14वें टीऍफ़टी विंटर नेशनल थिएटर फेस्टिवल के रु-ब-रु
कार्यकर्म के दोरान, नीरज रा़यज़ादा.
“ ज़िन्दगी जीने की ख्वाहिश मरने नही देती
कितने ख्वाबों की फेहरिस्त लिए बैठा हूँ मैं ”
कितने ख्वाबों की फेहरिस्त लिए बैठा हूँ मैं ”
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
अपनी लिखी कुछ इन्ही पक्तियों के
साथ प्रसिद्ध रंगकर्मी और आर्ट क्रिटिक श्री नीरज रा़यज़ादा ने बालभवन सेक्टर 23 में आयोजित 30 दिवसीय विंटर
नेशनल थिएटर फेस्टिवल के रू-ब-रू सैशन में युवा रंगकर्मियों के साथ अपने अनुभव
साझा किये.श्री नीरज रा़यज़ादावर्त्तमान में अंबाला मंडल के वरिष्ठ मंडलीय प्रबंधक है-
ज़मीन से जुड़े कर्मठ, लगनशील सिख्स की विभिन्न डिग्रियों एम.कॉम, एल.एल.बी,
एम.एम.सी, फैलो इन्सुरेंस इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (एच.
आर), विवेकानंद स्टडीज़ सरटीफिकेट, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से गोल्ड मैडल से
अलंकृत होने के साथ साथ एक शायर, एक कवी, एक लेखक एवं प्रसिद रंगकर्मी भी है और
मौजूदा समय में आज समाज के साथ बतौर कला समीक्षक जुड़े हुए हैं. पेशे से वकील और
स्वामी विवेकानंद जी को अपना
प्रेरणास्त्रोत मानने वालेनीरज जी
डिग्रियों को कला से भिन्न बताते हुए कला कोकिसी भी कलाकार केपैशन का नतीजा मानते
है l नीरज जी का मानना है कला एक कंपलसरी विषयहोना चहिएऔर हरव्यक्ति को अपने जीवन
में किसी ना किसी कला से ज़रूर जुड़ना चाहिए क्योंकि येआपका ज़िन्दगी जीने का तरीका
बताता है चाहे वो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जुड़ा हुआ हो. अपनी कार्यशैली को
साझाकरते हुए नीरज जी ने कहा कि कभी कभी उन्होंने अपनी ग़ज़ले गाड़ी ड्राइव करतेहुए
लिखी है और ज्यादातर मिसरे गाड़ी रोककर झट से लिखकर पूरे किए है l अपनेभाग्य को
मुम्बई में आज़माने की बात का जवाब देते हुए नीरज जी ने कहा कीफिल्मों में सफलता
भाग्य पर निर्भर है और यदि आप में काबिलियत है तो लोगखुद आपके पास आएंगे l आपनी
तर्ज़ तर्रार समीक्षाओं के लिए मशहूर नीरजकी मानते है कि कलाकार को आलोचना के लिए
तैयार रहना चाहिए साथ उन्होंने कहाकी वो किसी भी नाटक को देखने से उसके बारे में
कोई जानकारी नहीं लेते ताकिवो पूरी ईमानदारी और सच्चाई से समीक्षा लिख सकें l रंगमंचको
एक सर्वोत्तम विधा मानने वाले नीरज जी लगभग 50 से ऊपर नाटकों का हिस्सारह चुके हैं एवं दिल्ली दूरदर्शन से
दिग्गज रंगकर्मी एवं फिल्म जगत के जाने माने नाम रंजीत कपूर जी के साथ “चेखव की
दुनिया”, प्रवीण अरोड़ा के साथ"परसा" विनोद दुआ के साथ “कल हमारा होगा” एवं जानी-मानी विदेशी निर्देशिका पोमिलारुक्स के साथ “ट्रेन टू पाकिस्तान” का हिस्सा भी रह
चुके हैं एवं रंगमंच को आमआदमी के ज्यादा निकट और सार्थक एवं सकारात्मक संदेश देने
के लिए सर्वोत्तममानते हैं. बहुत ही जल्द उनके लिखे गए नाटक, गज़लों, कहानियों
कविताओं काअंग्रेजी एवं हिंदी में बड़े पकाशकों के साथ प्रकाशन होगा
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