Saturday, 21 July 2018

भगवान शिव को प्रिय सावन का महीना


                     भगवान शिव को प्रिय सावन का महीना

एन टी 24 न्यूज़ 
चंडीगढ़
भगवान शिव को प्रिय सावन का महीना शुरू हो गया है । इस महीने में सोमवार के दिन का तो महत्व होता ही है। साथ ही इसमें मंगलावर का भी विशेष महत्व है । ऐसी मान्यता है कि प्रबोधनी एकादशी से सृष्टि के पालन कर्ता भगवान विष्णु सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर अपने दिव्य भवन पाताललोक में विश्राम करने के निकल लेते है और अपना सारा कार्यभार महादेव को सौंप देते है। भगवान शंकर पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर पृथ्वी वासियों के दुःख दर्द को समझते है एंव उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं l
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शंकर ने जो विषपान किया थावह घटना भी सावन महीने में ही हुई थी तभी से यह क्रमअनवरत चलता  रहा है ।रौद्रावतार भगवान शिव की सौम्य मूर्ति एवं रूप का दर्शन मात्र श्रावण मास में ही संभव है l जैसा कि पुराणों में या विविधग्रन्थों में या लोकमत के रूप में यह प्रसिद्ध है कि भगवान रुद्र के 11 ही अवतार है। जो भाद्रपद से लेकर आषाढ़ माह तक 11महीनों में नाम के अनुरूप मासों में पूजित एवं सिद्ध किए जाते हैं। किन्तु श्रावण माह में शान्तसौम्यसुन्दरप्रफुल्लित एवंसन्तुष्ट भगवान शिव की अनुपम एवं मनमोहक मूर्ति सद्यः प्रसन्न एवं वरदायिनी होती है।इस महीने में भगवान शिव मुँह माँगा वरदान देने के लिए तत्पर रहते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस श्रावण माह में सीधेसादे भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करके जो वरदान चाहें वह माँग लें। भक्त भगवान शिव के इस रूप की पूजा का खूब लाभउठाते हैं ।
भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो स्वयं तो वस्त्र हीन हैं। किन्तु सम्पूर्ण विश्व को अपनी भक्ति का आवरण प्रदान कर सारेदैहिक,  दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्त कर देते हैं। स्वयं तो स्थायी निवास के अभाव में दरदर भटकते रहते हैं ।  किन्तुअपने भक्तों को मुक्ति का वरदान प्रदान कर सदा के लिए भ्रम एवं माया से परिपूर्ण सदा कष्टकारी जगत प्रपंच से छुटकाराप्रदान करते हैं एवं पारब्रह्म परमेश्वर अपने रूप में विलीन एवं स्थिर कर देते हैं ।
शिव को सावन ही क्यों प्रिय है ?
महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है। क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते है, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती एंव हमारी कृषि के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांये चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। हिन्दू कैलेण्डर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखें गयें है । जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है, उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोले नाथ के मस्तक पर विराज मान है। जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है। सूर्य गर्म है एंव चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिस होती है। जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठण्डक व सुकून मिलता है। शायद यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है ।
स्वयं सागपातभाँग-धतूरा एवं स्वादहीन खाद्य पदार्थ खाने वाले भगवान शिव अपने भक्तों को ज्ञानवैराग्यआत्मोन्नति,सत्यविवेकश्रद्धाविश्वास एवं प्रेम का विविध छप्पन भोगयुक्त विविध व्यंजन प्रदान करते हैं । स्वयं राखभस्म एवं धूलधूसरित शरीर वाले भगवान शिव अपने प्यारे भक्तों को यशकीर्तिप्रतिष्ठासम्मान आदि काविविध लेप प्रदान कर उन्हें दिव्य सुगन्ध फैलाने वाले बना देते हैं। भयंकर जहर की उग्र ज्वाला से संसार एवं जीव की रक्षाहेतु शंख में उस विष को रखकर पी जाने वाले भगवान साम्बसदाशिव नीलकण्ठ अपने भक्तों को भक्तिसंतोषन्याय एवंसदाचार के निर्मल अमर पेय पीने के लिए प्रदान करते हैं। तथा सदा भयंकर जीवों से घिरे रहने वाले त्रिपुरान्तकारी भगवानशिवशंकर अपने भक्तों को निर्मल गुणआध्यात्मिक चिन्तनकलुषतारहित विचारदूरदृष्टिपूर्णअन्तिम एवं उचितनिर्णय के रूप में सदा साथ रहने वाले परिजन प्रदान करते हैं । निःसंदेह भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को वह सब कुछ प्रदान करते हैं। जो अन्य किसी भी देवी-देवता की पूजा से सम्भवनहीं हैं। और तो और जो बिना अपने जीवन या मृत्यु का विचार किए तपस्या से प्रसन्न होकर भस्मासुर को वरदान दे सकते हैं । प्रसन्न होने के बाद वह औघड़ दानी भगवान शिव क्या नहीं दे सकते हैं ?
