Saturday, 27 July 2019

NT24 News : चंडीगढ़ का 4 वर्षीय भूप्रद को जीवन उपहार...............

चंडीगढ़ का 4 वर्षीय भूप्रद को जीवन उपहार उसे न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट से मिला है

एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
हाल-फिलहाल तक यही माना जाता था कि जन्म के दौरान मस्तिष्क को होनेवाली क्षति अपरिवर्तनीय होती है। हालांकि अब उभरते अनुसंधान के साथ हम यह जान गए हैं कि सेल थेरेपी का उपयोग कर क्षतिग्रस्त मस्तिष्क के ऊतकों की मरम्मत संभव है। फिर, आज भी भारत में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने गर्भनाल रक्त बैंकों के माध्यम से अपने स्टेम कोशिकाओं को संरक्षित नहीं किया है। उन सभी रोगियों के लिए जिन्होंने न्यूरोलॉजिकल संबंधित विकारों के लिए एक नया इलाज खोजने की सारी उम्मीदें खो दी है, वयस्क स्टेम सेल थेरेपी इस तरह के मरीजों के लिए एक नई आशा प्रदान करता है। न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट हरियाणा और पंजाब में रहनेवाले न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के सभी मरीजों के लिए 31 अगस्त, 2019 को चंडीगढ़ में एक नि:शुल्क कार्यशाला सह ओपीडी परामर्श शिविर का आयोजन कर रहा हैं। न्यूरोजेन को एहसास है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी इत्यादि विकारों से पीडि़त मरीजों को सिर्फ परामर्श के उद्देश्य से मुंबई तक की यात्रा करना काफी तकलीफदेह होता है, इसलिए मरीजों की सुविधा के लिए इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है। असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीडि़त मरीज इस नि:शुल्क शिविर में परामर्श हेतु समय लेने के लिए पुष्कला से 09821529653 / 09920200400 पर संपर्क कर सकते हैं न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशक, एलटीएमजी अस्पताल व एलटीएम मेडिकल कॉलेज, सायन के प्रोफेसर व न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने कहा, ‘‘आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, मस्कयुलर डिट्रॉफी, रीढ़ की हड्डी में चोट, लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, सेरेब्रेलर एटाक्सिया (अनुमस्तिष्क गतिभंग) और अन्य न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क संबंधी) विकार जैसी स्थितियों में न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी उपचार के नए विकल्प के तौर पर उभर रही है। इस उपचार में आण्विक संरचनात्मक और कार्यात्मक स्तर पर क्षतिग्रस्त तंत्रिका ऊतकों की मरम्मत करने की क्षमता है। डॉ. आलोक शर्मा ने आगे कहा, ‘‘न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट में की जानेवाली न्यूरो रीजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी (एनआरआरटी) एक बहुत ही सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है।  
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इस प्रक्रिया में एक सुई की मदद से मरीज के स्वयं के बोन मैरो (अस्थि मज्जा) से स्टेम सेल ली जाती हैं और प्रसंस्करण के बाद उसके स्पाइनल फ्लुइड (रीढ़ की हड्डी में तरल पदार्थ) में वापस इंजेक्ट की जाती हैं। चूंकि इन कोशिकाओं को मरीज के शरीर से ही लिया जाता है ऐसे में रिजेक्शन (अस्वीकृति), और साइड इफेक्ट (दुष्प्रभाव) का खतरा नहीं रहता है, जो एनआरआरटी को पूरी तरह एक सुरक्षित प्रक्रिया बनाता | आज हम 4 वर्षीय भूप्रद कुमार कंवर का डिस्टोनिक सेरेब्रल पाल्सी का ज्ञात मामला पेश कर रहे हैं। अपनी गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भूप्रद की मां में अपरा स्तर में कमी का निदान हुआ डॉक्टर ने उन्हें पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी। चिमटी के सहारे प्रसव कराया गया था और जन्म के तुरंत बाद भूप्रद कम रोया था। सांस की तकलीफ और कम संतृप्ति स्तर के कारण उसे जन्म के बाद तीसरे दिन एनआईसीयू में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उसे तीन बार दौरे पड़े थे, जिसके बाद उसे मिरगी-रोधी दवाएं दी गईं और इसके बाद फिर कभी इसकी पुनरावृत्ति नहीं देखी गई। शैशव अवस्था में स्वाभाविक विकास में कमी देखी गई। बिना समर्थन बैठने और खड़े होने में असमर्थ था। डिस्टोनिया के कारण उसके शरीर की भाव-भंगिमा और गतिशीलता प्रभावित थी। ध्यान, नेत्र- संपर्क और एकाग्रता चयनात्मक थी। भोजन को चबाने या स्वयं खाने में असमर्थ था।  संचार का तरीका गैर मौखिक या मोनोसिलैबिक था। केवल वन स्टेप कमांड का अनुसरण कर पाता था । डॉ. आलोक शर्मा ने आगे कहा, ‘‘सेरेब्रल पाल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) पैदा हुए प्रति एक हजार बच्चों मंब से हर तीन में से एक को प्रभावित करती है। हालांकि कम वजन के साथ और समय से पहले जन्मे शिशुओं में इसका प्रभाव ज्यादा देखा गया है। सेरेब्रल पाल्सी के अधिकांश कारणों का विशिष्ट, उपचारात्मक इलाज नहीं है। हालांकि सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों में कई ऐसी चिकित्सा समस्याएं मौजूद होती हैं जिनका इलाज किया जा सकता है या जिनकी रोकथाम की जा सकती है। उपचार के प्रारंभिक चरण में एक इंटरडिसिप्लीनरी टीम शामिल होती है, जिसमें एक बाल रोग विशेषज्ञ, खासकर न्यूरो डेवलपमेंट विकारों के अनुभवी, एक न्यूरोलॉजिस्ट (या अन्य न्यूरोलॉजिकल प्रैक्टिशनर), एक मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक, एक आर्थोपेडिक सर्जन, एक फिजिकल थेरेपिस्ट (भौतिक चिकित्सक), एक स्पीच थेरेपिस्ट और एक ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट का शुमार होता है। प्रभावित बच्चे के उपचार में टीम के हर सदस्य की महत्वपूर्ण भूमिका और स्वतंत्र योगदान होता है। हालांकि ये उपचार विकल्प इन मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक होते हैं, लेकिन समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगर नहीं होते हैं। मॉडर्न मेडिकल साइंस और अनुसंधानों से सेरेब्रल पाल्सी में स्टेम सेल के जरिए विनाशकारी प्रभावों को नियंत्रित करने की क्षमता स्पष्ट हुई है । ’’न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट की उप निदेशक व मेडिकल सेवाओं की प्रमुख डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने कहा, ‘‘भूप्रद को एक स्वतंत्र बच्चे के रूप में विकसित होते देखकर हमें खुशी है। स्टेम सेल थेरेपी मरीजों में जीवन को बदल कर रख देनेवाले सुधार लाती है। स्टेम सेल थेरेपी अभिभावकों के संघर्षों में सकारात्मकता और प्रेरकता लाकर निश्चित तौर पर उनके जीवन में भी बदलाव लाती है।’’डॉ. आलोक शर्मा ने सारांश में कहा, ‘‘उन लाखों को मरीजों को जिन्हें हमने पहले कहा कि अब चिकित्सकीय रूप से आपकी बीमारी के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है, अब उचित विश्वास के साथ कह सकते हैं कि स्टेम सेल थेरेपी व न्यूरोरिहैबिलेशन की युग्मित चिकित्सा की उपलब्धता के साथ ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’।’’

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