सरकारी मॉडल स्कूल-35 के विद्यार्थियों ने घर से योगासन कर मनाया "राष्ट्रीय खेल दिवस"
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
चंडीगढ़
29 अगस्त को हाकी के महान खिलाड़ी जिनको हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है मेजर
ध्यानचंद जी का जन्मदिन होता है जो प्रतिवर्ष "राष्ट्रीय खेल दिवस" के
रुप में मनाया जाता है। इस दिन देश के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय खेल पुरस्कार भी दिए जाते हैं जिसमें राजीव गांधी
खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कारों के अलावा तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार प्रमुख हैं। इसलिए आज सरकारी मॉडल स्कूल-35 के विद्यार्थियों ने घर से योगासन कर "राष्ट्रीय खेल दिवस" के
रूप में हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी जन्मदिन मनाया। प्रशासन के दिशा
निर्देशानुसार कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए शिक्षक विद्यार्थियों को
घरों में ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे है। इसलिए सरकारी मॉडल स्कूल सेक्टर 35, चंडीगढ़ के योगा के विद्यार्थियों ने घर से योगासन कर अपने स्पोर्ट्स टीचर
कुलदीप मेहरा के मार्गदर्शन में "राष्ट्रीय खेल दिवस" मनाया। उन्होंने
बताया कि योगासन और प्राणायामों के माध्यम से हम किसी प्रकार के तनाव से आसानी से
मुक्ति पा सकते हैं यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं। योगासन करने से
दिमाग तेज होता है यह हमें कईं तरह की बीमारियों मधुमेह, रक्तचाप,
हृदय रोग, थाईराइड एवं अस्थमा से होने वाले
खतरों को कम कर देते है। हम आपने आपको तन्दरूस्त एवं फिट महसूस करेंगे। वहीँ स्कूल
प्रिंसिपल श्रीमती प्रभजोत कौर ने भी राष्ट्रीय खेल दिवस पर सभी को बधाई दी। मेजर
ध्यानचंद जी ने भारत के लिए लगातार तीन-तीन ओलंपिक खेलों एम्सटर्डम ओलंपिक-1928,
लासएंजेलिस-1932 और बर्लिन ओलंपिक-1936
में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा दिया था, उन्होंने
ने ओलंपिकों में कुल 49 मैच खेले थे जिनमें से उन्होंने 48
मैच जीते थे, तब हिटलर भी मेजर ध्यानचंद जी के
प्रशंसक (फैन) बन गये थे उन्होंने मेजर ध्यानचंद जी को जर्मनी की सदस्यता ग्रहण
करने के लिए और उनके देश के लिए खेलने के लिए पेशकश और आग्रह किया लेकिन मेजर
ध्यानचंद ने उनका यह आग्रह यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि मैं एक भारतीय हूँ और
हमेशा सिर्फ अपने देश के लिए ही खेलता रहूंगा, इस बात पर
आजतक सभी भारतीयों को गर्व है। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान 400
से अधिक गोल किए। भारत सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
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