चंडीगढ़
चंडीगढ़ समस्याओं का भंडार सा बनता दिखाई दे रहा
है l चंडीगढ़ की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है l शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है l
लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, सरकार ने किसी
भी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर रखी है l पानी के
टैंकर के लिए बहुत ही कम पूर्ति हो पा रही है l सरकार की
जिम्मेदारी बनती है की सुचारू रूप से ऐसी व्यवस्था करके रखनी चाहिए ताकि ये नौबत
आने पर तुरन्त पानी की आपूर्ति की जा सके l वहीं दूसरी और दिन
- प्रतिदिन शहर की कानून व्यवस्था भी खराब होती जा रही है l छीना
- झपटी तो एक आम बात सी हो चुकी है l पुलिस प्रशासन का
कर्तव्य लॉ – एंड - ऑर्डर को कायम रखना है l किन्तु पुलिस केवल चालान काटने तक ही व्यस्त हैं l अपना रेवेन्यू बढ़ाने में पुलिस प्रशासन अधिक ध्यान दे रहा है l
शहर में बढ़ रहे PG भी चंडीगढ़ के लिए एक समस्या का सबब बन चुके है l अपराधिक
गतिविधियों में PG के बच्चे अधिक शामिल हो रहे, लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी तरह की भी नियमावली पॉलिसी जो PG
के लिए हो, नहीं बनाई गई है l चंडीगढ़ की जनता
अपनी दर्द भरी दासता सुनाएं तो किसको सुनाएं l प्रशासनिक
अधिकारी सुनते नहीं, उनके पास तो वक्त ही नहीं है, उनका व्यवहार अशोभनीय है, राजनेता जो जनता के प्रतिनिधि
बने हुए हैं, चुनाव के समय तो बड़े-बड़े वायदे करके जो पार्षद,
सांसद जनता की आवाज सुनने के लिए चुने गए,
लेकिन वह जनता का दर्द व उनकी समस्याएं सुनने के लिए उनके पास वक्त बिल्कुल है ही
नहीं l
चंडीगढ़ के सांसद से कोई भी व्यक्ति, कोई भी नागरिक फोन करके मिलने तक का समय नहीं ले सकता l ना उनके पास जनता
का दर्द सुनने का समय है, ना शायद उनकी इच्छा है, हर सुविधा सरकार की तरफ से उनको
मुहैया करवाई गई है l चंडीगढ़ के प्रशासक से कोई भी आम व्यक्ति अपनी दास्तां, अपना
दर्द, अपनी समस्याएं लेकर जाए तो भेंट करने का समय
मिलना नामुमकिन है l लोकतांत्रिक देश की इस व्यवस्था में जिसके पास पद - अथॉरिटी आ
गई है , वह अपने को राजा - महाराजा की तरह मानने लग
जाता है वह साधारण जनता से दूरी बनाकर रहना पसंद करता है l प्रशासनिक अफसरों को,
जनता के प्रतिनिधियों को अपने कर्तव्य का एहसास कब होगा ?. इसका इंतजार करते बरसों
बीत चुके हैं l जनता का यह रोष एक दिन महा-आक्रोश में बदल कर कहीं क्रांति की
ज्वाला में ना बदल जाए l इससे पहले अफसरशाही और राजनेताओं को वक्त रहते संभलना
होगा l
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