Sunday 24 November 2019

NT24 News : 30 सीनियर सिटीजंस ने मनोरोग संबंधी हेल्थ टॉक में हिस्सा लिया....

30 सीनियर सिटीजंस ने मनोरोग संबंधी हेल्थ टॉक में हिस्सा लिया
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
मोहाली
रविवार को यहां शैल्बी मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में 30 से अधिक सीनियर सिटिजन रविवार बुजुर्गों में मनोरोग संबंधी समस्याएं और इसका इलाज हेल्थ टॉक में शामिल हुए। इस अवसर पर डॉ. अमर भड़ारी, साइकेट्रिस्ट ने मनोरोग मेडिकल क्षेत्र में हुए डेवलपमेंट्स के बारे में बताया। सतपाल सिंह गंभीर सीएओ शैल्बी मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल भी इस अवसर पर उपस्थित थे। डॉ.भंडारी ने बुजुर्गों में साइकेट्री संबंधी समस्याओं के बारे में बात करते हुए कहा कि बुजुर्ग विभिन्न साइकेट्री विकारों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। 22 से 25 प्रतिशत बुजुर्गों को मनोचिकित्सा विकारों का सामना करना पड़ता है, और यदि उनका उपचार नहीं होता है तो ये वास्तव में घातक साबित हो सकते हैं। सबसे दुखदायी पक्ष ये है कि मनोरोग से पीडि़त अधिकांश लोग नॉलेज की कमी, समस्या के प्रति लापरवाही और मनोरोग से संबंधित सामाजिक सोच के कारण समय पर और सही इलाज नहीं करवा पाते हैं। उन्होंने बताया कि समय पर उपचार की कमी भी मनोरोग विकारों से प्रभावित लोगों में आत्मघाती प्रवृत्ति को बढ़ाती है। अमेरिका और यूरोप में मेडिकल छात्रों को शिक्षा और प्रशिक्षण के दौरान अन्य चिकित्सा विशिष्टताओं के साथ मनोचिकित्सा पर भी समान बल दिया जाता है,  भारत में इसके विपरीत जहां एमबीबीएस प्रशिक्षण के दौरान अन्य चिकित्सा विषयों की तुलना में मनोरोग प्रशिक्षण तुलनात्मक रूप से कम है। उन्होंने कहा, परिणामस्वरूप चिकित्सकों को मनोचिकित्सा समस्याओं के उपचार और प्रबंधन के दिशा-निर्देशों में पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है। डॉ भंडारी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन देशों में भारत का मूल्यांकन किया है जिनके पास आबादी के लिए आवश्यक साइकेट्रिस्ट कम हैं। भारत में जनसंख्या के तुलना में हमारे पास बहुत कम साइकेट्रिस्ट हैं। देश के कुछ जिलों में साइकेट्रिस्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों में साइकेट्री चिकित्सा में प्रगति ने मनुष्यों के जीवन अवधि में बहुत वृद्धि की है। मनोचिकित्सा की बीमारी कितनी खतरनाक हो सकती है, इस बारे में बात करते हुए, डॉ भंडारी ने कहा कि हृदय रोग के बाद साइकेट्री सबसे आम चिकित्सा स्थिति है। आत्महत्या बच्चों और युवा वयस्कों में मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है। लगभग 40 प्रतिशत सभी विकलांगता मनोरोग विकारों के कारण होती हैं या बढ़ जाती हैं।

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