Saturday, 11 May 2019

NT24 News : ममता की छांव, मां तो मां होती है............

ममता की छांव,  मां तो मां होती है
एन टी 24 न्यूज़ 
विनय कुमार
चंडीगढ़
आवाज़े विरसा के पाठकों के लिए, लिखिका मंजू मल्होत्रा फूल (ममता की छांव,  मां तो मां होती है) ममता की छांवजिसमें पलकर हम बड़े हो जाते हैं। वह बचपन की बातें सभी याद हैं मुझे वह तुम्हारा सुबह 4:00 बजे उठ जानाक्योंकि पापा ने सुबह जल्दी जाना होता था। एक भी दिन ऐसा याद नहीं है मुझे कि तुमने उन्हें खाना ना बना कर दिया हो। रोज सुबह 5:15 बजे जब पापा घर से जाते थेउनके हाथ में उनका टिफिन होता था। रोज उनका ही नहीं घर में सभी के लिएमुझे कोई भी दिन याद नहीं जब तुमने खाना ना बनाया हो। वे दिन जब तुम्हें घुटनों में बहुत दर्द रहा थातब भी तुम्हें यही था कि बस मुझे किचन के स्टूल तक पहुंचा दोताकि मैं वहां बैठकर खाना बनाकर अपने बच्चों कोअपने परिवार को खिला सकूं। अन्नपूर्णा सी दिखती थी मां तुमआज भी वही दिखती होक्योंकि वह स्टूल आज भी वहीं है। हम सब बच्चों ने उसे तुम्हारे सिंहासन का नाम दिया हैजिस पर हमारी अन्नपूर्णा मां ने बैठकर बरसों बरस सबको स्वादिष्टदिल सेपूरे प्रेम सेबना हुआ भोजन कराया है। एक और बात बहुत अच्छे से याद है मुझेतुम्हारा राम जी में अटूट विश्वासजो हमेशा से कायम रहाआज भी है  "जब कुछ भी समझ ना आ रहा होतब भी रामजी की नाव में सवार रहो और अपना कर्म करते रहो" यह शब्द तुम्हारे हम सबके मन को हमेशा सहारा देता रहतें हैं। जिंदगी जीने का सही तरीका सिखाते रहते हैं और जब तुम्हारी इतनी बीमारी में तुम्हारे अंदर ना के बराबर खून रह गयातब भी खुद चल कर अपने काम करनाऔर अस्पताल से सही हो कर वापस आना राम जी का चमत्कार ही लगता है। आज भी सबके लिए इतनी दुआएं करती हो। तुम्हारी ममता की छांव से ही ये परिवार का वृक्ष फला फूला है। ऐसी ममता की छांव सदैव हम सब पर बनी रहे ऐसी हम ईश्वर से कामना करते हैं 

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