चण्डीगढ़ समेत देश भर में बसे हुए प्रवासी हिमाचलियों के लिए प्रदेश में
मेडिकल कॉलेजों में
कोटा बहाल किया जाए : प्रवासी हिमाचली संयुक्त मोर्चा
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
चण्डीगढ़
लाखों प्रवासी हिमाचली बच्चे, जिनके
माता-पिता दूसरे राज्यों में निजी क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उन्हें
वर्ष 2018
से
हिमाचल प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा में प्रवेश लेने से प्रतिबंधित किया गया हुआ है
जिसके खिलाफ अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली संयुक्त मोर्चा लगातार संघर्षरत है।
हालाँकि ये प्रतिबंध सरकारी क्षेत्र के कर्मियों पर लागू नहीं होता। अखिल भारतीय
प्रवासी हिमाचली संयुक्त मोर्चा के चेयरमैन राजेश ठाकुर ने आज यहाँ चण्डीगढ़ प्रेस
क्लब में एक पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2018 में, हिमाचल
सरकार ने उन छात्रों को 85% हिमाचली कोटे से
बाहर कर दिया है जिनके माता-पिता निजी क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्होंने
राज्य के बाहर से अपनी 10+2 बोर्ड की स्कूली
शिक्षा पूरी की है जबकि सरकार ने राज्य से बाहर काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों
को प्रतिबंधित श्रेणी से बाहर रखा है। सरकार के इस अनैतिक और भेदभावपूर्ण फैसले के
खिलाफ चण्डीगढ़,
दिल्ली
एनसीआर और देश के सभी हिमाचली सामाजिक संगठन एक मत और पूरी-पूरी एकजुटता के साथ
हिमाचलियों के प्रति दोहरे मापदंड और दो श्रेणियों में विभाजित करने के सरकार के
इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। राजेश ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार से
इस विषय पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करने और इस भेदभावपूर्ण नीति को वापस लेने
का अनुरोध किया परन्तु कोई कार्यवाई नहीं हुई। संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने
राजेश ठाकुर की अध्यक्षता में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर व मुख्यमंत्री
जय राम ठाकुर से मुलाकात कर अपना मांग पत्र दिया, और
उनसे प्रवासी हिमाचलियों के लिए चिकित्सा शिक्षा में हिमाचली राज्य कोटा की बहाली
के लिए अनुरोध किया।
सभी हिमाचलियों को शिक्षा के समान अधिकार
के संबंध में इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, प्रदेश
के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार के साथ-साथ हिमाचल के
सभी मंत्रियों,
विपक्षी
नेताओं,
सांसदों
और विधायकों के साथ पत्राचार के माध्यम से हमारी मांग का समर्थन करते हुए अपेक्षित
सहयोग का अनुरोध किया हुआ है। शांता कुमार ने उनके मांगपत्र पर संज्ञान लेते हुए
सरकार से सहानुभूतिपूर्वक उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है लेकिन दो महीने बीत
जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। ठाकुर ने कहा
कि मजबूरी में लोगों को रोटी रोजगार के लिए काम की तलाश में अपनी जन्मभूमि छोड़कर
बाहर जाना पड़ता है जबकि हमारे खेत खलिहान, गांव
बिरादरी,
रिश्तेदार
सभी यहां हैं,
यहां
तक कि हिमाचल में पुश्तैनी गांव में भी अक्सर क्षेत्रीय और राज्य चुनावों में वोट
देने के लिए पवसि हिमाचली गांव आते हैं और अपना बहुमूल्य मत देकर सरकार को सहयोग
प्रदान करते हैं,ऐसे में हम बाहरी कैसे हो गए? उन्होंने
कहा कि उन्हें मजबूरन संघर्ष छेड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। इस अवसर पर राजेश
ठाकुर के साथ-साथ कोर्डिनेटर्स जगदेव पटियाल, पृथ्वी
सिंह,
नरेश
धीमान,
ओपी
जम्वाल व विजय शर्मा आदि भी मौजूद रहे।
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