पर्वों से भरपूर नवंबर मास
कार्तिक मास हमारे देश में बहुत महत्व रखता है ।
इसी महीने में दिवाली, छठ
पूजा ,भष्म पंचकों का लगना, देवताओं का
शयन के बाद उठना, तुलसी विवाह, वैकुण्ठ
चतुर्दशी , कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक देव जी की जयंती
आदि के उत्सवों का आना , दैनिक जीवन में बहुत परिवर्तन लाता
है। इसी संदर्भ में 19 नवंबर, सोमवार को देव
प्रबोधिनी एकादशी तथा 20 को तुलसी विवाह पड़ रहे हैं।
19 नवंबर - देव उठनी एकादशी
ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी होती है, जबभगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में 4 माह के शयन के लिए चले जाते हैं. इन चार महिनों केदौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है, इस दिन चातुर्मास का समापनहोता है और भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद पुनः धरती का कार्यभार संभालने केलिए जाग उठते हैं। इस दिन से चार महीने से बंद विवाह पुनः प्रारंभ हो जाते हैं। इस एकादशीको देव उठनी एकादशी देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। इस एकादशी के व्रत को करने कातो अपना महत्व है ही इस दिन सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई तरह केउपाय भी किए जाते हैं क्योंकि भगवान विष्णु अपनी शैया से जागते ही भक्तों को आशीर्वाददेने के लिए आतुर रहते हैंदेवउठनी एकादशी के दिन से शादियों का शुभारंभ हो जाता है. सबसे पहले तुलसी मां की
पूजाहोती है. देवउठनी एकादशी के दिन धूमधाम से तुलसी विवाह का आयोजन होता है. तुलसी जीको विष्णु प्रिया भी कहा जाता है, इसलिए देव जब उठते हैं तो हरिवल्लभा तुलसी की प्रार्थनाही सुनते हैं.देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से की जाती है. अगर किसी व्यक्तिको कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसीविवाह कर प्राप्त कर सकता है.
देवउठनी एकादशी पारण मुहूर्त : 20 नवंबर कोसुबह 06:47:17 से 08:55:00 तक
अवधि : 2 घंटे 7 मिनट
देव उठनी एकादशी का व्रत समस्त प्रकार के पाप, शोक, दुख, संकटों का नाश करने वालाहोता है। इसलिए आप वर्ष की कोई एकादशी पर व्रत नहीं रखते हों, लेकिन इस एकादशी केदिन व्रत जरूर रखें। इस दिन सूर्योदय पूर्व जागकर स्नान कर भगवान
विष्णु का विधिवतपूजन करें एकादशी व्रत का संकल्प लें और एकादशी की व्रत कथा का पाठ या श्रवण
करेंदेव उठनी एकादशी के दिन अपने पूजा स्थान में एक मिट्टी के कलश में मिश्री भरकर उस परसफेद वस्त्र बांधें और उपर एक श्रीफल रखें कलश पर स्वस्तिक बनाएं और इसका विधिवतपूजन कर किसी ब्राह्मण को दान करें इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो कई प्रयासों के बाद भी विवाह की बात नहीं बन पारही हो, वे युवकयुवतियां देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जाग जाएं। जबआकाश में तारे हों, तभी स्नान करें और लक्ष्मीविष्णु की पूजा कर विष्णुसहस्रनाम के 7 पाठकरें। महालक्ष्मी और विष्णु को मिश्री का भोग लगाकर अपनी मनोकामना कहें। शीघ्र विवाहका मार्ग प्रशस्त होगा।जिन दंपतियों का विवाह कष्टपूर्ण चल रहा हो पतिपत्नी के संबंधों कटुता हो, वे देवउठनीएकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का मंत्र ओम् कृं कृष्णाय नमः मंत्र की एक माला जाप करेंश्रीकृष्ण को माखनमिश्री का भोग लगाएंवैवाहिक जीवन में शांति आएगी और पतिपत्नी केसंबंध मधुर बनेंगेआर्थिक संकटों और कर्ज से मुक्ति के लिए एकादशी का व्रत करेंशाम के समय पूजा स्थान मेंलाल रंग के उनी आसान पर बैठकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की एक माला जापकरें। भगवान विष्णु को हलवे का नैवेद्य लगाएं और तुलसी में प्रतिदिन शाम के
समय दीपकलगाना प्रारंभ करें।एकादशी के दिन से प्रारंभ करके लगातार 21 दिन पीपल में कच्चा दूध
और पानी मिश्रितकरके चढ़ाना प्रारंभ करें पीपल के वृक्ष की जड़ से थोड़ी सी गीली मिट्टी लेकर मस्तक औरनाभि पर लगाएंरोग मुक्ति होने लगेगीजीवन में लगातार कोई न कोई परेशानी बनी हुई हो बेवजह के संकट आ रहे हों तो एकादशीके दिन शाम के समय तुलसी विवाह संपन्न कराएंकिसी कन्या को भोजन करवाकर उसेवस्त्र,श्रृंगार का सामान भेंट देंप्रेम, आकर्षण और सम्मोहन प्राप्ति के लिए देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण औरराधाजी का श्रृंगार करें, उन्हें वस्त्र, मुकुट पहनाएं और माखन का भोग लगाएं इसके बादत्रेलोक्य मोहनाय नमः मंत्र की 21 माला जाप करें, आपके व्यक्तित्व में एक अद्भुत आकर्षणपैदा हो जाएगायह एकादशी सुख, सौभाग्य और उत्तम संतान प्रदान करने वाली एकादशी भी कही गई हैइसलिए संभव हो तो पतिपत्नी दोनों जोड़े से इस व्रत को करें और फिर देखें उनके जीवन मेंकितनी तेजी से परिवर्तन आता हैइस एकादशी के दिन तुलसी विवाह संपन्न कराने से परिवार में कोई संकट नहीं रहता, समस्तसुखों की प्राप्ति होती हैइस दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है ।
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, 9815619620
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