हार के डर से बौखला कर, आखिर लोकतंत्र की हत्या करने की हद पर उतर ही आई बीजेपी!*दीपा दुबे
दम है तो ये चूहे-बिल्ली वाला खेल बंद कर, बराबरी
पर मुक़ाबला कीजिए मोदी जी! दीपा दुबे
विनय कुमार
चंडीगढ़
आज चंडीगढ़ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष दीपा दुबे ने
प्रेस वार्ता मे कहा कि 18वीं लोक सभा के आम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। देश का हरेक नागरिक इसमें
भाग लेने के लिए उत्सुक है।भारत पूरी दुनिया में अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और
अर्दर्शों के लिये जाना जाता रहा है। किसी भी लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव
अनिवार्य होता है- साथ ही यह भी आवश्यक होता है कि सभी राजनीतिक दल के लिए समान
स्तर के खेल का मैदान हो। सभी दलों के पास समान रूप से संसाधन हो।ये नहीं कि जो
सत्ता में हैं उनका संसाधन पर एकाधिकार हो।ये नहीं कि उनका मीडिया पर एकाधिकार हो।
ये नहीं कि सत्ताधारी दल का सांविधानिक तथा न्यायिक संस्थाओं जैसे- आईटी, ईडी, चुनाव आयुक्त पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष
नियंत्रण हो। दुबे ने कहा कि दुर्भाग्य से जो पिछले दिनों माननीय सर्वोच्च
न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद जो इलेक्ट्रिक बोंड - चुनावी चंदा बोंड के बारे में
जो तथ्य निकल कर सामने आये वो बहुत ही चिंताजनक हैं। शर्मनाक भी हैं क्योंकि इससे
हमारे देश के छवि को ठेस पहुँची है । हमारे देश ने पिछले 70
सालों में निष्पक्ष चुनाव और स्वस्थ लोकतंत्र की जो छवि बनायी थी उस पर प्रश्न
चिन्ह लग गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने जिस चुनावी चंदा बोंड को अवैध और
असंवैधानिक कहा, उस स्कीम के तहत मौजूदा सत्ताधारी दल ने 6 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा अपने अकाउंटल में भर लिया। और दूसरी तरफ़
साज़िशन मुख्य विपक्षी दल का बैंक खाता फ्रीज कर दिया ताकि हम पैसों के अभाव में
बराबरी से चुनाव ना लड़ पाएँ, यह सत्ताधारी दल द्वारा एक
ख़तरनाक खेल खेला गया है। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। पर ये स्पष्ट है कि इस
तरीक़े से किसी राजनीतिक दल को असहाय बना कर चुनाव लड़ने में बाधा उत्पन्न करना
फ्री और फेयर चुनाव कभी नहीं कहा जा सकता । उन्होंने ने कहा कि देश की जनता- एक आम
नागरिक ये देख सकता है कि भाजपा ने चुनावी
चंदा बोंड से 56% पैसे हथियाए हैं वहीं कांग्रेस को मात्र 11% ही मिले हैं। और ये वो पैसे हैं जो बोंड से बीजेपी ने लिये हैं । इसके
अलावा जो कैश में इनके पास आता होगा उसका तो कोई खाता ही नहीं है। आप इनके खर्चे
देखें । हर तरफ़ इनका इश्तिहार लगा हैं। रोज़ अख़बार, टीवी,
रेडियो, इंटरनेट , करोड़ों रुपये की बड़ी
बड़ी रैलियाँ, रोडशो हो रहे हैं ।देश के हर ज़िले में 5 सितारा भाजपा कार्यालय बने हैं। कहाँ से पैसे आये ? क्या ये बिना पैसे के हो रहे हैं? मैं कहना नही
चाहती कि बीजेपी ने किस तरीक़े से कंपनियों से ये पैसे लिये हैं, क्योंकि सर्वोच्चन्यायालय तथ्यों की जाँच कर रहा है। हमें उम्मीद है कि
सच्चाई बहुत जल्द हम सब के सामने आयेगी।और अंत में देश के सांविधानिक संस्थाओं से
अपील करता हूँ कि अगर वो फ्री और फेयर इलेक्शन चाहते हैं तो हमारी पार्टी को बग़ैर
किसी रोक -टोक के बैंक खाते को इस्तेमाल करने दें। जो इनकम टैक्स का क्लेम है वो
अंततः कोर्ट के निर्णय के अनुसार सैटल हो जाएगा। राजनीतिक दल टैक्स नहीं देते,
बीजेपी ने कभी नहीं दिया, इसके बाद भी अगर
हमसे यह माँगा जा रहा है, तो हम न्यायालय के अंतिम निर्णय का
इंतज़ार करेंगे। परंतु 18 वीं लोक सभा का चुनाव दुबारा नहीं
होगा, इस लिये स्तर के खेल का मैदान बने रहने के लिए ये बाधक
है कि हमारे खाते को तुरत डिफ्रीज किया जाए।
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