Monday, 15 April 2019

NT24 News : चुनावी रण या चुनावी खेल..............


चुनावी रण या चुनावी खेल, जो भी हो, क्या अभद्र टिप्पणियों पर रोक नहीं लगनी चाहिए ?
समाजसेविका एवं लेखिका: मंजू मल्होत्रा फूल
मंजू मल्होत्रा फूल
चंडीगढ़
चुनावी रण या चुनावी खेल, जो भी हो चाहे पक्ष या विपक्ष, शब्दों का प्रयोग, अगर हम अपने बच्चों से भी उम्मीद करते हैं कि सोच समझकर हो और रोजाना यही सीख बच्चों को सदा देते आए हैं और देते रहते हैं, तो क्या यह उनके लिए जरूरी नहीं जिन्होंने खुद को जन प्रतिनिधि के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है ? क्या उनके लिए जीत इतनी जरूरी है की अभद्र भाषा का प्रयोग करें ? राष्ट्र के विकास की क्या नीतियां होंगी, कैसे गरीबी हटेगी, रोजगार कैसे बढ़ेगा, यह सब मुद्दे शायद चुनाव जीतने के लिए आज अहम नहीं है। तो क्या अहम रह गया है, जाति और धर्म के आधार पर वोटों को बांटना और अभद्र टिप्पणियां करना ? नारी अस्मिता को भी ताक पर रख देना ? जिनके अंदर हार का एहसास इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करवा रहा है उनसे भविष्य में कानून व्यवस्था और नारी के अधिकारों एवं सुरक्षा की क्या उम्मीद की जा सकती है ? ऐसे बयान बहुत ही निंदनीय है। जनता खुद सोच समझ कर तय करे और अपना अमूल्य वोट सही को देकर एक मजबूत सरकार चुनकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें ।

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