Sunday, 1 July 2018

पंचांग : दिनांक - 01 जुलाई 2018*, * दिन – रविवार * ,


 दिनांक - 01 जुलाई 2018*,  * दिन – रविवार * ,  *विक्रम संवत - 2075*,  *शक संवत -1940*,  *अयन - क्षिणायन*, *ऋतु - वर्षा*,  *मास - आषाढ़*,  *पक्ष - कृष्ण*,  *तिथि - शाम 05:54 तक तृतीया*,  *नक्षत्र - रात्रि 09:37तक श्रवण*, *योग - 02/7 प्रातः 05:47 तक विष्कम्भ*,  *राहुकाल - शाम 05:41 से 07:20* ,  *सूर्योदय - 06:01*,  *सूर्यास्त - 19:23*,  *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*,  *व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी  (चन्द्रोदय रात्रि 09-52)*,  *विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराणब्रह्म खंडः 27.29-34)*,  *रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराणब्रह्म खंडः  27.29-38)*,  *रविवार के दिन मसूर की दालअदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराणश्रीकृष्ण खंडः 75.90)*,  *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराणश्रीकृष्ण खंडः 75)*,  *स्कंद पुराण के अनुसार , रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*,
विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए *
*01 जुलाई 2018 रविवार को शाम 05:55 से 02 जुलाईसोमवार को रात्रि 08:20 तक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है ।*,  *शिव पुराण में आता हैं कि  हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :*,
*ॐ गं गणपते नमः ।*,  *ॐ सोमाय नमः ।*
 *चतुर्थी तिथि विशेष* , *चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।*,  *हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।* , *पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।*, *शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥*, * “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।*,
कोई कष्ट हो तो *
*हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैंमिटती नहीं हैं ।कभी कोई कष्टकभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं किकृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*
*छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
*ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
*ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*
*ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*
*ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदायदूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता    हैआलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और  जो प्रमादी न होलक्ष्मी स्थायी होती है ।*
                          * ॐ अविघ्नाय नम : *, * ॐ विघ्नकरत्र्येय नम : *






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