Wednesday, 30 January 2019

NT24 News : 14 वें टीएफटी विंटर नेशनल थिएटर फेस्टिवल..............


14 वें टीएफटी विंटर नेशनल थिएटर फेस्टिवल 2019 के दूसरे भाग में एक मुलाकात  डॉ. जसपाल देओल के साथ
थिएटर फॉर थिएटर द्वारा आयोजित चौदहवें नेशनल थियेटर फेस्टिवल में रूबरू हुई जसपाल देओल
एन टी24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
डॉ. जसपाल देओल अपने जीवन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मेरा थिएटर में आने का कोई इरादा नहीं था ,यह सब कुदरत की मर्जी से होता चला गया l थियेटर आने का मकसद फिल्म या फेम कतई नहीं था, बस कुछ बंधनों से निकलने की मजबूरी थी l पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला की मौजूदा एच..डी जसपाल देओल बहुत पीछे छोड़ आई हैं |युवाकलाकारों से मुखातिब होने के लिए जिनके साथ रूबरू का दौर रंगकर्मी गीता गुप्ता ने किया और कार्यक्रम का संचालन सुदेश शर्मा जी के मार्गदर्शन मेंहुआ | चंडीगढ़ से लगभग 60 किलोमीटर दूर नवांशहर के नजदीक गांव "परथला"में जसपाल देओल का जन्म हुआ | जसपाल देओल ने कुछ ऐसे ऐसे अनुभव सांझा किएजो युवाओं के लिए एक आदर्श बने| उन्होंने बताया की एक लड़की होने केचलते उन्हें बचपन में उनके परिवार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया पर उनकेपालन पोषण की जिम्मेदारी उनके नाना ने उठाई ,उनके नाना नानी एक बहुत हीपढ़े-लिखे संपन्न परिवार से थे बतौर जसपाल देओल उनके नाना नानीसमाज औरउसकी सोच से लगभग 200 साल आगे थे | वह पढ़े लिखे थे तो लड़की के जन्म औरउसकी पढ़ाई के बारे में बहुत गंभीर थे और गहराई से सोचते थे और वहीं दूसरीओर उनके घर वालों की और गांव की सोच काफी पिछड़ी थी | जसपाल देओल जी केमुताबिक उनके नाना नानी ही उनके मां बाप है, जिन्होंने उनकी जिंदगी मेंअहम भूमिका निभाई | जसपाल जी ने कहा कि नौवीं दसवीं कक्षा तक आते आतेउन्हें पता चल गया था कि औरत को यह समाज आसानी से स्वीकार नहीं करता उन्हेंकुछ अलग ही करना पड़ेगा | एक और कटु अनुभव सांझा करते हुए उन्होंने कहाकी लगभग 10 वीं कक्षा की बात है कि जब उन्होंने पहली बार मंच पर एक गंभीरविषय पर मंच पर अपनी प्रस्तुति दी, जिसका पता उनके दादा और मां को चल गयाऔर उन्हें घर आने पर बहुत मार पड़ी थी, परंतु  ऐसे अनुभवों से वो और मजबूत होती चली गई | रंगमंचऔर कला से जुड़ने पर पूछे जाने पर जसपाल देओल जी ने बताया कि उनका गुरुद्वारे और गुरु वाणी में शुरू से ही अटूट विश्वास रहा है और मां-बाप के झगड़ों को देखते हुए जो बचपन बीता तो उन्होंने तभी से ही रब से दुआ मांगीकि उन्हें दुनियादारी से बचाए रखें ,कारण एक और भी था की बहुत ही कम उम्रमें शादी के रिश्तो का बार बार घर पर दस्तक देना | बकौल जसपाल देओलवाहेगुरु जी की कृपा हुईऔर यहां भीउनके नाना ने ही उन्हें इस मुसीबत सेनिकाला और होशियारपुर स्थित सरकारी हस्पताल में बतौर नर्स उनकी नौकरीलगवाई| वहीं से आगे पढ़ने का मन किया तो ग्रेजुएशन में दाखिला नाना ने ही दिलवाया | वहीं पर एक यूथ फेस्टिवल के दौरान मंच पर एक छोटी सी शुरुआत हुई जहां कला केप्रति जुड़ाव हो गया और साथियों के कहने पर उन्होंने यूथ फेस्टिवल में भागलिया और किस्मत से उन्हें मुख्य भूमिका भी मिल गई | इस तरह जसपाल देओल का यूथ फेस्टिवल के नाटक "अजब तमाशा" से रंगमंच से जुड़ना हुआ !! यूथफेस्टिवल के बाद प्रोफेशनल थिएटर में आना कैसे हुआ इस पर जसपाल जी नेबताया की यूथ फेस्टिवल में उनकी अदाकारी इतनी पसंद की गई की दूरदर्शन की उससमय की निर्देशक और दिग्गज रंगकर्मी जसवीर कौर जी ने उन्हें प्रोफेशनलक्षेत्र में आने को कहा और कॉलेज के बाकी प्रोफेसर भी उन्हें अक्सर अंग्रेजी में कहा करते थे "यू आर मेड फॉर ड्रैमेटिक्स" और  l  l सबसे बड़ाआशीर्वाद जसपाल देओल अपने प्रोफेसर पुरी जी के उन थप्पड़ों को मानते है जिसने उनकी जिंदगी बदल गई | बकौल जसपाल देओल प्रोफेसर पूरी के खाए थप्पड़उनके लिए एक दुआ साबित हुए कि वह और भी मजबूत अदाकार और एक इंसान बनकर आगे आसके और आलम यह था कि वह मां बाप जिन्होंने उन्हें सिर्फ बेटी होने परस्वीकार करने से इनकार कर दिया था उन्होंने डिपार्टमेंट में उनकी नौकरीलगने पर घर पर अखंड पाठ रखवाया |

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