भाजपा ने समर्पण दिवस के रूप में मनाई पंडित
दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि
भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम व विनोद
तावड़े ने की शिरकत
पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिया गया अंतोदय व
एकात्मक मानववाद का सिद्धांत आज भी प्रसांगिक
एन
टी 24 न्यूज़
पूजा
गुप्ता
चंडीगढ़
भारतीय
जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 54वीं
पुण्यतिथि को भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ द्वारा
भाजपा प्रदेश कार्यालय कमलम में समर्पण दिवस के
रूप में मनाया गया । कार्यक्रम में भाजपा के
राष्ट्रीय महामंत्री पंजाब व चंडीगढ़ के प्रभारी दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय महामंत्री विनोद श्रीधर तावडे, राष्ट्रीय
मंत्री पंजाब के सह प्रभारी नरेंद्र रैना ने
मुख्य रूप में हिस्सा लिया जबकि भाजपा हिमाचल के
सह प्रभारी एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन, महामंत्री
रामवीर भट्टी, चंद्रशेखर , मेयर सरबजीत कौर ,प्रवक्ता गौरव गोयल
सहित सभी प्रदेश पदाधिकारी, पार्षद, जिला, मोर्चा, मण्डल के पदाधिकारीयों सहित अनेक
कार्यकर्ता मौजूद थे । उक्त जानकारी देते हुए प्रदेश प्रवक्ता कैलाश चंद जैन ने बताया कि कार्यक्रम में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति पर माल्यार्पण
कर श्रद्धांजलि दी गयी व तत्पश्चात श्रधांजलि सभा
व समर्पण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस
अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने कहा कि आज पंडित दीनदयाल
उपाध्याय की 54वीं पुण्यतिथि समर्पण दिवस के रूप में
मना रहे हैं। 1951 में भारतीय जनसंघ का गठन हुआ।
गठन के लिए संघ ने पांच महानुभावों का चयन किया
था जिनमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक थे। उन्होंने एकात्मक मानव दर्शन व अंत्योदय
का विचार दिया। उनके द्वारा दिए गए अंतोदय दर्शन, जिसमें पंक्ति में अंतिम खड़े अंतिम
व्यक्ति की चिंता करना मुख्य है और इसी विचार को सामने रखते हुए आज की भाजपा सरकार
चलाई जा रही है । पंडित दीनदयाल की विचारधारा व्यक्ति को राष्ट्र के प्रति , समाज के प्रति समर्पण का दर्शन देती है । आज उनके जीवन को आत्मसात करने का
दिवस दिन है। कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने पंडित
दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर प्रकाश डाला तथा कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय
एकात्म मानववाद के प्रणेता थे।उन्होंने किसी विचारधारा या दलगत राजनीति से परे रहकर राष्ट्र को सर्वोपरि माना। उन्होंने अपने जीवनकाल में एकात्म मानववाद का जो सिद्वांत प्रतिपादित किया, वह आज दशकों बाद भी सामयिक बना हुआ है। एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित
दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि भारतवर्ष विश्व में सर्वप्रथम रहेगा तो अपनी
सांस्कृतिक संस्कारों के कारण । उनके द्वारा स्थापित एकात्म मानववाद की परिभाषा
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सामयिक व प्रसांगिक है। उनका मानना था कि भारत की
आत्मा को समझना है तो उसे राजनीति अथवा अर्थ-नीति के चश्मे से न देखकर सांस्कृतिक
दृष्टिकोण से ही देखना होगा। भारतीयता की अभिव्यक्ति राजनीति के द्वारा न होकर
उसकी संस्कृति के द्वारा ही होगी। पं. दीनदयाल उपाध्याय महान चिंतक और संगठक थे आज
उनकी पुण्यतिथि पर हम उनका स्मरण तो करते हैं। आज
जरूरत है कि हम उनके बताये रास्ते पर चलें और भारत की सांस्कृतिक विविधता को
विस्तार देकर एक नये भारत का निर्माण करें। भाजपा जो कार्य कर रही है उसकी राह
दीनदयाल जी के अंतोदय ने ही दिखाई है। समाज का
देश का विकास केवल संघर्ष करने से नहीं होगा बल्कि आपसी समन्वय से ही विकास हो
सकता है। सभी वर्गों का आपस में समन्वय होगा तो
देश का विकास होगा । उनके द्वारा बताए गए अंतोदय
दर्शन को मानकर ही आज भाजपा सरकार कार्य कर रही है। भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को यह विचार करना चाहिए कि वे गरीब व्यक्ति के लिए रोज कुछ ना कुछ कर सकते हैं क्या? विनोद तावड़े ने समर्पण दिवस पर माइक्रो
डोनेशन का भी जिक्र किया उनके अनुसार आज देश के लिए समाज के लिए समर्पण करने का
दिन है। इससे पूर्व भाजपा कार्यालय पहुचने पर दुष्यन्त गौतम, विनोद तावड़े ओर नरिंदर रैना का भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत किया गया
।
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