कांवर यात्रा को पद यात्रा को बढ़ावा देने के प्रतीक रूप में माना जाता है । पैदल यात्रा से शरीर के वायु तत्व का मन होता है ।कावर यात्रा के माध्यम से व्यक्ति अपने संकल्प बल में प्रखरता लाता है। वैसे साल के सभी सोमवार शिव उपन्यास के माने गएहैंलेकिन सावन में चार सोमवार श्रवण नक्षत्र और शिव विवाह की तिथि पड़ने के कारण शिव उपासना का महत्व बढ़ 
जाता है ।
विल्वपत्र ही क्यों ?
हम सभी ने गर्मियों में बेल का शरबत सेंवन किया होगा। बेल वात, पित्त व कफ को नियन्त्रित करता है तथा पाचन संस्थान को बलवान बनाता है। आयुर्वेद में बेल की बड़ी महिमा बताई गई है। यह एक जगंली पेड़ जो आम-तौर पर लोग अपने घर में इसे नहीं लगाते है। बेल की पत्तियों को जितना तोड़ा जायेगा इस पेड़ का उतना ही विकास होगा। यह प्रकृति की अनमोल कृति बची रही है, इसलिए इसकी पत्तियों को भगवान शंकर पर चढ़ाया जाता है।
बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें?
1- बिल्वपत्र भोले नाथ पर सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें ।, 2- बिल्वपत्र में चक्र एंव वज्र नहीं होने चाहिए। कीड़ो द्वारा बनायें हुये सफेद चिन्हों को चक्र कहते है और डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते है ।, 3- बिल्वपत्र कटे या फटे न हो। ये तीन से लेकर 11 दलों तक प्राप्त होते है। रूद्र के 11 अवतार है, इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र चढ़ायें जाये तो महादेव ज्यादा प्रसन्न होंगे ।, 4- बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक पाप नष्ट हो जाते है ।, 5- शिव के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा ।6- पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें ।, 7- भस्म से तीन तिरछी लकीरों वाला तिलक लगायें ।, 8- शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए ।, 9- शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें ।, 10- शिव जी पर केंवड़ा व चम्पा के फूल कदापि न चढ़ायें ।, 1- ऊॅ अघोराय नामः।, 2- ऊॅ शर्वया नमः ।, 3- ऊॅ महेश्वराय नमः ।, 4- ऊॅ ईशानाय नमः ।, 5- ऊॅ शूलपाणे नमः ।, 6- ऊॅ भैरवाय नमः ।, 7- ऊॅ कपर्दिने नमः ।, 8- ऊॅ त्रयम्बकाय नमः ।, 9- ऊॅ विश्वरूपिणे नमः ।, 10- ऊॅ विरूपक्षाय नमः ।, 11- ऊॅ पशुपते नमः।
राशियों के मुताबिक भोले बाबा को प्रसन्न करें
मेष- ऊॅ मंगलाय नमः का जप करें एंव मीठे जल से अभिषेक करें ।, वृष- ऊॅ तेजोनिधाय नमः का जप करें तथा दही से अभिषेक करें ।, मिथुन- ऊॅ वागीशाय नमः का उच्चारण करें एंव बिल्प पत्र, भाग, धतूरा आदि चढ़ायें ।, कर्क- ऊॅ सोमाय नमः का जप करें व दूध व मिश्री मिलाकर आभिषेक करें ।, सिंह- ऊॅ बभ्रवे नमः मन्त्र का उच्चारण करके जल से अभिषेक करें ।, कन्या- ऊॅ जीवाय नमः मन्त्र का जाप करें एंव कुशा व दूर्वा चढ़ायें ।, तुला- ऊॅ भूमिपुत्राय नमः का उच्चारण करते हुये दूध से अभिषेक करें।
वृश्चिक- ऊॅ महीप्रियाय नमः का जप करते हुये गन्ने के रस से अभिषेक करें ।, धनु-ऊॅ भुजाय नमः का उच्चारण करें तथा कनेर का फूल व धतूरा चढ़ायें ।, मकर- ऊॅ गंगाधराय नमः मन्त्र का जप करते हुये बिल्पपत्र व शमी की पतिया चढ़ायें ।, कुम्भ- ऊॅ नीलकमलाय नमः का जप करें तथा रूद्राष्टक का पाठ करें ।, मीन- ऊॅ भास्कराय नमः मन्त्र का उच्चारण करते हुये दूध, दही, घी आदि से अभिषेक करें ।
शिव जी पर कौन सा पुष्प चढ़ाने से क्या लाभ होगा?
