Wednesday, 20 June 2018

पंचाग : 21 जून 2018


*दिनांक - 21 जून 2018*,  *दिन - गुरुवार*,


*विक्रम संवत - 2075*, *शक संवत -1940*, *अयन - दक्षिणायन*, *ऋतु - वर्षा*,  *मास - ज्येष्ठ*,  *पक्ष - शुक्ल*,  *तिथि - रात्रि 03:18 तक नवमी*,  *नक्षत्र - रात्रि 01:27 तक हस्त*,  *योग - रात्रि 02:08 तक वरीयान*,  *राहुकाल - दोपहर 02:20 से 03:59* , *सूर्योदय - 05:59* , *सूर्यास्त - 19:21*,  *दिशाशूल - दक्षिण दिशा में*, *व्रत पर्व विवरण - दक्षिणायन आरंभ  (पुण्यकालसूर्योदय से दोपहर 03:38 तक)वर्षा ऋतु प्रारंभ*,  *विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराणब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*योग आसन*
 *21 जून 2018 गुरुवार को विश्व योग दिवस है ।*
🏻 *लाभ : १) धारणाध्यान आदि साधनाभ्यास में इस आसन में बैठने से तन्द्रानिद्राआलस्यजड़ताप्रमाद आदि का अभाव रहता है |*
🏻 *२) इस आसन में दीर्घकाल तक बैठने से प्राणोंत्थान होने लगता है और कुंडलिनी जागरण की सम्भावना भी हो जाती है |*
 *विधि : पहले पद्मासन लगाकर सीधे बैठ जायें | उसके बाद दोनों हाथों की हथेलियाँ दोनों पैरों के तलवों पर इस प्रकार रखें कि हाथों की उँगलियाँ  पेट की ओर रहें | फिर भौहों को थोडा ऊपर उठा के दृष्टि को भ्रूमध्य में या नाक के अग्र भाग पर स्थिर करें | श्वासोच्छ्वास की गति स्वाभाविक रखें |*

*आरोग्य व बुद्धिवर्धक सूर्यस्नान*
🏼 *स्वास्थ्य अगर कमजोर महसूस होता है तो आप नहा – धो के सुबह उगते सूर्य के सामने बैठ जायेंआँखे न लडायें और बदन थोडा खुला हो | आपकी नाभि पर सूर्य – किरणें पड़ेंउस समय आप लम्बा श्वास लेते हुए मन में ‘मैं सूर्य की आभा ( ओरा )आरोग्यशक्ति को भीतर भर रहा हूँ |’ - ऐसा चिंतन करें,*  *फिर श्वास को भीतर ही रोककर ‘ॐ सूर्याय नम: | ॐ आरोग्यप्रदायक नम: | ॐ रवये नम: | ॐ भानवे नम: |...’ आदि मंत्रों का जप करें और फिर धीरे – धीरे श्वास छोड़ें | इस प्रकार प्रतिदिन १०-१२ प्राणायम करने से रोगप्रतिकारक शक्तिबुद्धिशक्ति बढ़ती है |*
 *विशेष ~ 21 जून 2018 गुरुवार को विश्व योग दिवस है ।*

*अपान आसन*
 *लाभ : १) बढ़ा हुआ वातकफ ठीक होता हैतिल्ली व यकृत वृद्धि में भी लाभदायक है |*
 *२) पाचनशक्ति बढने के साथ पेट के अन्य विकार 8भी दूर होते हैं |*
 *३) मणिपुर चक्र को सक्रिय करने में मदद करता है |*
*वजन कम करने में लाभदायी है |*
*विधि : पद्मासन में बैठ जायेंफिर दोनों नथुनों से श्वास को पूरी तरह बाहर निकाल दें | अब उड्डीयान बंध लगायें अर्थात पेट को अंदर की ओर खींचे तथा दोनों हाथों से पसलियों के निचले भाग में पेट के दोनों पार्श्वो   ( बाजूवाले भागों ) को पकड़कर बलपूर्वक दबा लें | यथाशक्ति इसी स्थिति में रहेंफिर सामान्य स्थिति में आ जायें और धीरे – धीरे श्वास ले लें | पाँच – सात बार इसे दोहरायें |*



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