंबर माह के पहले हफ्ते में अचानक ही नौकरी से बाहर निकाल दिया गया है। यह सभी कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व नोटिस....ओर बिना यूनियन के पदादिखारियों से विचार विमर्श... के निकाला गया है।
यह कर्मचारी कंपनी कार्यालय के बाहर ही शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं। कंपनी की ओर से करीब 37 कर्मचारियों को निकाला गया है। इन सभी कर्मचारियों से बात की । जिनका कहना था कि वह हर कर्मचारी यहां पिछले करीब 20 वर्षों से नौकरी कर रहे थे और कंपनी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कंपनी ने बिना किसी ..मुआवजे.. के उन्हें निकाल दिया है और अब उन्हें कौन रोजगार देगा। अब उन्हें कहां रोजगार मिलेगा। उन्हें अपना और अपने परिवार का भविष्य अंधकारमय दिख रहा है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आने वाले समय वो अपना और अपने परिवार का पेट कैसे पालेंगे। सभी कर्मचारियों ने 51 दिन तक लगातार गेट पर बैठने के बाद भी इन्साफ न मिलने पर इन सभी 37 कर्मचारियों ने अगले 07 दिनों तक भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। दुखी मन और रुआंसी आँखों से पत्रकारों से बातचीत करते हुए नौकरी से निकाले गए इन सभी कर्मचारियों का कहना था कि जब कंपनी को उनकी जरूरत थी, तब उन्हें रखा गया दिन रात काम लिया गया। अब कंपनी ने उन्हें बीच में ही बाहर का रास्ता दिखाया जो कि गलत है। ...निकाले गए... 37 कर्मचारी पिछले 07-20 वर्षों से कंपनी में अपनी सेवाएं दे रहे है।उनकी नौकरी पर उनका व् उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा था, अब इस उम्र में उन्हें कोई नौकरी भी नहीं देगा। बल्कि नीडल फैक्ट्री में जो जॉब वो करते थे, उसकी तो बाहर कहीं डिमांड भी नहीं है। अब वो लोग कहीं और काम भी नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें कुछ और काम आता ही नहीं।
कंपनी लॉक डाउन से कंपनी को हुए आर्थिक नुक्सान का हवाला देकर उन्हें निकाल रही है, जबकि कंपनी तो घाटे में नहीं चल रही।. लॉक डाउन एवं बाद मे भी सभी वर्कर्स का सैलरी का 25 फीसदी कट कर मिल रही थी। जिसे अभी तक उन्हें भुगतान नहीं किया गया। उनका कहना है कंपनी कि टॉप मैनेजमेंट व् अन्य स्टाफ भी अच्छी खासी सैलरी ले रहा है, उनकी सैलरी नहीं कटी क्योंकि वह लोग घर से अपना काम कर रहे है, ऐसा मैनेजमेंट का कहना है और न ही उन्हें किसी पुराने स्टाफ कर्मचारी को नौकरी से निकाला गया। ग्रोज बैकरेट एशिया प्राईवेट लिमिटेड वर्कर्स यूनियन के प्रेजिडेंट शैलेन्द्र ने बताया कि अपनी व्यथा को लेकर वो नगर सांसद किरण खेर के ऑफिस में भी जा चुके है, यहाँ से उन्हें इस सम्बन्ध में आश्वासन मिला है कि जल्द ही उनकी शिकायत का समाधान करवा दिया जाएगा। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद से भी से भी मुलाकात की हैं, उन्होंने उनकी बात को ध्यानपूर्वक सुना और मदद का आश्वासन दिया है। शैलेन्द्र ने बताया कि सभी कर्मचारियों ने 51 दिन तक लगातार गेट पर बैठने के बाद भी इन्साफ न मिलने पर इन सभी 37 कर्मचारियों ने अगले 07 दिनों तक भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि वह इसके खिलाफ लेबर कमिश्नर को भी शिकायत कर चुके हैं ताकि उन्हें न्याय मिल सकें।लेकिन लगभग 02 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक उन्हें इन्साफ नहीं मिल पाया है।
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