‘पंजाब किडनी फाउंडेशन’ की बैठक आयोजित
एन टी 24
न्यूज़
विनय कुमार
मोहाली
किडनी सपोर्ट ग्रुप व किडनी
हेल्पलाइन ‘पंजाब किडनी फाउंडेशन’ ने शनिवार को आईवी
हॉस्पिटल में एबीओ इनकम्पेटेबल ट्रांसप्लांट जागरूकता के लिए अपनी पहली सपोर्ट
ग्रुप मीट का आयोजन किया। डॉ.कंवलदीप, मेडिकल डायरेक्टर, डॉ. अविनाश श्रीवास्तव,
डायरेक्टर यूरोलॉजी एंड रेनल ट्रांसप्लांट सर्जरी, डॉ.राका कौशल, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी और डॉ.
अरुणा बी.भोय, फैसिलिटी डायरेक्टर इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर, एबीओ इनकम्पेटेबल किडनी
ट्रांसप्लांट मरीज, निशु शर्मा और राम सिंह ने इस रोग के
साथ अपने संघर्ष की अपनी कहानी साझा की।उन्होंने कहा, ये
उनकी जिदंगी का काफी निराशाजनक दौर था जब रिश्तेदार किडनी दान करने के लिए तैयार
थे, लेकिन ब्लड ग्रुप मेल नहीं खा रहा था। हालांकि
डॉ.राका और डॉ. अविनाश, जिनके पास आईवी में 40
से अधिक एबीओ इनकम्पेटेबल किडनी ट्रांसप्लांट करने का सफल ट्रैक
रिकॉर्ड है, द्वारा एबीओ इनकम्पेटेबल किडनी ट्रांसप्लांट
किए जाने से उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। डॉ.राका
के अनुसार, जब किडनी डोनर का ब्लड टाइप और प्राप्तकर्ता का ब्लड टाइप कम्पेटेबल नहीं होता है तो उनके लिए
एकमात्र विकल्प कम्पेटेबल एबीओ ब्लड टाइप्स के साथ प्राप्तकर्ता-डोलर ट्रांसप्लांट
पेयर्स की पहचान करनी होती है। उन्होंने कहा कि बीते
सालों में, मेडिसन के क्षेत्र में हुई प्रगति ने एबीओ
इनकम्पेटेबल किडनी ट्रांसप्लांट को संभव बना दिया है। एबीओ ट्रांसप्लांट के साथ,
मरीजों को खून में एंटीबॉडी के लोअर लेवल्स तक किडनी
ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में मेडिकल ट्रीटमेंट प्राप्त होता है और डोलर किडनी
को अस्वीकार करने वाले एंटीबॉडी के जोखिम को कम करता है। डॉ. अविनाश ने कहा कि ट्रांसप्लांट सर्जरी का प्रोसेस भी किसी अन्य
किडनी ट्रांसप्लांट की तरह ही होता है, इसमें सिर्फ प्री
और पोस्ट सर्जीकल मूल्यांकन और निरीक्षण महत्वपूर्ण होता है। इसमें मुख्य ध्यान
एंटीबॉडी के प्रबंधन पर है जिसके लिए अस्पताल में एडवांस केयर के साथ एनएबीएल ब्लड
बैंक और आईसीयू केयर होना जरूरी है ।
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