मनाएं तुलसी विवाह
20 नवंबर , मंगलवार को
तुलसी विवाह एक बहुत ही पवित्र त्योहर है इस दिन तुलसी के पौधे की शालीग्रम (पत्थर) से शादीकी जाती है ये शादी भी अन्य शादियों की तरह मनाई जाती है।नए नए कपड़े डाले जाते हैं, मंडप सजता है, फेरे होते हैं और दावत भी दी जाती हैइस साल तुलसी विवाह 20/2018 को आ रहा है । दरअसल चार महीने तकदेवता सोए हुए होते हैं और इस दौरान सिर्फ पूजा पाठ ही होता है कोई शुभ कार्य नहींहोता है देव उठनी के दिन सभी जागते हैं और मुहुर्त भी खुल जाते हैं देवताओं केउठने के बाद पहला शुभ कार्य होता है तुलसी विवाह तुलसी विवाह कार्तिक एकादशीके अगले दिन होता है ।
कैसे होता है विवाह ?
विवाह में सब कुछ आम विवाह की तरह ही होता है बस दुल्हन की जगह होता हैतुलसी का पौधा और दुल्हे की जगह शालीग्राम शालीग्राम असल में
विष्णु भगवान हैं ।घर सजाया जाता है मंडप लगता है सबसे पहले तुलसी के पौधे को लाल चुनरीओढ़ाई जाती है 16 श्रंगार का सामान चढ़ाया जाता है अग्रि जलाई जाती है,
शालिग्राम और तुलसी को हाथ में पकड़ कर फेरे दिलाए जाते हैं विवाह के बादप्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है विवाह में महिलाएं विवाह गीत और भजनगाती हैं ।
कथा
कहा जाता है कि बहुत सदियों पहले एक जालंधर नाम का असुर था । वो हमेशा हीदेवताओं को हरा देता । हर तरफ उसने क्रूरता फैला रखी थी उसकी ताकत के पीछेथी उसकी पत्नी वृंदा और उसका पतिव्रता धर्म जालंधर से परेशान देवताओं ने विष्णुसे गुहार लगाई तब विष्णु ने जालंधर की पत्नी का सतीत्व नष्ट कर दिया सतीत्वखत्म होते ही जालंधर असुर युद्ध में मारा गया वृंदा ने विष्णु को श्राप दिया कि तुमअब पत्थर के बनोगे विष्णु बोले, हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुमतुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी । जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वहपरम धाम को प्राप्त होगा ।
तुलसी विवाह
तुलसी विवाह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को संपन्न की जाती है इसदिन को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता हैहिंदू मान्यता के अनुसार इस दिनभगवान विष्णु रूपी शालिग्राम का विवाह तुलसी से होता है, साथ ही इस दिनभगवान विष्णु चार महीने तक सोने के बाद जागते है इस दिन तुलसी पूजा औरतुलसी विवाह करने का बडा ही महत्व है। तुलसी विवाह को लोग बहुत ही धूमधामऔर श्रद्धा भाव के साथ मनाते है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी जी को भगवान विष्णुका प्रिय कहा गया है विष्णु जी की पूजा के लिए तुलसी दल अर्थात् तुलसी के पत्तेहोना जरूरी होता है। बिना तुलसी दल के भगवान विष्णु की पूजा करना अधूरा मानाजाता है।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह संपन्न करवाने से व्यक्ति के सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है । उस स धरती के सारे सुख प्राप्त होते है। लोग तुलसी विवाह करवाते है, उनकावैवाहिक जीवन सुखमय होता है।तुलसी हर घर में होती है, तुलसी की सेवा और पूजाकरना महान पुण्य माना जाता है जिस घर में तुलसी जी की पूजा होती है, उस घर मेंकभी भी धन –धान्य की कमी नहीं होती है। यदि किसी घर में लड़के या लड़की की शादी में अड़चन आ रही हो, तो उन्हें जरूरतुलसी विवाह करवाना चाहिए। ऐसा करने से विवाह की सारी अड़चनें दूर हो जातीहै।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर
नामक एक राक्षस था उसने चारों तरफ बड़ाउत्पात मचा रखा था और वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था उसकी वीरता का रहस्यथा, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म उसी के प्रभाव से उसके पति को सुरक्षा कवचप्रदान हुआ जालंधर के
उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान
विष्णु के पास गये तथाउनसे रक्षा करने की प्रार्थना की उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा कापतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय कियाउन्होंने जालधंर का रूप धारण करके छल से वृंदा को स्पर्श किया वही वृंदा का पतिजालंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गयाजब वृंदा को इस बात का पता लगा तो क्रोधित होकर उसने भगवान विष्णु को श्रापदे दिया जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम भीअपनी स्त्री का छलपूर्वक हरण होने पर स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्यु लोक में जन्मलोगे। यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई, जिस जगह वह सती हुई वहाँतुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ ।
एक अन्य कथा
एक अन्य प्रसंग के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह श्राप दिया था कि तुमने मेरासतीत्व भंग करने के अपराध में तुम ह्दयहीन पत्थर बन जाओl तब भगवान विष्णुबोले, हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर सदा मेरे साथही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह कराएगा, वह परम धाम को प्राप्तहोगा। बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाएगी शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है ।
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़,
9815619620
No comments:
Post a Comment