व्यंग्य
हमें भी सम्मानित करो
एन टी 24 न्यूज़
मदन गुप्ता सपाटू
चंडीगढ़
कल बाबू रामलाल, नाक पर नीली लुंगी (मास्क की जगह अंगोछा) लटकाए, गले
में गोल्ड मेडल टांगे, हाथ में रंग बिरंगा साटीफिटक (उनकी
भाषा में) थामे, शाल ओढ़े, सम्मान समारोह
से डायरेक्ट हमारे दरवज्जे, अपनी वीर गाथा सुनाने लैंड कर गए
और मारे खुशी के नॉन स्टॅाप चालू हो गए ,‘ भईया ! आजतक किसी
ने हमें घास तक नहीं डाली, भला हो कोरोना का, हमें कई संस्थाओं ने ' कोरोना वॉरियर ' की उपाधि से सम्मानित होने का निमंत्रण दिया
है। यही नहीं कई समाज सेवी संस्थाएं
, ऑन लाइन सम्मानित करने वाली हैं।’ हमारा
माथा ठनका कि जो शख़्स चार महीने से लॉक डाउन के दौरान, घर
में दुबका बैठा रहा, कभी अठन्नी तक नहीं खर्ची, व्हॉट्स एप पर बेकार सी डिश दिखा दिखा कर टाइम पास करता रहा, जब मजदूर नंगे पैर जलती सड़कों पर अपने गांवों को दौड़ रहे थे,
उस वक्त जिसके घर का माहौल ऐसा था मानो कह रहा हो- कारवां गुज़र गया
टीवी देखते रहे, जो कोरोना कैरियर तक नहीं था, आज कोरोना वारियर कैसे हो गया ? फिर समझ आया कि कुछ
लोगों का धंधा ही सम्मानित करना है चाहे वह साहित्य का क्षेत्र हो या समाज सेवा
का। ऐसे लोग कभी बेरोजगार नहीं रहते। लॉक डाउन में दूसरों के पैसों से लंगर,
छबीलें लगा कर, मास्क सैनेटाइजर बांट कर
, अखबारों में फोटो छपवा कर, सोशल
मीडिया में वाहवाही लूट कर अनलॉक होते ही सोचने लगे कि अब क्या किया जाए ?
वेरी सिंपल! सर्टीफिकेट छपवाओ, 50 रुपये
वाले गोल्ड मेडल होलसेल में खरीदो, 125 रुपये की शाल आ जाती
है, सोशल आर्गनाइजेशन के नाम पर सस्ते में हॉल बुक करवाओ और
मामला फिट। बहुत से लोग तो खुद ब खुद ये आयटम्ज साथ लेकर ही चलते हैं। न जाने किस मोड़ पर सम्मानित करने वाले मिल जाएं ! एडीशनल खर्चा भी
बच जाता है ...सो अलग। मीडिया कवरेज....नो प्रॉब्लम
! सम्मान करने वाले भी खुश और होने वाले भी ’ फील ऑब्लाईज्ड’। आम के आम गुठलियों के दाम। एक सज्जन तो
सम्मान समारोहों में इतने बिजी हैं कि कई हफ्तों से घर में खाना ही नहीं खाया।
सुबह सम्मानित , शाम सम्मानित। चाय पानी , लंगर मुफ्त। जिन्होंने डक्का तक नहीं तोड़ा उनके घर कोरोना वॉरियर के
प्रमाण पत्रों, शाल दुशालों से सुसज्जित हैं। जो रात दिन
सेवा करते रहे, वे मुंह ताक रहे हैं। एक सज्जन ने तो कोरोना
सेवा भाव के लिए खुद ही अखबार में पदम श्री प्रदान करने की सिफारिश तक कर दी है। जमाना सेवा भाव का कम, ईवेंट मैनेजमेंट का अधिक है। जो न सीखे वो
अनाड़ी है। हमने क्या क्या न किया कोरोना तेरे लिए ? ताली
बजाई । थाली बजा बजा कर तुड़वाई। मोमबत्ती और दियों का खर्चा उठाया। चार
महीने घर में बर्तन घिसे झाड़ू पोचे किए। और अनलॉक पीरियड में बीवी ने इसे परमानेंट
डयूटी में ही शामिल कर दिया। कोविडों का फोन पर हालचाल पूछते रहे। और अब हमें
पूछने वाले नदारद हैं ! अब ये तो वही बात हो गई कि घोड़े को न मिले घास, गधे खाएं च्यवनप्राश। लंगूर ले भागे हूर। अच्छे समार्ट लोग बॉलीवुड और
राजनीति में जीवनसाथी की तलाश में ताकते झांकते और बुढ़ा जाएं और लूले लंगड़े घोड़ी
चढ़ जाएं। फरस्ट्रेशन तो बनती है न ! और हमारा कोरोना अवार्ड भी तो बनता ही है।
अवार्ड सेरेमनी का खर्चा-पत्ता भी हम खुदे ही उठाय लेंगे। फंक्शन का सामान और
सम्मान भी उठा ले आएंगे। फोटूग्राफर और वीडियो वाला भी हमीं संभाल लेंगे। बस
आप हमें एक मौका सम्मानित होने का जरुर दीजे। कोरोना कब
जाएगा ये तो चीन को भी नहीं पता परंतु कोरोना कैरियर्ज से ज्यादा कोरोना वारियर्ज की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वह दिन दूर नहीं जब 15
अगस्त या 26 जनवरी को पदम श्री की तरह कोरोना श्री जैसे अलंकरणों से ऐसे लोगों की लंबी लाईन को सम्मानित किया जाएगा! हिन्दुस्तान बदल रहा
है , आप भी बदलो । मदन गुप्ता सपाटू, मो- 9815619620, 458,सैक्टर 10, पंचकूला .134109 - हरियाणा
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