कैप्टन द्वारा बिजली समझौते रद्द करने के लिए लिखी चिट्ठी एक टाइम पास ड्रामा हरपाल सिंह चीमा
पहले मंत्रिमंडल फिर विधान सभा के द्वारा बिजली समझौते रद्द करने की मांग की
कहा आहलूवालिया समिति की सिफारिशें भी विधान सभा के द्वारा हमेशा के लिए रद्द हों
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
चंडीगढ़
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा बिजली खरीद
समझौतों की समीक्षा या रद्द करने के लिए पीएसपीसीएल को लिखी चिट्ठी के बारे में आम
आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर व नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने सवाल किया
कि अगर एम.डी को चिट्ठी लिख कर पंजाब विरोधी बिजली समझौते रद्द या रिव्यू हो सकते
हैं तो साढ़े चार साल कैप्टन और कांग्रेसी कहां सो रहे थे? चीमा ने बिजली समझौते रद्द करने में साथ देने का वायदा देते कहा कि यदि
मुख्यमंत्री सच में ही गंभीर हैं तो तुरंत मंत्रिमंडल की बैठक में और फिर विधान
सभा के सैशन के द्वारा पीपीएज समझौते रद्द करवाएं। जिन को अकाली-भाजपा सरकार के
दौरान बादलों की कैबिनेट ने पास किया था। वीरवार को पार्टी दफ्तर में प्रेसवार्ता
के दौरान चीमा ने कहा, ‘यह चिट्ठी-चिट्ठी का खेल पंजाब के
लोगों के साथ एक ओर धोखा और कांग्रेस सरकार की टाइम पास की एक चाल है।’ चीमा ने कहा कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह जनता को स्पष्ट करें कि मंत्रिमंडल
की बैठक बुलाने से क्यों भाग रहे हैं? चीमा ने कहा कि आज 41
दिन हो गए पंजाब मंत्रिमंडल की कोई बैठक ही नहीं बुलाई गई। आज तक
ऐसा नहीं हुआ कि इतने दिनों तक मंत्रिमंडल की बैठक ही न बुलाई गई हो। चीमा ने
विधान सभा सैशन बुलाने की मांग करते सवाल किया क्या कैप्टन बताएंगे कि पी.पी.एज के
बारे में जो वाइट पेपर विधान सभा में लहरा रहे थे, वह कहां
है? नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कैप्टन की चिट्ठी ने एक बात साफ कर दी
कि आम आदमी पार्टी बिजली समझौते रद्द करने का जो मुद्दा पिछले 7-8 सालों से गांवों-मोहल्लों से लेकर विधान सभा में उठाती आ रही व धरने
प्रदर्शन करती आ रही, वह बिल्कुल सही और लोक हितैषी है। इससे
हमारे यह आरोप भी सही होते हैं कि बादलों ने निजी बिजली कंपनियों के साथ कमिशन
(दलाली) निर्धारित की हुई थी, वही कमिशन बाद में कांग्रेस
सरकार ने लेना शुरू कर दिया। जिस कारण कैप्टन-जाखड़ समेत सब चुप हो गए और नवजोत
सिद्धू बिजली विभाग संभालने से पीछे हट गए मोनटेक सिंह आहलूवालिया समिति की सिफारिशों के बारे में हरपाल सिंह
चीमा ने कहा यह समिति पंजाब के लोगों को दी जातीं बिजली समेत सभी सब्सिडियां खत्म
करना चाहती है। चीमा ने आरोप लगाया कि आहलूवालिया समिति को लगाया तो कैप्टन ने था,
परन्तु उसे चलाया नरेंद्र मोदी सरकार ने है। नतीजा आहलूवालिया वही
सिफारिशें कर रहा जो मोदी सरकार के नए बिजली संशोधन बिल 2021 के द्वारा थोपने की कोशिशें हो रही हैं। चीमा ने मांग की है कि सरकार
आहलूवालिया समिति की सिफारिशों को भी विधान सभा के द्वारा हमेशा के लिए रद्द करे। ‘आप’ नेता ने मांग की है कि बिजली समझौते
समीक्षा और रद्द करने की कार्यवाही भी माननीय हाईकोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।
जो भी आरोपी और पंजाब विरोधी हैं, उन पर कार्यवाही हो। इसके
साथ ही इन 8-10 सालों में पंजाब के खजाने और लोगों को
अंधाधुंध लूटने वाले बादलों, बिजली कंपनियों, अफसरों और दलालों के पास से अरबों रुपए वापिस करवाए जाएं।
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