चुनावी पैंतरा है कैप्टन सरकार का एस.सी वैलफेयर कानून का ऐलान-हरपाल सिंह चीमा
कहा, साढ़े चार वर्षों में सबसे ज्यादा सरकारी अनदेखी का शिकार हुआ है दलित वर्ग
एन टी 24 न्यूज़
विनय कुमार शर्मा
चंडीगढ़
कैप्टन सरकार द्वारा प्रदेश के अनुसूचित जाति (एस.सी) वर्ग के लिए ‘एस.सी वैलफेयर कानून’ बनाए जाने के ऐलान को चुनावी
पैंतरा करार देते आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सीनियर नेता और नेता प्रतिपक्ष
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कैप्टन के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अब अपने आखिरी
दिनों में एस.सी वैलफेयर बिल लाकर दलित वर्ग को लुभाने की गुंमराहकुन कोशिश न करे,
क्योंकि पिछले साढ़े चार सालों में दलित वर्ग के साथ हुई अनदेखी,
धोखाधड़ी, घोटाले और वायदा खिलाफियों को दलित
वर्ग भूल नहीं सकता। शनिवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा
ने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस का यह ‘चुनावी भलाई बिल’
वास्तव में लाखों दलित विद्यार्थियों का अरबों रुपए का वजीफा हजम
करने और वायदा-खिलाफियों के कारण पैदा हुए लोगों में गुस्से को शांत करने का असफल
यत्न है। उन्होंने कहा कि नया कानून बनाने का ऐलान करके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने
मान लिया है कि बीते साढ़े चार सालों में उनकी सरकार ने दलित वर्ग का कोई आर्थिक
और सामाजिक विकास नहीं किया है, बल्कि इस वर्ग को केवल वोट
बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। चीमा ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर
सिंह दलितों के लिए सचमुच गंभीर होते तो वह पहले पेश किए गए कुल 5 बजटों में दलितों के लिए विशेष फंड रखते, परन्तु अब
चुनाव नजदीक आते देख कैप्टन अमरिंदर सिंह दलितों को बुद्धू बनाने का यत्न कर रहे
हैं। चीमा ने कहा कि वास्तविकता यह है कि 2022 के अगले बजट
के समय तक कांग्रेस सरकार का सफाया हो जाएगा। उन्होने
आरोप लगाया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 के चुनाव समय
दलित वर्ग के साथ किये वायदों में से एक भी वायदा पूरा नहीं किया, जिस कारण दलित परिवारों को बीते साढ़े चार सालों में शगुन स्कीम का 51
हज़ार रुपया, 5-5 मरले के प्लाट और दलित
बुजुर्गों को 2500 की पेंशन नसीब नहीं हुई। ‘आप’ नेता ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक साजिश
के तहत दलित वर्ग के हकों पर डाका मारा है। हर बार दलित वर्ग की नौकरियां खत्म की
हैं और उनके आमदन के स्त्रोतों को बेचा है। इस समय भी कैप्टन सरकार ने सरकारी
विभागों के पुनर्गठन के नाम पर लाखों दलितों से नौकरियां छीन ली और मोंटेक सिंह
आहलूवालिया समिति की सिफारिशों के द्वारा दलित वर्ग को मिलती बिजली सब्सिडी भी
छीनी जा रही है।
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