पृथ्वी दिवस के अवसर पर पंजाब यूनिवर्सिटी खेल विभाग
में पौधारोपण किया गया
एन टी 24 न्यूज़
भानूप्रिया
चंडीगढ़
आज पृथ्वी दिवस के अवसर पर पंजाब यूनिवर्सिटी खेल विभाग में
त्रिवेणी लगाकर पौधारोपण किया गया। जिसमें बतौर मुख्यातिथि खेल विभाग पंजाब
यूनिवर्सिटी के निदेशक
डॉ० परमिंदर सिंह और विशिष्ट अतिथि डॉ० अब्दुल कयूम, आई०एफ०एस०, डिप्टी कंजरवेटर फॉरेस्ट चंडीगढ़ शामिल
हुए । इस पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन त्रिवेणी फाउंडेशन के फाउंडर प्रदीप
त्रिवेणी एवं कुलदीप मेहरा के द्वारा किया गया। इस मौके पर पंजाब यूनिवर्सिटी खेल
विभाग के उप-निदेशक डा० राकेश मलिक, यूआईईटी के प्रोफेसर
हरीश गोयल, फिजियोथेरेपिस्ट डा० राकेश कुमार और राजपाल सिंह
सहित अन्य लोग उपस्थित रहें । पौधारोपण के समय डॉ० परमिंदर सिंह ने बताया की आज के
समय की एक प्रसिद्ध कहावत है कि "आप कल्पना कीजिए कि अगर पेड़-पौधे इंटरनेट
का वाईफाई सिग्नल देते तो हम कितने सारे पेड़ लगाते, शायद हम
अपने ग्रह को बचाते, लेकिन बहुत दुख की बात है कि वह केवल
ऑक्सीजन का सृजन करते हैं"। और कितना दुखद है कि हम प्रौद्योगिकी के इतने आदी
हो गए हैं कि हम अपने पर्यावरण पर होने वाले हानिकारक प्रभावों की अनदेखी कर रहें
है, नहीं केवल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल प्रकृति को नष्ट कर
रहा है बल्कि यह हमें उससे अलग भी कर रहा है। अगर हम वास्तव में जीवित रहना चाहते
हैं और अच्छे जीवनयापन करना चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाने जाने चाहिए।
ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ने के अलावा पेड़ पर्यावरण से अन्य
हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं जिससे वायु शुद्ध और साँस लेने लायक बनती है।
जितने हरे-भरे पेड़ होंगे उतनी अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन भी होगा और अधिक विषैली
गैसों को यह अवशोषित करेंगे। प्रदूषण का स्तर इन दिनों बहुत अधिक बढ़ रहा है। इससे
लड़ने का एकमात्र तरीका अधिक से अधिक पेड़ लगाना ही है । यहीं लोगों को जागरूक
करते हुए चंडीगढ़ के डिप्टी कंजरवेटर फॉरेस्ट, डॉ० अब्दुल
कयूम, आई०एफ०एस० ने बताया कि पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को
बचाने के लिये 22 अप्रैल 1970 से ही
पृथ्वी दिवस को पूरी दुनिया के लोग मनाते आ रहें हैं और हम सभी सार्वजनिक
स्वास्थ्य, पर्यावरणीय मुद्दों, औद्योगिकीकरण,
वन कटाई आदि पर आधारित भूमिका प्रदर्शित करने के लिये सड़कें और
पार्कों को व्यस्त रखतें हैं। दिनों-दिन पर्यावरणीय ह्रास, वायु
और जल प्रदूषण, ओजोन परत में कमी आना, औद्योगिकीकरण,
वन-कटाई आदि से तेलों का फैल जाना, प्रदूषण
फैलाने वाली फैक्टरी को तैयार करना, पावर प्लॉन्ट, कीटनाशकों के उत्पादन के इस्तेमालों ने एक ज्वलंत समस्या का रुप ले लिया
है हमें इस विभीषिका से अपने साथ-साथ प्रकृति को भी बचाना है। इसलिए हमें शैक्षणिक सत्रों में भाग लेना चाहिए जैसे सेमिनार, परिचर्चा और दूसरे प्रतियोगी क्रियाकलाप जो धरती के प्राकृतिक संसाधनों की
सुरक्षा से संबंधित हो, हमें व्यवहारिक संसाधनों के द्वारा
ऊर्जा संरक्षण के लिये लोगों को बढ़ावा देना होगा, लोगों को
सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए आगे आना होगा ताकि प्रदूषण से पर्यावरण को बचाया जा
सके क्योंकि पृथ्वी हमारा घर है, और घर को नष्ट नहीं करते ।
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