बिल्वपत्र चढ़ाने से- पापों से मुक्ति मिलेगी ।, कमल का फूल चढ़ाने से- धन वृद्धि एंव शान्ति प्राप्त होगी ।, कुशा के चढ़ाने से- मुक्ति एंव सौभाग्य में वृद्धि होगी ।, दूर्वा चढ़ाने से- आयु में वृद्धि तथा दुर्घटना से रक्षा ।, आक का फूल चढ़ाने से- पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी ।, कनेर का फूल चढ़ाने से- शरीर निरोगी होगा और कष्टों में कमी आयेगी ।, शमी पत्र चढ़ाने से- पापों का नाश होगा एंव विरोधियों का दमन होगा ।
सोमवार को क्या चढ़ायें?
सावन के प्रत्येक सोमवार को शिव जी पर कोई विशेष वस्तु अर्पित की जाती है, उसे शिव मुटठी कहते है । पहला सोमवार- एक मुटठी कच्चे चावल चढ़ाने से लाभ होता है । दूसरा सोमवार- एक मुटठी सफेद तिल चढ़ायें । तीसरा सोमवार- एक मुटठी हरी वाली खड़ी मूंग चढ़ायें । चौथा सोमवार- एक मुटठी जौ आर्पित करें । पांचवा सोमवार- एक मुटठी बेसन का सेतुआ चढ़ायें । यदि सावन में पांच सोमवार न पड़े तो अन्तिम सोमवार को दो मुटठी सूखे मेवा व मीठे का भोग चढ़ायें । सावन महीने के हर दिन पूजन करने का भिन्न-2 फल रविवार- इस दिन शिव जी का विधिवत पूजन करने से सन्तान का विकास एंव पाप का नाश होगा । सोमवार- इस दिन शिव जी का पूजन करने से घर की स्त्रिया स्वस्थ्य रहेंगी और धन का लाभ होगा । मंगलवार- इस दिन शंकर जी का पूजन करने से शरीर निरोग होगा एंव भाईयों का आपस में प्रेम बढ़ेगा । बुधवार- इस दिन शंकर जी का पूजन करने से बुद्धि का विकास होगा और सन्तान का पढ़ाई में मन लगेगा । गुरूवार- इस दिन भोले बाबा का पूजन करने से पुत्र-पौत्रादि में वृद्धि होगा व आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी । शुक्रवार- इस दिन शंकर जी का पूजन करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आयेगी एंव भौतिक संसाधनों की वृद्धि होगी । शनिवार- इस दिन महादेव जी का पूजन करने से रूके हुये कार्य बनेंगे तथा शत्रुओं का दमन होगा ।
कैसे करें व्रत का पालन
सावन मास में सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत करना चाहिए और वर्त के बाद भगवान श्री गणेश जीभगवान शिव जी,माता पार्वती  नंदी देवी की पूजा करनी चाहिएसावन में सोमवार का व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करनाचाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त होने के वाद गंगाजल या पवित्र जल पूरे घर मेंछिड़के साथ ही घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करेंतो पूजन सामग्री में जलदूधदहीचीनीघीशहदपंचामृतमोलीवस्त्र,चंदनरोरी चावलफूलबेलपत्रभांगधतूरा,कमलगठाप्रसादपानसुपारी लौंगइलाइची  दक्षिणा चढ़ाया जाता है सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरेपहर तक किया जाता है l शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी 
आवश्यक है ।
मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़। मो- 9815619620


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