*दिनांक - 06 जुलाई 2018*, *दिन -
शुक्रवार*, *विक्रम संवत - 2075*,
*शक संवत -1940*, *अयन - दक्षिणायन*, *ऋतु - वर्षा*, *मास - आषाढ़*, *पक्ष - कृष्ण*, *तिथि - 07/07 रात्रि 01:22 तक
अष्टमी*, *नक्षत्र - सुबह 06:55 से
रेवती*, *योग - सुबह 07:13 से
अतिगण्ड*, *राहुकाल - सुबह 11:04 से 12:43*, *सूर्योदय - 06:03*, *सूर्यास्त - 19:23*, *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*, *व्रत पर्व विवरण
-*, *विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि
का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*, *अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल
का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म
खंडः 27.29-38)*
*आसन सिद्ध करने के लिए*
*अनुष्ठान शुरू कर रहे हो तो पहले
आसन सिद्ध करें...स्थापना करें । पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठें । चावल
के दाने ( अक्षत ) हल्दी से पीले कर दें । अग्नि कोण (पूर्व और दक्षिण के बीच का )
में आसन के नीचे कोने पर वो दाने रख दिए और ' ॐ गं गणेशाय
नमः ' मेरा आसन और अनुष्ठान सिद्ध हो ...मेरे जप ध्यान में
कोई विघ्न न आए। फिर नेर्रित्त्य कोण ( दक्षिण और पश्चिम के बीच का कोण ) के आसन
के कोने के नीचे दाने रख दिए और प्रार्थना करें 'ॐ एं
सरस्वत्यै नमः ' ...हें सरस्वती मुझे सद्बुद्धि देना... मेरे
अनुष्ठान में मैं ही अड़चन न बनूँ ...मैं उपवास न तोडूं .... मेरी बुद्धि बनी रहे ।
फिर वायव्य कोण ( पश्चिम और उत्तर के बीच का कोण ) के आसन के कोने के नीचे चावल के
दाने रखें और 'ॐ दुं दुर्गाय नमः
' हें माँ दुर्गा ... काम , क्रोध ,
लोभ, मोह, मद, मत्सर, आदि अगर मेरे जप अनुष्ठान में अड़चन बनें तो
मेरे ये दुर्गुणों को भी तू दूर करना । फिर ईशान कोण ( उत्तर और पूर्व के बीच का
कोण ) के कोने के नीचे दाने रख दिए और ' श्याम क्षेत्रपालय
नमः ' जपे ।*
*जायफल*
*जायफल
रूचि उत्पन्न करनेवाला, जठराग्नि – प्रदीपक
तथा कफ और वायु का शमन करनेवाला है | जायफल जितना वयस्कों के
लिए हितकर है, उतना ही बालकों के लिए भी हितकर है | यह ह्रदयरोग, दस्त, खाँसी,
उल्टी , जुकाम आदि में लाभदायी है |*, *यूनानी मतानुसार जायफल पेशाब लानेवाले, दुग्धवर्धक, नींद लानेवाले, पाचक
व पौष्टिक होते हैं | वजन में हलके, पोले
और रूखे जायफल कनिष्ठ और बड़े, चिकने व भारी जायफल श्रेष्ठ
माने जाते हैं |*
*औषधीय प्रयोग*
*वात –
रोग : १ भाग जायफल चूर्ण तथा २ भाग अश्वगंधा चूर्ण को मिलाकर रख लें
| ३ ग्राम मिश्रण प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वात – रोगों में लाभ होता है एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है |*, *बच्चों
के दस्त : जायफल व सौंठ को गाय के दूध में घिस के बच्चों को चटाने से जुकाम से
होनेवाले दस्त बंद होते है |*, *अनिद्रा
: जायफल चूर्ण को पानी के साथ लेने से अच्छी नींद आती है |*,
*मंदाग्नि : जायफल चूर्ण शहद के साथ लेने से मंदाग्नि दूर
होती है व ह्रदय को बल मिलता है |*, *मूँह
की दुर्गंध : जायफल के टुकड़े को चूसने से दुर्गंध दूर होती है |*, *मात्रा : आधा से २ ग्राम जायफल चूर्ण |*, *सावधानी : जायफल बार – बार अधिक मात्रा में लेने से वीर्य पतला हो जाता है, फलत: पौरुषहीनता आती है | जायफल का प्रयोग बुखार,
दाह व उच्च रक्तचाप में न करें ।*
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