हमारे बिच नही रहे 70वर्षीय गुरचरण सिंह उर्फ़ चन्नी
वरिष्ठ रंगकर्मी गुरचरण सिंह चन्नी की जिंदगी का
रोल हुआ ख़त्म, कलाकारों ने नम आखों से दी विदाई
एन टी24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
चंडीगढ़
परदे पर कलाकार सो बार मरता है और सो जीता हैl एक कलाकार अपने अभिनय से लोगों को हसता भी है और रुलाता भी हैl ऐसे ही थे वरिष्ठ रंगकर्मी गुरचरण सिंह चन्नी जो वीरवार मोहाली फोर्टीज अस्पताल में उपचाराधीन थेl कोरोना ने उन्हें भी अपनी चपेट में ले लिया था। इस बीच सभी लोगों ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना भी की थी। लेकिन शहर में फेल रहे कोरोना ने उन्हें भी हमसे छीन लिया। वे 70 वर्ष के थे। चन्नी एक TV फिल्म निर्माता, अभिनेता, मंझे हुए रंगमंच व्यक्तित्व, नाटककार के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने दफा 144, जिंदगी रिटायर नहीं होती, रॉकेट हो या बॉम्ब, पहनो कंडोम जैसे नाटकों को बेहद सराहना मिली है। उन्होंने कई टेलीफिल्म्स और दो दर्जन से भी अधिक डॉक्युमेंट्रीज बनाई हैं। साथी कलाकार यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि अस्पताल में क्लाउन बनकर मरीजों को हंसा कर स्वस्थ करने वाला वो क्यूट इंसान आज अपने जीवन की जंग हार गया। बहरहाल चन्नी की मृत्यु से न सिर्फ रंगकर्मी बल्कि पूरा शहर शोक में है। सभी गुरचरण सिंह चन्नी सेक्टर 35 में अपने परिवार सहित रहते थे। वे चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। ड्रामा रिपर्टरी कंपनी सेवा के निदेशक चन्नी का 40 साल का रंगमंच का अनुभव था। वे PU चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ थिएटर, NSD दिल्ली और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे के स्टूडेंट रह चुके हैं। गुरचरण सिंह चन्नी कहते थे के अगर बोझ समझकर या लालच में किसी काम को किया जाए तो वह कभी फायदा नहीं देता। उनके मुताबिक रंगमंच सोसायटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके जरिए इंसान का चेहरा दिखाया जाता है। अगर उसे गंभीरता से दिखाया जाएगा तो कोई भी उस सत्य को नहीं कुबूलेगा। इसलिए वह हमेशा चेहरे पर कलाकारी करके अपनी कला के माध्यम से सभी को हंसाने में विश्वास रखते थे।
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