कांग्रेस द्वारा चार हफ्ते में
नशा खत्म करने का चुनावी वायदा रहा नाकाम
पंजाब के 22 में से 18 जिले नशे की चपेट में : सांपला
पंजाब का 82 फीसदी इलाका नशे की चपेट में: सांपला
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
चंडीगढ़
पंजाब का 82 फीसदी इलाका नशे की चपेट
में है, क्योंकि पंजाब के 22 में से 18 जिले भारत सरकार की उन 272 जिलों की सूची में आ गए
हैंl आगे पूर्व केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी पंजाब के पूर्व
प्रदेशाध्यक्ष विजय सांपला व पंजाब भाजपा के पूर्व सचिव विनीत जोशी ने कहा 26 जून अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस पर केंद्र सरकार के समाजिक न्याय एवं
अधिकारिता मंत्रालय द्वारा घोषित नशा मुक्त भारत वार्षिक कार्य योजना के तहत इन 272 जिलों में नशा मुक्ति हेतू 260 करोड़ रुपए का बजट
त्रि-स्तरीय प्रयास हेतू रखा है। जिसके तहत नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नशा रोकने
हेतू कार्रवाई करेगा, समाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग
जागरूकता फैलाएगा व स्वास्थ्य विभाग इलाज करेगा।
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जागरूकता अभियान व इलाज प्रभावित
राज्य सरकारों से विचार-विमर्श कर लागू किया जाएगा। सांपला ने बताया कि पंजाब के 18 जिले फरीदकोट, जालंधर, अमृतसर,
बठिंडा, फिरोजपुर, फाजिल्का,
गुरदासपुर, कपूरथला, लुधियाना,
मानसा, मोगा, पठानकोट,
संगरूर, पटियाला, श्री
मुक्तसर साहिब, नवांशहर, तरनतारन व
होशियारपुर नशे की ज्यादा चपेट में है। सांपला व जोशी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि
चार हफ्ते में नशा खत्म करने का चुनावी वायदा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार तीन
साल बीतने पर भी नशा खत्म करने में नाकाम रही है। कैप्टन अमरिंदर ने अपने 2017-22 के चुनावी घोषणा पत्र के 19 नंबर पेज पर स्पष्ट लिखा था कि ‘नशा खोरी अते नशा तस्करी- चार हफ्तेयां विच बंद।’ चार
हफ्ते छोड़ों अब तो सवा तीन साल बीत चुके हैं और नशाखोरी व नशा तस्करी खत्म नहीं
हुई। पंजाब में नशा खत्म करने को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर बिल्कुल भी
गंभीर नहीं है, अगर होते तो 26 जून को
अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस पर कुछ बड़ा ऑनलाइन कार्यक्रम करते। वैसे तो 2017,
18 व 19 के अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवसों
पर भी कैप्टन ने कोई कार्यक्रम में भाग नहीं लिया और तब तो कोरोना जैसी महामारी भी
न थी। पंजाब सरकार द्वारा जारी आंकड़े बोलते हैं कि ओट क्लिनिक पर नशा छोडऩे के
लिए पिछले तीन साल में कुल पंजीकृत संख्या 544125 में से 23
फीसदी 129504 सिर्फ 23 मार्च 2020 से 17 जून 2020 के बीच पंजीकृत
हुए हैं। इन आंकड़ों को जारी करते हुए पंजाब के एक मंत्री अपने बयान ‘लॉक डाउन से नशे की कमर टूटी है’ में खुद मान रहे
हैं। इसका मतलब है कि पंजाब सरकार स्वयं मानती है कि बीते तीन वर्षों में वह नशे
की कमर नहीं तोड़ पाई। इसका असली श्रेय कोरोना रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाऊन,
क्फर्यू व गांव-गांव में गांववासियों के ठीकरी पहरों को जाता है।
पंजाब की कांग्रेस सरकार और एस.टी.एफ नशा रोकने में पूर्णत: विफल रही।
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