हार्ट
बाईपास सर्जरी की एडवांस टेक्नीक अल्केमिस्ट में उपलब्ध
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
हार्ट बाईपास सर्जरी की एडवांस
तकनीक लीमा-रीमा-वाई टेक्नीक तकनीक अब अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में उपलब्ध है। इस
टेक्नीक में वीनेस ग्राफ्ट की बजाए आर्टियल ग्राफ्ट का उपयोग किया जाता है। बुधवार
को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ.शशि जिंदल, सीनियर
कंसल्टेंट एवं हैड, डिपार्टमेंट
ऑफ कार्डियो थोरेसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी,
अल्केमिस्ट ने कहा कि बाईपास सर्जरी की एक
पारंपरिक तकनीक में हम खून को रीरूट करने के लिए टांग की नसों का उपयोग करते हैं।
हालांकि, इन
वीनेस कॉन्ड्यूट्स की अवधि अधिक नहीं होती है जिसके चलते उन्हें 8 या
10 सालों
के बाद फिर से बाईपास की आवश्यकता पड़ती है। इस
मौके पर डॉ. शैलेश ओझा,
सीनियर कंसल्टेंट एवं एचओडी, कार्डियक
एनेस्थेसिया, डॉ.अरविंद
कौल, सीनियर
कंसल्टेंट एवं हैड, इंटरवेंशनल
कार्डियोलॉजी और डॉ. रोहित परती,
सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल
कार्डियोलॉजी भी उपस्थित थे। डॉ.जिंदल
ने कहा लीमा-रीमा-वाई बाईपास सर्जरी में हम वीनेस ग्राफ्ट की बजाए आर्टियल ग्राफ्ट
का उपयोग करते हैं, जो
कि 18-20 सालों
तक अपनी उपयोगिता बनाए रखती हैं। डॉ.जिंदल ने कहा कि इस तकनीक में हाथ और पैर पर
किसी तरह का कट लगाने की भी जरूरत नहीं है। उन्होंने
कहा, इस
तरह की सर्जरी की मांग लगातार बढ़ रही है और इसमें काफी उच्च स्तर के सर्जीकल
स्किल्स और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। अमेरिका में सिर्फ 4 प्रतिशत
और यूके में 11 प्रतिशत
सर्जंस ही इस प्रोसिजर का नियमित इस्तेमाल करते हैं। भारत में इस सर्जरी को करने
वाले सर्जंस का आंकड़ा तो और भी काफी कम है। डॉ.जिंदल
ने बताया कि इन तथ्यों के बावजूद अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में यह सर्जरी बिना किसी
अतिरिक्त लागत के स्किल्ड एवं अनुभवी डॉक्टरों की टीम द्वारा नियमित रूप से की
जाती है।
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