मिसेज हरियाणा पूजा अलाहन चलाएंगी महिला जागरूकता अभियान
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार
चंडीगढ़
महिला सशक्तिकरण का नारा तभी सार्थक होगा जब ग्रामीण
अंचल की महिलाएं चूल्हे को छोड़ घर की दहलीज से बाहर आकर समाज के सामने अपनी
प्रतिभा का लौहा मनवाएंगी। यह कहना है कि मिसेज हरियाणा-2019 पूजा अलाहन का। जिन्होंने जीवन में कठिन चुनौतियों के बावजूद एक ऐसा मुकाम
हासिल किया जो दलित व ग्रामीण अंचल में रहने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रहा
है । पेशे से सहायक प्रो.पूजा अलाहन की शुरू से ही रूढ़ीवादी परंपराओं से उलट चलकर
समाज के लिए कुछ ऐसा करने की इच्छा थी जिसमें न केवल चुनौतियां हों बल्कि
चुनौतियों को हराकर मिली जीत से प्रेरित होकर ग्रामीण अंचल की महिलाएं आगे आएं । आज
यहां पत्रकारों से बातचीत में पूजा अलाहन ने कहा कि वर्तमान परिवेश में महिलाओं के
लिए हर क्षेत्र में चुनौती हैं। महिलाओं के मन से जब तक असुरक्षा की भावना दूर
नहीं होगी तब तक महिला सशक्तिकरण के नारे झूठे और बेमतलब हैं। हरियाणा के भिवानी
जिले में जन्मी और हिसार जिले के कस्बा हांसी के ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी पूजा
अलाहन को बचपन से ही जातिवादी अनदेखी का शिकार होना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने
कभी हार नहीं मानी और अपने मेहनत के बल पर हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा
प्रथम रैंक से मेरिट में पास कर पंचकूला के सैक्टर-14 स्थित
राजकीय महिला महाविद्यालय के हिंदी विभाग में बतौर सहायक प्रोफेसर चयनित हुई । इस
मुकाम पर पहुंचने के बाद भी उनके मन से जीवन में कुछ नया करने की इच्छा समाप्त
नहीं हुई और विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन
दिया। भारतीय दलित साहित्य अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित पूजा अलाहन ने
मिसेज इंडिया इंडियन ब्यूटी 2019 अवार्ड हासिल करने के बाद
हाल ही में गुरुग्राम में एमवाईके मीडिया द्वारा आयोजित सौंदर्य प्रतियोगिता में
मिसेज हरियाणा-2019 का खिताब हासिल किया। यह सम्मान हरियाणा
के लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह की उपस्थिति में दिया गया। इससे पहले पूजा
को बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड भी मिल चुका है । सम्मान लेकर पंचकूला लौटी पूजा ने
भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया कि वह इस तरह के बड़े स्तर पर होने वाले
आयोजनों में भाग लेने के साथ-साथ महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना
चाहती हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर शिक्षा हासिल करने के बावजूद आज भी ग्रामीण अंचल
में रहने वाली महिलाएं समाजिक,आर्थिक, मानसिक
रूप से विकसित नहीं हैं । महिलाओं को कभी माता-पिता तो कभी पति व ससुराल पक्ष की
इच्छाओं को ध्यान रखने के लिए अपनी इच्छाओं की बलि देनी पड़ती है। यही समाज में
महिलाओं के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण हैं। महिलाएं अगर समाज में अपने अधिकार
चाहती हैं तो अधिकारों की लड़ाई की शुरूआत उन्हें अपने घर की चौखट से करनी पड़ेगी।
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