छोटे कद की और पतली हड्डियों वाली महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम
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एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
पंचकूला
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से अधिक डॉक्टर्स व पैरा मेडिकल स्टाफ ने शुक्रवार को ओजस
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, पंचकूला में ऑस्टियोपोरोसिस
अवेयरनेस’ पर आयोजित सीएमई में हिस्सा लिया । सीएमई को
संबोधित करते हुए डॉ.गगनदीप गुप्ता, ऑर्थो कंसल्टेंट ने
कहा कि ऑस्टियोपोरोसिस लो बोन डेनसिटी और हड्डियों के टिश्यूज के कमजोर होने से
पैदा होने वाली बीमारी है । इसके चलते हड्डियों में कमजोरी हो जाती है और वे नाजुक
हो जाती हैं और ऐसे में उनके फैक्चर होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है । उन्होंने
कहा कि हड्डी का नुकसान बेहद ‘चुपचाप’ होता है और लगातार आगे बढ़ता जाता है। अक्सर इसके कोई लक्षण नहीं होते
हैं जब तक कि पहला फ्रैक्चर नहीं होता है, तब तक इसके
बारे में पता नहीं चलता है । डॉ.गुप्ता ने आगे कहा कि शुरू में, ऑस्टियोपोरोसिस का कोई भी लक्षण सामने नहीं आता है, लेकिन इसके बढ़ जाने पर हड्डियां नाजुक हो जाती हैं और टूटना शुरू हो
जाती हैं । इस बीमारी के लक्षण काफी देर से सामने आते हैं और इनमें हड्डियों में
दर्द और नाजुकता बढ़ जाना, बार—बार
फ्रैक्चर होना, रीढ़ के कमजोर होने के चलते कद में कमी
आना प्रमुख लक्षण हैं । रीढ़ की हड्डी में आने वाले विकार, सीधा खड़े होने पर साफ दिखने लगते हैं और रीढ़ की हड्डी के पीछे की तरफ
एक हड्डी के गिर जाने से पीठ में झुकाव आना आना शुरू हो जाता है । डॉ.गगनदीप ने
जोखिम वाले कारकों के बारे में बात करते हुए कहा कि मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के चलते
महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन के कारण पुरुषों की तुलना में हड्डियों के टिश्यूज
को नुक्सान होता है और हड्डियों में कमजोरी आ जाती है । आप की उम्र जितनी अधिक है,
ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा उतना ही अधिक है। उम्र बढऩे के साथ आपकी
हड्डियां कम डेन्स और कमजोर होती जाती हैं। छोटे कद की और पतली हड्डियों वाली
महिलाओं में इसका जोखिम काफी अधिक है । उन्होंने बताया कि फ्रैक्चर को लेकर हड्डियों
का अधिक संवेदनशील होना काफी हद तक वंशानुगत भी हो सकती है। जिन लोगों के
माता-पिता में इस तरह के फ्रैक्चर का इतिहास है, उनके शरी
की हड्डियों का बोन मास भी कम हो सकता है और ऐसे में फ्रैक्चर का जोखिम काफी बढ़
जाता है । उन्होंने जोर देकर कहा कि जोखिम कारक जो बदल सकते हैं उनमें मासिक धर्म
की असामान्य अनुपस्थिति (एमेनोरिया), कम एस्ट्रोजन स्तर
(रजोनिवृत्ति), पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन स्तर,
आहारा में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी और एक आरामतलब जीवनशैली
या काफी अधिक बेड रेस्ट कारण भी शामिल हैं । ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने के बारे
में बात करते हुए, डॉ.गगन ने कहा कि बोन मिनरल डेनसिटी
(बीएमडी) टेस्ट आपके हड्डी की हेल्थ को निर्धारित करने का सबसे अच्छा तरीका है । बीएमडी
टेस्ट से आप ऑस्टियोपोरोसिस की पहचान कर सकते हैं, फ्रैक्चर
के लिए आपके जोखिम को निर्धारित कर सकते हैं, और
ऑस्टियोपोरोसिस उपचार के लिए आपकी प्रतिक्रिया को माप सकते हैं । डॉ.गगनदीप ने अंत
में कहा कि ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम और उपचार के लिए कई प्रभावी दवाएं उपलब्ध
हैं। डॉक्टर जीवनशैली में परिवर्तन के साथ आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार
दवाओं को लेने का निर्देश दे सकते हैं ।
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