विनय कुमार
29th अप्रैल 2018
चंडीगढ़ : श्री चैतन्य गोड़िया मठ सेक्टर-20 चंडीगढ़ में भगवान श्री नरसिंह देव जी का
प्रकट महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया l मठ के प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने
बताया कि प्रातः काल मंगल आरती के पश्चात श्री नरसिंह पुराण की कथा करते हुए पूज्य
श्री जनार्दन महाराज जी ने भक्तों को बताया कि आज ही के दिन भगवान श्री नरसिंह
भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए खंबे से प्रकट हुए उन्होंने
हिरणाकश्यप जो प्रह्लाद का पिता था उसने अपने पुत्र प्रह्लाद के ऊपर घोर अत्याचार करवाएं पहाड़ों से गिरवाया सांपों से डसवाया। कई तरह की यातनाएं दी लेकिन
भक्त प्रह्लाद अपने नियम पर अपने वचन पर हरि भक्ति पर अडिग रहें l हिरणाकश्यप
जिसको वरदान मिला हुआ था, कि उसे ना कोई मनुष्य मार सकता है, ना उसको कोई प्राणी
मार सकता है, ना वह घर के भीतर मारा जा सकता है, ना वह बाहर मारा जा सकता है, भगवान
लीलाधारी है उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए खंबे से अवतरित हुए उस समय
ना तो दिन था ना रात थी ना अंदर था ना बाहर था चौखट में उसको अपनी जांघों पर रखकर
उसका वध किया और भक्त प्रहलाद की रक्षा की l
इस प्रकार आज के दिन नरसिंह चतुर्दशी के उपलक्ष पर मंदिर को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया गया फूलों गुब्बारों से रंगारंग मनमोहक दृश्य बना हुआ है l भगवान को कई तरह के फूलों से सजाया गया सायंकालीन प्रगट समय के पश्चात नरसिंह भगवान को पंचामृत से स्नान कराया गया चंडीगढ़ मट के प्रबंधक वामन महाराज ने बताया कि प्रत्येक वर्ष भगवान श्री नरसिंह देव का गोड़िया मठ में विशेष आयोजन किया जाता है, एवं सैकड़ों भक्तों को फलाहार प्रसाद वितरित किया गया l भक्तों ने बढ़ चढ़कर कार्यक्रम में हिस्सा लिया l सायंकाल आरती के पश्चात कीर्तन मृदंग छाल, ढोल की नृत्य कर झूमकर भगवान का यशोगान कर खूब आनंद लिया l
इस प्रकार आज के दिन नरसिंह चतुर्दशी के उपलक्ष पर मंदिर को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया गया फूलों गुब्बारों से रंगारंग मनमोहक दृश्य बना हुआ है l भगवान को कई तरह के फूलों से सजाया गया सायंकालीन प्रगट समय के पश्चात नरसिंह भगवान को पंचामृत से स्नान कराया गया चंडीगढ़ मट के प्रबंधक वामन महाराज ने बताया कि प्रत्येक वर्ष भगवान श्री नरसिंह देव का गोड़िया मठ में विशेष आयोजन किया जाता है, एवं सैकड़ों भक्तों को फलाहार प्रसाद वितरित किया गया l भक्तों ने बढ़ चढ़कर कार्यक्रम में हिस्सा लिया l सायंकाल आरती के पश्चात कीर्तन मृदंग छाल, ढोल की नृत्य कर झूमकर भगवान का यशोगान कर खूब आनंद लिया l
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