Sunday, 23 November 2025

NT24 News: कॉलोनीवासियों के साथ भेदभाव बंद करो: बनारसी दास पूर्व मेयर, चंडीगढ़

एक शहर – दो पॉलिसी क्यों?

कॉलोनीवासियों के साथ भेदभाव बंद करो

चंडीगढ़, राखी: चंडीगढ़ प्रशासन लगातार ऐसी नीतियाँ बना रहा है जिनसे यह साफ दिखाई देता है कि एक ही शहर में दो अलग-अलग नियम लागू किए जा रहे हैं—एक सोसाइटी/हाउसिंग बोर्ड के लिए और दूसरा रिहैबिलिटेशन कॉलोनियों व टेनामेंट्स के लिए।स बके अलॉटमेंट एक ही नियमों के आधार पर हुए थे – फिर अधिकार अलग क्यों? चंडीगढ़ प्रशासन ने जिन नियमों के आधार पर सोसाइटी फ्लैट्स और हाउसिंग बोर्ड मकान अलॉट किए थे, उन्हीं नियमों के आधार पर कॉलोनीवासियों के मकान भी अलॉट किए गए थे। सोसाइटी और हाउसिंग बोर्ड के निवासियों को मकान बेचने और खरीदने का अधिकार दिया गया। लेकिन कॉलोनीवासियों को उसी अधिकार से वंचित रखा गया—क्यों? यह स्पष्ट भेदभाव है और गरीब व मध्यम वर्ग के साथ सीधा अन्याय है। कॉलोनीवालों को कमेटियों में क्यों शामिल नहीं किया जाता? जब भी कॉलोनियों से जुड़े बड़े फैसले लिए जाते हैं: न तो किसी कॉलोनी के प्रतिनिधि को समिति में शामिल किया जाता है। न ही उनकी राय ली जाती है। क्या कानून सिर्फ उन्हीं के लिए बनेंगे जिनके अधिकारी या रिश्तेदार प्रशासन में हैं? हम कॉलोनियों के लोग न अधिकारी के रिश्तेदार हैं, न सत्ता के नजदीक—क्या इसलिए हमारे खिलाफ कानून बनाए जाएँगे? यह लोकतंत्र नहीं, एकतरफा थोपे गए निर्णय हैं। नया प्रस्तावित फैसला कॉलोनीवासियों के भविष्य पर बड़ा संकट प्रशासन ने कहा है कि: केवल वही लोग कॉलोनी के मकानों में रह सकेंगे जिनके नाम मूल रूप से अलॉटमेंट हुआ था। उनके बच्चे मालिकाना हक़ के उत्तराधिकारी नहीं होंगे। यह निर्णय हजारों परिवारों को बेघर करने जैसा है और पूरी तरह अमानवीय है। हमारा स्पष्ट विरोध हम सभी कॉलोनीवासी इस अन्यायपूर्ण फैसले का कड़ा विरोध करते हैं। अगर प्रशासन ने यह प्रस्ताव वापस नहीं लिया, तो शहरवासी सामूहिक तौर पर इसका जोरदार आंदोलन करेंगे। कमलेश बनारसी दास पूर्व मेयर, चंडीगढ़

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