Wednesday 5 June 2019

NT24 News : महिला ने देवर की जिंदगी बचाने के लिए दी अपनी किड नी.............

महिला ने देवर की जिंदगी बचाने के लिए दी अपनी किड नी
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
पंचकूला
त्याग और स्नेह की मिसाल कायम करते हुए, यमुनानगर की एक महिला ने अपने देवर की जान बचाने के लिए अपनी  किडनी दान की । डॉ.नीरज गोयल, किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन और कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट, अलकेमिस्ट हॉस्पिटल ने सफलतापूर्वक उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की। सतिंदर कुमार (32) एमबीए करने के बाद अपने कैरियर में आगे बढ़ रहा था कि लगभग एक साल पहले उसके स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आई । भूख कम लगने लगी और बार-बार उल्टी आती और कमजोरी भी हो गई। । वह एक जोखिमपूर्ण स्थिति से जूझ रहा था, जिसमें इसका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में नहीं आ रहा था। मेडिकल चैकअप के बाद पता चला कि उनके दोनों गुर्दे (किडनियां) खराब हो चुकी हैं और फेल होने के अंतिम चरण में हैं। उसकी दोनों किडनियां सिकुड़ गई थीं। अपने जीवन को बचाने के लिए उसने अपना नियमित डायलिसिस करवाना शुरू कर दिया। हालांकि डायलिसिस पर उनकी स्थिति काफी खराब हो गई थी, क्योंकि वह डायलिसिस को अच्छी तरह से बर्दाश्त नहीं कर रहे थे। उनकी स्थिति तब और जटिल हो गई जब उनको ब्लड संबंधित हेपेटाइटिस इंफेक्शन हो गया और उनका दिल भी काफी कमजोर हो गया। हालात ये हो गई कि उनका दिल उनके 28 प्रतिशत ब्लड को ही पंप कर कर पाने में सक्षम थे। बीमारी के चलते नौकरी भी चली गई और उपचार पर होने वाले खर्च से उस पर वित्तीय बोझ भी काफी बढ़ गया था और उसे बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था। हालात काफी खराब हो गए थे। ऐसे में डॉक्टरों ने उसको अपनी जान बचाने के लिए जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। सतिंदर के पिता और बड़े भाई उसकी जान बचाने के लिए अपनी किडनी दान करने के लिए तैयार थे, लेकिन  दोनों ही मैडिकल तौर पर अनफिट पाए गए। उनकी मां पहले से ही काफी लंबे समय से डायबटीज से पीडि़त थीं, ऐसे में वे भी किडनी दान नहीं कर सकती थीं। ऐसे में उसकी भाभी सुनीता (35) उसकी जान बचाने के लिए आगे आई। 7 वर्षीय बच्चे की मां सुनीता से अपने देवर की तकलीफ देखी नहीं गई और उन्होंने अपनी किडनी देने की बात रखी। सुनीता ने कहा कि ‘‘मेरे लिए, मेरा परिवार सबसे पहले आता है और मैं अपने परिवार को इस अत्यधिक दुखी परिस्थितियों में नहीं देख सकती थी।’’ सुनीता ने कहा कि मुझे अपने देवर को अपने सामान्य जीवन में वापस आते हुए देख काफी खुशी हुई है जो कि उसकी किडनी की बीमारी का पता लगने के बाद से सामान्य नहीं रह गया था। डॉ. नीरज गोयल ने बताया कि अलकेमिस्ट हॉस्पिटल में सतिंदर डॉक्टर्स की  विशेषज्ञ टीम की देखरेख में था। पहले उनका हेपेटाइटिस का इलाज सफलतापूर्वक किया गया और उनकी स्थिति को स्थिर करने के बाद, सतिंदर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई। अपने सकारात्मक दृष्टिकोण, और फिर से सामान्य जीवन जीने की इच्छा के कारण, सतिंदर ने ट्रांसप्लांट के बाद बहुत अच्छी तरह से रिकवरी प्राप्त की है। वह अब एक सामान्य जीवन जी रहा है और बीमारी के दौरान के सभी मानसिक तनावों को भूल जाने की कोशिश कर रहा है। डॉ.नीरज ने आगे कहा, अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में एक अच्छी तरह से स्थापित ट्रांसप्लांट प्रोग्राम होने मरीजों के लिए काफी लाभदायक है। इसके साथ ही हरियाणा राज्य में इस संबंधित कानूनी दस्तावेज की प्रोसेसिंग का काम काफी आसान और संगठित है, जिससे मरीजों को अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है।  इसमें लाइव संबंधित किडनी प्रत्यारोपण के संचालन से पहले सिंगल काउंटर क्लीयरेंस शामिल है जो कानूनी दस्तावेज को तैयार करने का समय कम करता है और रोगियों के कष्टों को जल्द दूर करता है

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