कुलबीर विर्क
ने युवा रंगकर्मियों के साथ अभिनय और नात्याशास्त्र के अध्यापन से जुड़े अपने अनुभवों
को किया सांझा
विनय कुमार
चंडीगढ़
थिएटर फॉर थिएटर के 14th
विंटर नेशनल थियेटर फेस्टिवल के 20 वें
दिन वर्कशॉप सेशंस में मौका था युवा कलाकारों के लिए नाट्यशास्त्र और थिएटर की बारीकियों
पर काम करने का l बाल भवन सेक्टर 23में आयोजित
कला के इस महाकुंभ में दिग्गज रंगकर्मी व डायरेक्टर कुलबीर विर्क जी युवा रंगकर्मियों
के साथ अभिनय और नात्याशास्त्र के अध्यापन से जुड़े अपने अनुभवों को सांझा किया l पटियाला
की पंजाबी यूनिवर्सिटी से प्रक्शिक्षित कुलबीर जी ने नाट्यशास्त्र की शिक्षाओं पर प्रकाश
डालते हुए कहा कि इसे सिर्फ अभिनेताओं को ही नहीं बल्कि कला से जुड़े हर कलाकार को पढना
चाहिए. मूल रूप से पंजाब के भटिंडा की निवासी कुलबीर जी ने नाट्यशास्त्र के अनुसार
अभिनय के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डालते हुए अभिनय में ‘रस व
भाव’
की अहमियत के बारे में बताया. मौके पर कुलबीर जी
ने मौजूदा युवाओं को ग्रुप्स में बांटकर उनसे नवरसों को दर्शाने को कहा और उससे सम्बंधित
प्रश्नों के उत्तर दिए l मोहन राकेश और समकालीन नाटककारों के काम पर पी.एच.डी कर चुकी
कुलबीर जी ने बताया कि किसी भी नाटक को पढने से पहले उसके लेखक और निर्देशक के बारे
में ज़रूर जानना चाहिए इससे अभिनेता को किरदारों की मनोस्थिति को समझने में आसानी हो
जाती है l योग में बी.एड की शिक्षा पा चुकीं कुलबीर जी ने कहा कि अभिनेताओं के पास
बॉडी, माइंड व वोइस के अलावा
और कोई और साधन नहीं है और नियमित प्राणायाम से इन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है.
साथ ही कुलबीर जी ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि एक्टर में सेल्फ सैटिस्फैक्शन
नहीं होना चाहिए वरना उसकी ग्रोथ रुक जाएगी, उसे
हमेशा ही अपने प्रदर्शन को पहले से बेहतर बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए
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