न्याय के देवता शनि अस्त - 5
राशियों वाले रहेंगे मस्त कैसे जाने : ज्योतिर्विद् मदन गुप्ता स्पाटू से
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
शनि ग्रह 17 दिसम्बर 2018 से लगभग एक माह तक अस्त रहेगा । वर्तमान गोचर के अनुसार वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसती और वृष एवं कन्या पर शनि की अढैया चल रही है । ये पांचों राशियां शनि ग्रह के अस्त होने से लाभान्वित होंगी । सूर्य के धनु राशि में आने से कर्क, तुला और कुंभ राशि के जातकों के लिए एक माह का समय शुभ रहेगा । इन तीनों राशि वालों के अटके हुए कार्य बन सकते हैं । आर्थिक समस्या का समाधान हो सकता है । हालांकि सूर्य शनि का मिलन पितृदोष नामक अशुभ योग भी बनाता है । जिन लोगों की जन्मकुण्डली में सूर्य-शनि की युति धनु राशि में है उनके लिए ये समय अशुभ रह सकता है । उन्हें लगभग एक माह तक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा । शनि की साढ़े साती से परेशान लोगों को इस महीने राहत मिल सकती है । सूर्य और शनि के मिलन के चलते शनि 17 दिसंबर को अस्त हो चुके हैं और एक माह तक यही स्थिति बनी रहेगी । इसके चलते शनि की साढ़े साती और अढ़ैया से परेशान चल रहे जातकों को राहत मिलेगी । शनि और सूर्य का आमने-सामने आना ज्योतिष में अशुभ माना जाता है और सूर्य के धनु में प्रवेश के साथ ही धनु मलमास लग गया है । इसके साथ ही एक माह के लिए विवाह जैसे शुभ कार्य भी रुक गए हैं। लगभग एक माह इस राशि में रहने के बाद सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेगा, 17 जनवरी से शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाएंगे । वर्ष2019 में मंगलवार 15 जनवरी को मकर (तिल) संक्रांति मनायी जायेगी। शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार को ही भगवान भास्कर का राशि परिवर्तन होगा । वे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे । सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर मकर संक्रांति मनाने की परंपरा है ।
शनि ग्रह 17 दिसम्बर 2018 से लगभग एक माह तक अस्त रहेगा । वर्तमान गोचर के अनुसार वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसती और वृष एवं कन्या पर शनि की अढैया चल रही है । ये पांचों राशियां शनि ग्रह के अस्त होने से लाभान्वित होंगी । सूर्य के धनु राशि में आने से कर्क, तुला और कुंभ राशि के जातकों के लिए एक माह का समय शुभ रहेगा । इन तीनों राशि वालों के अटके हुए कार्य बन सकते हैं । आर्थिक समस्या का समाधान हो सकता है । हालांकि सूर्य शनि का मिलन पितृदोष नामक अशुभ योग भी बनाता है । जिन लोगों की जन्मकुण्डली में सूर्य-शनि की युति धनु राशि में है उनके लिए ये समय अशुभ रह सकता है । उन्हें लगभग एक माह तक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा । शनि की साढ़े साती से परेशान लोगों को इस महीने राहत मिल सकती है । सूर्य और शनि के मिलन के चलते शनि 17 दिसंबर को अस्त हो चुके हैं और एक माह तक यही स्थिति बनी रहेगी । इसके चलते शनि की साढ़े साती और अढ़ैया से परेशान चल रहे जातकों को राहत मिलेगी । शनि और सूर्य का आमने-सामने आना ज्योतिष में अशुभ माना जाता है और सूर्य के धनु में प्रवेश के साथ ही धनु मलमास लग गया है । इसके साथ ही एक माह के लिए विवाह जैसे शुभ कार्य भी रुक गए हैं। लगभग एक माह इस राशि में रहने के बाद सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेगा, 17 जनवरी से शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाएंगे । वर्ष2019 में मंगलवार 15 जनवरी को मकर (तिल) संक्रांति मनायी जायेगी। शुक्ल पक्ष नवमी मंगलवार को ही भगवान भास्कर का राशि परिवर्तन होगा । वे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे । सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर मकर संक्रांति मनाने की परंपरा है ।
हर
व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की दशा जरूर आती है । हर तीस साल पर शनि विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हुए फिर से उसी राशि
में लौटकर आ जाता है जहां से वह चला होता है । जब शनि व्यक्ति की राशि से एक राशि पीछे आता है तब साढ़ेसाती शुरू हो जाती
है । इस समय शनि पिछले तीस साल में किए गए कर्मों एवं
पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल देता है । जिनकी कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होती है उन्हें साढ़ेसाती एवं
शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है ।
शनि के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता
है । ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि शनि के प्रतिकूल
प्रभाव को दूर किया जाए तो शनि दशा के दौरान मिलने वाली परेशानियों में कमी आती है ।
शनि महाराज प्रत्येक
शनिवार के दिन के दिन पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं ।
इसदिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा
करने से शनि प्रसन्न होते हैं । शनिवार के दिन उड़द दाल
की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है । मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल
का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है । शनि का पौराणिक मंत्र 'ऊँ नीलांजनसमाभासं
रविपुत्रं यमाग्रजम । छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम । ' इन मंत्रों का नियमित कम से कम 108 बार जप करने से शनि के प्रकोप में कमी आती है ।
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